डायबिटीज या मधुमेह (Diabetes) आज विश्वभर में प्रभावित करने वाली एक बीमारी बन गई है | वैश्विक मधुमेह महामारी में 77 मिलियन मधुमेह रोगियों के साथ भारत, चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। इन गुज़रे सालो मे डायबिटीज का वैश्विक प्रसार काफी बढ़ गया है | साल 2019 में मधुमेह के वैश्विक प्रसार ने 463 मिलियन लोगों को प्रभावित किया। इसी तेज़ी से अगर यह बीमारी लोगो को प्रभावित करती रही तो 2030 तक इसके 578 मिलियन लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है। 2045 तक समान बढ़ते रुझानों के साथ, 700 मिलियन लोग मधुमेह से प्रभावित होंगे। ज़रूरत है कि सारी दुनिया मिल कर इस बीमरी से फतह पाने की कोशिश करे| डायबिटीज को नियंत्रण करके सही जीवन गुज़ारा जा सकता है | इसलिए ज़रूरत है की लोगो मे डायबिटीज के प्रति सही जागरूगता हो, सही उपचार के बारे मे जानकारी हो और इस बीमारी के साथ स्वस्थ जीवन जीने के सही मार्गदर्शन हो | इस आर्टिकल के ज़रिये जानिये डायबिटीज के मुख्य कारण (Cause of Diabetes in Hindi) |
मधुमेह (Diabetes) के कई मरीज़ो के सर्वे से मालूम हुआ की कई मरीज़ो को डायबिटीज के बारे मे कुछ भी नहीं मालूम था | ज्यादातर लोगो को कई शिकायत थी जो डायबिटीज के मुख्य लक्षण और कारण थे मगर जानकारी नही होने के कारण इन लोगो मे डायबिटीज देर से पहचानी गई | रिसर्च से मालूम होता है कि डायबिटीज का सही प्रबंधन (Diabetes Management) डायबिटीज के जल्दी पहचाने जाने पर और सही उपचार पर निर्भर करता है| इसलिए आवयश्कता है कि डायबिटीज की जल्द से जल्द मरीज़ों मे पहचान की जाये | इसके लिए जागरूगता और जानकारी बहुत ज़रूरी है | इस प्रकार, मधुमेह और इसके प्रबंधन के बारे में उचित जागरूकता आवश्यक है। यह आवश्यक है कि लोगों को मधुमेह के कारणों के बारे में शिक्षित (Educate) किया जाए ताकि वे कारणों (Causes) के बारे में रिपोर्ट कर सकें और शीघ्र निदान प्राप्त कर सकें।
डायबिटीज संक्षेप में
भोजन की पाचन प्रक्रिया (Digestion) के बाद ग्लूकोज (Glucose) उत्पन्न होता है और रक्तप्रवाह (blood stream) में भेजा जाता है। रक्त के माध्यम से ग्लूकोज शरीर के सभी भागों में जाता है। फिर इसे ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए शरीर की कोशिकाओं (Cells) द्वारा अवशोषित (absorb) किया जाता है।
उचित ब्लड ग्लूकोज़ (blood glucose) के स्तर को बनाए रखने के लिए और ग्लूकोज अवशोषण में कोशिकाओं की मदद करने के लिए हमारा शरीर इंसुलिन (Insulin) नामक एक हार्मोन का उपयोग करता है। इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज के प्रवेश में मदद करता है। अग्न्याशय (Pancreas) इंसुलिन छोड़ता है जो ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को विनियमित करने में मदद करता है। इस प्रकार, इंसुलिन ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करता है और रक्त में ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
जब हमारा शरीर इंसुलिन प्रतिरोधी (Insulin resistance) हो जाता है, या जब अग्न्याशय (Pancreas) की कोशिकाएं (beta-cells) अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने में विफल (Insulin deficinecy) हो जाती हैं, तो ब्लड ग्लूकोज़ या रक्त शर्करा (blood glucose or blood sugar) का स्तर असामान्य हो जाता है। शरीर की कोशिकाएं भी रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को अवशोषित करने में विफल हो जाती हैं। इसके परिणाम स्वरूप सामान्य स्तर की तुलना में रक्त शर्करा (blood sugar) का स्तर बढ़ जाता है। यह स्थिति जहां रक्त शर्करा का स्तर अधिक हो जाता है, डायबिटीज या मधुमेह (Diabtes) के रूप में जाना जाता है।
सारांश: इंसुलिन के प्रतिरोधी (Insulin Resistance) या इंसुलिन के उत्पादन में कमी (Insulin deficiency) के कारण रक्त शर्करा (Blood Sugar) का स्तर अधिक (180 मिलीग्राम / डीएल से ऊपर) बना रहता है, जिसके परिणामस्वरूप मधुमेह (Diabetes) होता है।
ब्लड शुगर (Blood Sugar) स्तर
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सामान्य ब्लड शुगर (Blood Sugar) स्तर
सामान्य ब्लड शुगर (blood sugar) के स्तर हैं
- कम से कम आठ घंटे (उपवास) न खाने के बाद 100 mg/dL से कम, और
- खाने के दो घंटे बाद 140 mg/dL से कम।
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असामान्य ब्लड शुगर का स्तर
असामान्य ब्लड शुगर के स्तर हैं
- भोजन से पहले 130 mg/dL से अधिक (उपवास), और
- खाने के दो घंटे बाद 190 mg/dL से ज्यादा।
जिनके ब्लड शुगर के स्तर सामान्य है वह लोग नार्मल है | जब यह स्तर आसामान्य हो जाते है तो उसका एक कारण डायबिटीज हो सकता है |
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डायबिटीज के प्रकार – Types of Diabetes in Hindi
डायबिटीज के तीन प्रकार है
- टाइप 1 डायबिटीज: टाइप-1 डायबिटीज वह है जिसमे शरीर सही मात्रा मे इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पता है | इन्सुलिन की शरीर मे कमी होती है जिसके कारण ब्लड मे से ग्लूकोस सही से कोशिकाओ मे प्रवेश नहीं कर पाता और ब्लड मे ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ी रहती है| यह डायबिटीज अनुवांशिक (Heridetary) तौर पर होती है। अगर किसी के परिवार मे माँ-बाप, दादी-दादा मे से किसी को डायबिटीज रही है तो संभव है कि आगे की औलादो मे यह बीमारी हो जाये |
- टाइप 2 डायबिटीज: जब शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी हो जाता है | जिसके कारण ग्लूकोस का सही तरह से शरीर की कोशिकाओ मे प्रवेश नहीं हो पाता और ग्लूकोज़ की मात्रा ज्यादा बनी रहती है | आम तौर पर यह डायबिटीज सही खान-पान और अच्छी जीवन शैली से कण्ट्रोल की जा सकती है | बस ज़रूरी है की इसका जल्द से जल्द पता चल जाये |
- गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes): गर्भावस्था में रक्त शर्करा में वृद्धि। गर्भकालीन डायबिटीज ऐसी स्थिति होती है जब गर्भवती महिला जिसे पहले से कोई डायबिटीज की शिकायत नहीं होती है, गर्भावस्था के समय रक्त में शर्करा के उच्च स्तर हो जाते है |
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प्री-डायबिटीज के कारण – Pre-Diabetes Causes in Hindi
प्री-डायबिटिक(Pre-Dibaetes) स्थिति वह स्थिति है जब आपको मधुमेह नहीं होते हैं और फिर भी रक्त शर्करा का स्तर सामान्य स्तर से अधिक होता है। प्री-डायबिटीज संकेत के रूप में माना जाता है कि एक व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा है। और टाइप २ डायबिटीज के सही उपचार और प्रबंधन के लिए ज़रूरी है कि उसका जल्द से जल्द पता चल जाये ताकि और डायबिटीज की जटिलताओ से बचा जा सके| आपको निम्न स्थितियों में प्री-डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है:
- मोटापा या अधिक वजन होना
- अगर आपकी जातीयता अफ्रीकी अमेरिकी, मूल अमेरिकी, लातीनी या प्रशांत द्वीपवासी है
- अगर आप एक अस्वास्थ्यकर आहार जिसमें मीठा पेय पीना, रेड मीट खाना शामिल है का लम्बे समय से सेवन कर रहे है
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Poly Cystic Ovary syndrome) से पीड़ित है
- अगर आपको गर्भकालीन मधुमेह है
प्री-डायबिटिक ब्लड शुगर लेवल: यदि आप मोटापे, परिवार में मधुमेह के आनुवंशिक इतिहास और अन्य स्वास्थ्य बीमारियों जैसे जोखिम वाले कारकों से पीड़ित नहीं हैं, और आपका रक्त शर्करा का स्तर 140 से 199 मिलीग्राम/डीएल (7.8 से 11.0 मिमीोल/लीटर) है, तो यह एक है प्री-डायबिटीज के संकेत है |
प्री-डायबिटीज के संकेत : रक्त शर्करा का स्तर-140 से 199 mg/dL (7.8 से 11.0 mmol/L)
प्री-डायबिटिक स्थितियों में उचित देखभाल न करने से टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। इस प्रकार, प्री-डायबिटीज बीमारी का प्रारंभिक चेतावनी संकेत है जिसे नज़र अंदाज़ नहीं किआ जा सकता |
सारांश
प्री-डायबिटीज (Pre-diabetes) की स्थिति तब होती है जब रक्त शर्करा का स्तर 140 से 199 मिलीग्राम / डीएल (mg/dL) की सीमा में होता है। यह मधुमेह का एक प्रारंभिक चेतावनी संकेत है और इसके लिए उचित देखभाल की आवश्यकता होती है।
टाइप 1 डायबिटीज के कारण – Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) जिसमे शरीर सही मात्रा मे इन्सुलिन का उतपादन नहीं कर पता है | इन्सुलिन की शरीर मे कमी होती है जिसके कारण ब्लड मे से ग्लूकोस सही से कोशिकाओ मे प्रवेश नहीं कर पता और ब्लड मे ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ी रहती है | इसका दूसरा नाम जुवेनाइल डायबिटीज (juvenile diabetes ) है क्यों की यह बच्चों में अधिक आम होती है। यह एक पुरानी स्थिति है जहां अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ होते हैं। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था के दौरान होती है।
टाइप-1 डायबिटीज के बच्चो और बड़ो मे कारण:
- स्व-प्रतिरक्षा रोग (ऑटो -इम्यून डिजीज, Auto-immune disease): जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय (Pancreas) की इंसुलिन-उत्पादक बीटा कोशिकाओं पर हमला कर देती है। इसके कारण इन्सुलिन का उतपादन कम हो जाता है|
- वायरल संक्रमण (Virus infection): वायरल संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बिगाड़ सकता है और मधुमेह का कारण बन सकता है |
- आनुवंशिक कारक: हमारे शरीर में HLA-DQA1, HLA-DQB1, HLA-DRB1 नामक ये जीन (Genes) होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को मजबूत रहने में मदद करते हैं। इन जीनों में कोई भी भिन्नता प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है और मधुमेह (Diabetes) का कारण बन सकती है।
- रासायनिक विषाक्त पदार्थ: कुछ रासायनिक विषाक्त पदार्थ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immue system) को बदल देते हैं और अग्न्याशय (Pancreas) की बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे मधुमेह होता है।
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टाइप-1 डायबिटीज लक्षण – Symptoms of Type 1 in Hindi
टाइप-1 डायबिटीज होने पर बहुत ज्यादा प्यास लगती है , बार बार पेशाब आता है, सुस्ती और थकावट महसूस होता है , घाव धीरे-धीरे ठीक होते है , भूख ज्यादा लगती है , सिर दर्द, चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन आदि जैसा महसूस होना | अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करे | टाइप- १ डायबिटीज (Type-1 Diabetes) से बचने के लिए ज़रुरी है कि आप स्वस्थ जीवनशैली पर ध्यान देना और अपना खानपान सही और संतुलित रखें | समय पर एक्सरसाइज करें और वज़न कण्ट्रोल मे रखे ।
सारांश: टाइप-1 मधुमेह का प्रमुख कारण है कि जब पैंक्रियास सही मात्रा मे इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है |
टाइप 2 डायबिटीज के कारण – Type 2 Diabetes Causes in Hindi
टाइप 2 डायबिटीज (Type-2 Diabetes) एक चिकित्सा स्थिति है जब शरीर इंसुलिन प्रतिरोधी (Insulin resistance) हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं।
टाइप-2 डायबिटीज में, कोशिकाएं इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी (Insulin resistance) बनने के कारण रक्त से ग्लूकोज की उचित मात्रा को अवशोषित (Absorb) करने में असमर्थ होती हैं। यह रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को बढ़ाता है। उच्च ग्लूकोज स्तर अग्न्याशय (Pancreas) को अधिक इंसुलिन उत्पन्न करने का संकेत देता है | इन्सुलिन की डिमांड की वजह से बीटा सेल्स को अधिकः काम करना पढ़ता है नतीजन वह डैमेज या कमज़ोर हो जाती है| इससे अग्न्याशय (Pancreas) की बीटा कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं और इस प्रकार इंसुलिन (Insulin) की कमी हो जाती है। इस प्रकार, रक्त शर्करा का स्तर बढ़ता है, और समय के साथ यह संचार प्रणाली (Circulatory system) और तंत्रिका तंत्र (Nervous system) को प्रभावित करता है।
कई कारक टाइप 2 मधुमेह का कारण बनते हैं। फिर भी, टाइप -2 मधुमेह का सही कारण स्पष्ट नहीं है। संभावित कारण (बच्चो और बड़ो मे) हैं:
- मोटापे से पीड़ित और एक निष्क्रिय जीवन शैली का पालन करना। जिसके कारण शरीर में इंसुलिन की मांग अधिक हो जाती है जिससे इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है।
- जिगर में ग्लूकोज का अधिक उत्पादन
- परिवार और वंशानुगत के कारण आनुवंशिक प्रभाव
- अग्न्याशय में बीटा-सेल की शिथिलता के कारण इंसुलिन उत्पादन में कमी आती है|
टाइप-2 डायबिटीज लक्षण – Symptoms of Type 2 Diabetes in Hindi
टाइप-2 डायबिटीज होने पर बहुत ज्यादा प्यास लगती है , बार बार पेशाब आता है, सुस्ती और थकावट महसूस होता है , घाव धीरे-धीरे ठीक होते है , भूख ज्यादा लगती है , सिर दर्द, चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन, अक्सर चिड़चिड़ापन होना, मूड बदलना आदि जैसा महसूस होना | अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करे | टाइप- 2 डायबिटीज (Type-2 Diabetes) से बचने के लिए ज़रुरी है कि खान-पान पर नियंत्रण, स्वस्थ जीवनशैली पर ध्यान,नियमित व्यायाम और समय पर सही उपचार ।
सारांश:
अनुचित जीवन शैली, अधिक भोजन, मोटापा और अनुवांशिक कारक टाइप 2 मधुमेह का कारण बनते हैं।
डायबिटीज के कारण बच्चो में – Caues of Diabetes in Children in Hindi
आमतौर पर बच्चे टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल, मोटापा, फैमिली हिस्ट्री और खराब डाइट प्लान है। बच्चे में डायबिटीज के दौरान शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती है या शरीर मे इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है | लेकिन मोटापे से ग्रस्त (Obesity) बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण कम उम्र के लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के अधिक मामले सामने आए हैं | इसके मुख्य कारण फॅमिली हिस्ट्री,जेनेटिक्स और मोटापा है|
गर्भकालीन मधुमेह के कारण – Gestational Diabetes Causes in Hindi
गर्भकालीन डायबिटीज जिसे गेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) कहते है एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भावस्था के दौरान एक महिला के रक्त शर्करा का स्तर उच्च हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा (Placenta) हार्मोन पैदा करता है जो शरीर में ग्लूकोज के निर्माण में मदद करता है। यदि शरीर इस स्थिति को संभालने के लिए पर्याप्त इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन करने में असमर्थ है, तो रक्त शर्करा (Blood sugar) का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। यह अंततः गर्भकालीन डायबिटीज हो जाती है| यह आमतौर पर प्रेगनेंसी के बाद नार्मल हो जाता है परन्तु कुछ महिलाओ मे यह आगे चल कर टाइप २ डायबिटीज बन जाती है |
कारण:
- मोटापा और अधिक वजन बढ़ना
- गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजन बढ़ना
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycysctic ovary syndrome) के कारण वजन बढ़ता है
- मधुमेह का आनुवंशिक इतिहास
गर्भावधि मधुमेह के लक्षण है थकान लगना , अत्यधिक और बार बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब का आना, और ज्यादा वजन बढ़ना | प्रेगनेंसी के दौरान ज़रुरी है कि संतुलित वजन बनाए रखे, स्वस्थ रहने के लिए एक्सरसाइज करे, सही पोषक आहार का सेवन करे और यदि आप अत्यधिक प्यास और पेशाब की अत्यधिक इच्छा के लक्षण देखते हैं तो नियमित रूप से अपने ग्लूकोज के स्तर की जांच करें | यदि आपको कोई भी लक्षण दिखाई दे तो गर्भावस्था के बाद स्वस्थ प्रसव सुनिश्चित करने के लिए तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
सारांश:
गर्भावस्था के दौरान अधिक वसा (Fats) जमा हो जाती है और अधिक वजन बढ़ने से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है जिससे गर्भावधि मधुमेह हो सकता है।
जोखिम कारक (Risk factors) जो डायबिटीज का कारण बन सकते हैं
वैश्विक डायबिटीज प्रसार पर रिपोर्ट में यह पाया गया कि शहरी लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक डायबिटीज का जोखिम है । शहरी क्षेत्र में मधुमेह की दर में वृद्धि में योगदान देने वाला मुख्य कारक एक अनुचित जीवन शैली, अनुचित आहार, तनाव और कम शारीरिक गतिविधियाँ हैं। एक व्यक्ति को मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है यदि वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा कर रहा है:
- इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance) – इंसुलिन प्रतिरोध के साथ, शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। इसके कारण, ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता है और रक्त में बनना शुरू हो जाता है।
- गतिहीन जीवन शैली – पर्याप्त व्यायाम के बिना निष्क्रिय जीवन शैली से वजन बढ़ता है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप (high blood pressure) और हृदय रोग जैसे स्वास्थ्य जोखिम होते हैं।
- उम्र – जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है मधुमेह का खतरा बढ़ता जाता है। यह मुख्य रूप से 45 साल के बाद आम है।
- जातीय पृष्ठभूमि(Ethnic background) – हिस्पैनिक/लातीनी अमेरिकी, एशियाई-अमेरिकियों, और प्रशांत द्वीपसमूह जैसे जातीय समूहों को मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है।
इस प्रकार, स्वस्थ रहने और मधुमेह को उचित रूप से प्रबंधित करने के लिए यह आवश्यक है कि आप उचित आहार योजना का पालन करें, स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें, वजन का प्रबंधन करें और समय पर उचित दवा का पालन करें। यदि आपको कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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डायबिटीज के कारण जटिलताएं – Complications Due to Diabetes in Hindi
डायबिटीज का अगर सही इलाज नहीं किआ जाये या इसे उपचार क बिना छोड़ दिया जाये तो आगे चल कर बहुत गंभीर स्वस्थ की समस्या हो सकती है | इसलिए ज़रुरी है की सही समय पर सही इलाज किआ जाये | डायबिटीज मे ज़रुरी है की सही ब्लड ग्लूकोज़ की मात्रा बनाये रखे नहीं तो काफी स्वस्त समस्यायें जनम ले सकती है | लगातार उच्च रक्त शर्करा (high blood sugar) का स्तर गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है जैसे:
- कार्डियोवैस्कुलर (हृदय) रोग – मधुमेह हृदय वाहिकाओं को प्रभावित करता है और कोरोनरी धमनी रोग, स्ट्रोक, और धमनियों का संकुचन (narrowing of arteries) जैसी गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।
- न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति, nerve damage) – बहुत अधिक रक्त शर्करा 9Blood sugar) पूरे शरीर में तंत्रिकाओं (Nerves) को नुकसान पहुंचाता है और पाचन, अंगच्छेदन (amputations )और नपुंसकता दोष (erectile dysfunction ) जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। पेरिफेरल न्यूरोपैथी जिसमें विशेष रूप से पैरों के क्षेत्र में तंत्रिका क्षति होती है, झुनझुनी, सुन्नता, महसूस करने में कमी, जलन या दर्द हो सकता है।।
- पैर के छाले और पैर का दर्द: डायबिटीज के बिगाड़ जाने पर पैर के अल्सर के लिए उपचार और मामूली सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। डायबिटीज के बिगाड़ जाने पर पैरों में दर्द चलने पर परेशानी हो सकती है। लंबे समय तक पैर के अल्सर और दर्द सबसे खराब कारण में भी पैर के विच्छेदन का कारण बन सकते हैं।
- रेटिनोपैथी (नेत्र रोग) – रक्त शर्करा के उच्च स्तर वाले अधिकांश लोगों को मोतियाबिंद, ग्लूकोमा जैसी गंभीर आंखों की समस्याएं हो सकती हैं। मधुमेह रेटिना वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे संभावित रूप से कम दृष्टि या अंधापन हो सकता है।
- नेफ्रोपैथी (गुर्दे की क्षति) – डायबिटीज के बिगाड़ जाने पर या सही इलाज नहीं मिलने पर गुर्दे के छोटे रक्त वाहिकाओं के समूहों को नुकसान पहुंचा सकता है । गंभीर परिस्थितियों में, यह गुर्दे की विफलता या गुर्दे की बीमारी का कारण बन सकता है।
अगर आप इन जटिलताओ से बचना चाहते है तो सही समय पर सही इलाज करवाए ज़रूरी है की समय समय पर आप अपनी ग्लूकोज़ की मात्रा की जांच करते रहे|
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अतं में
यदि आपको एक बार मधुमेह का पता चला है, तो अपना सबसे अच्छा ख्याल रखना शुरू करें। याद रखें कि स्वस्थ जीवन शैली, उचित उपचार और अच्छे आहार योजना का पालन करके मधुमेह का प्रबंधन संभव है। मधुमेह को उचित तरीके से प्रबंधित करने से आपको मधुमेह को उलटने और मधुमेह की जटिलताओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। इसलिए खराब जीवनशैली से बचें, स्वस्थ भोजन करना शुरू करें, नियमित रूप से व्यायाम करें और समय पर दवाएं लें। उन मधुमेह कारकों पर ध्यान दें जो आपके नियंत्रण में हैं जैसे मोटापा, तनाव, आहार और जीवन शैली। याद रखें, रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होता है।
ब्रीद वेल बीइंग (Breathe well Being) एक प्रतिष्ठित संगठन है जो आपको कुशल डायबिटीज प्रबंधन (Diabetes Management) के लिए सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर परामर्श और मार्गदर्शन सेवाएं प्रदान करता है। डायबिटीज प्रबंधन के लिए हमारे विशेष रूप से इच्छुक कार्यक्रम प्रतिष्ठित डॉक्टरों, आहार विशेषज्ञों, व्यायाम प्रशिक्षकों के तहत निष्पादित किए जाते हैं। वे प्रत्येक रोगी के लिए विस्तृत संतुलित योजना (Well balanced plan) के माध्यम से डायबिटीज का प्रबंधन करते हैं। हमारे डायबिटीज प्रबंधन और मार्गदर्शन कार्यक्रम के माध्यम से हमारे कई रोगी स्वस्थ जीवन को बनाए रखने में सक्षम हैं और डायबिटीज को रिवर्स (Diabetes Reversal) में सक्षम हैं। सर्वोत्तम संभव तरीके से डायबिटीज का प्रबंधन करके स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने के लिए हमसे परामर्श करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आमतौर पर बच्चे टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। क्या यह संभव है कि वे टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हों?
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर वयस्कों (adults) में अधिक होता है। लेकिन मोटापे से ग्रस्त (Obesity) बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण कम उम्र के लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के अधिक मामले सामने आए हैं। बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का सटीक कारण अज्ञात है। लेकिन पारिवारिक इतिहास (family history) और आनुवंशिकी (genetics) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो स्पष्ट है वह यह है कि टाइप 2 डायबिटीज वाले बच्चे ग्लूकोज (Glucose) को ठीक से संसाधित (process) नहीं कर सकते हैं।
क्या डायबिटीज इन्सिपिडस (Diabetes insipidus) टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से संबंधित है?
नहीं, डायबिटीज इन्सिपिडस Diabetes insipidus) टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से संबंधित नहीं है। यह एक ऐसी स्थिति है जो शरीर में द्रव (fluids) के स्तर के असंतुलन के कारण होती है। डायबिटीज इन्सिपिडस Diabetes insipidus) में रक्त शर्करा का स्तर सामान्य होता है।
क्या डायबिटीज वाले लोगों को संक्रमण का अधिक खतरा है?
जी हां, मधुमेह से पीड़ित लोगों को नाखून में संक्रमण, फोड़े फुंसी और अल्सर जैसे जीवाणु संक्रमण (Virus infection) जैसे संक्रमण का अधिक खतरा होता है। उन्हें फंगल त्वचा संक्रमण (fungal skin infection) का भी खतरा होता है।
क्या किसी व्यक्ति को टाइप-1 और टाइप-2 दोनों तरह की डायबिटीज हो सकती है?
हाँ, एक व्यक्ति को दोनों टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज हो सकते हैं। जिन बच्चों को टाइप -1 डायबिटीज है, उनमें भी समय के साथ इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin resistance) विकसित हो सकता है, जिससे टाइप -2 डायबिटीज हो सकता है।
क्या मुझे गर्भवती होने के बाद डायबिटीज होगा?
नहीं, क्योंकि गर्भकालीन डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान ही होता है। गर्भकालीन डायबिटीज पहले से मौजूद टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज के समान नहीं है, और गर्भकालीन डायबिटीज से पीड़ित अधिकांश महिलाओं में प्रसव के तुरंत बाद सामान्य रक्त शर्करा हो जाता है । हालांकि, गर्भावधि डायबिटीज वाली महिलाओं को अपने जीवनकाल में डायबिटीज विकसित होने का खतरा होता है और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे डायबिटीज की जांच और निवारक देखभाल प्राप्त करें। कोई फर्क नहीं पड़ता कि गर्भावस्था में आपको किस प्रकार का असामान्य रक्त शर्करा रहा है, बल्कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रसव के बाद आपको उचित अनुवर्ती कार्रवाई प्राप्त हुई है क नहीं । आपकी गर्भावस्था देखभाल टीम आपके और आपके प्राथमिक देखभाल प्रदाता के साथ यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि आपको वह देखभाल मिले जिसकी आपको आवश्यकता है| ज़रूरी है क प्रसव के बाद सही जीवन शैली, सही व्यायाम और सही डाइट प्लान का पालन करे |
संदर्भ:
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[2]. Erlich, H., Valdes, A. M., Noble, J., Carlson, J. A., Varney, M., Concannon, P., … & Moonsamy, P. (2008). HLA DR-DQ haplotypes and genotypes and type 1 diabetes risk: analysis of the type 1 diabetes genetics consortium families. Diabetes, 57(4), 1084-1092.Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal
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