21वीं सदी में आज मधुमेह एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभर रहा है। पिछले बीस वर्षों में मधुमेह से प्रभावित लोगों की संख्या तीन गुना हो गई है। विशेष रूप से वयस्कों में टाइप-2 मधुमेह की बढ़ती दर एक गंभीर चिंता का विषय है। मधुमेह को वैश्विक स्तर पर रोकने के लिए एक प्रभावी डाईबिटीज़ मेनेजमेंट या मधुमेह प्रबंधन की आवश्यकता है जिसके लिए ठोस कदम उठाने के ज़रूरत है। इसके लिए डाईबिटीज़ मेनेजमेंट के सही तरीके सीखने की ज़रूरत है।
आइए इस ब्लॉग में जानते हैं ऐसे प्रभावी उपायों व तकनीकों के बारे में जो आपके टाइप -2 मधुमेह के प्रबंधन या डाईबिटीज़ मेनेजमेंट में मदद करेंगी।
टाइप-2 मधुमेह प्रबंधन के एकीकृत चरण
टाइप 2 मधुमेह वयस्कों में अधिक आम है। यह वयस्कों में डाईबिटीज़ की शुरुआत के रूप में देखि जाती है। जिस दर से टाइप 2 डाईबिटीज़ बढ़ रही है ऐसा अनुमान है की आने वाले समय में यह 70 करोड़ वैश्विक आबादी को प्रभावित करेगी। इसलिए डाईबिटीज़ मेनेजमेंट की जानकारी बढ़ाने की बहुत ज़रूरत है। इसी क्रम में उठाए जाने वाले कुछ प्रमुख कदम हैं:
जागरूकता
मधुमेह या डाईबिटीज़ को ले कर बहुत से मिथक फैले हुए हैं जिनको तोड़ने की बहुत आवश्यकता है। यह एक उचित जानकारी के द्वारा ही संभव है। साथ ही एक जागरूक व्यक्ति डाईबिटीज़ को बेहतर ढंग से मेनेज कर सकता है।
ऐसा माना जाता है कि टाइप-2 डायबिटीज का इलाज संभव नहीं है और यह एक जोखिम भरी बीमारी है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि टाइप -2 मधुमेह वाले लोगों में उचित जानकारी की कमी होती है। उनमें हेल्थ रिस्क, जटिलताओं और डाइट को ले कर तनाव रहता है। यह तनाव व चिंता डाईबिटीज़ मेनेजमेंट को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इसलिए जरूरी है कि लोगों को इस बात की जानकारी हो कि टाइप-2 डायबिटीज क्या है और इसे कैसे मैनेज किया जा सकता है।
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टाइप 2 डाइबिटीज क्या होती है?
टाइप -2 मधुमेह एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जो आपके शरीर के मेटाबोलिज़्म के साथ-साथ शुगर को प्रोसेस करने की क्रिया को प्रभावित करती है। टाइप -2 मधुमेह में, कोशिकाओं में ग्लूकोज का अवशोषण कम हो जाता है क्योंकि कोशिकाएं इंसुलिन रेजिस्टेंट हो जाती है। ऐसी स्थिति में ब्लड में अतिरिक्त शुगर जमा होंए लगती है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाते हैं।
ग्लूकोज के उच्च स्तर के कारण, इंसुलिन का उत्पादन बढ़ जाता है। अधिक इंसुलिन उत्पादन अग्न्याशय की कोशिकाओं को कमजोर करता है। इस तरह बाद के चरणों में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता जिससे शुगर लेवल बढ़ जाते हैं।
सारांश
टाइप -2 मधुमेह में शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी या इंसुलिन रेजिस्टेंट बन जाती हैं।
टाइप 2 डाईबिटीज़ के लक्षण
सबसे पहले, टाइप 2 मधुमेह के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि आप उन्हें नोटिस भी नहीं पाते इसलिए इसका जल्दी पता लगा पान मुश्किल हो जाता है।
सबसे आम लक्षण हैं:
- जल्दी पेशाब आना
- भूख बढ़ना
- ज़्यादा प्यास लगना
- थकान
- धुंधली दृष्टि
- त्वचा में खुजली
- शुष्क मुँह या ड्राय माउथ
- वजन घटना
यदि आपका ब्लड शुगर लंबे समय तक ज़्यादा बना रहता है, तो उपरोक्त लक्षणों के साथ निम्नलिखित क्लीनिकल लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं:
- घाव धीरे भरना
- यीस्ट संक्रमण
- Acanthosis nigricans (त्वचा पर काले धब्बे)
- मधुमेह पेरीफेरल न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति)
- पैर का दर्द
इन चेतावनी के संकेतों को लापरवाही से न लें। अपनी स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
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टाइप 2 मधुमेह के कारण
वैसे तो टाइप-2 मधुमेह का सही कारण ज्ञात नहीं है। लेकिन इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- मोटापा और एक निष्क्रिय जीवनशैली टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के सबसे महत्वपूर्ण कारण के रूप में काम करते है।
- लिवर द्वारा ग्लूकोज उत्पादन में वृद्धि: लिवर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित करता है और इसे रक्तप्रवाह में छोड़ता है। लीवर इंफेक्शन और फैटी लीवर जैसी बीमारी से ग्लूकोज का उत्पादन बढ़ता है और हाई ब्लड शुगर लेवल का कारण बनता है।
- अग्न्याशय में बीटा-सेल का ठीक से काम न करना: अग्न्याशय इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर के ग्लूकोज को नियंत्रित करता है। टाइप 2 डाईबिटीज़ में, शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है। इससे अग्न्याशय की बीटा कोशिकाएं अधिक इंसुलिन बनाने लगती हैं। अंत में शरीर में अधिक ग्लूकोज़ बनने लगता है और कोशिकाएं ऊर्जाहीन हो जाती है। सबसे खराब स्थिति में, अग्न्याशय की बीटा कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण वे अधिक इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती हैं।
- आनुवंशिक प्रभाव और वंशानुगत
सारांश
टाइप -2 मधुमेह के मुख्य कारण है इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिसटेन्स, मोटापा और खराब जीवन शैली, बीटा-सेल का ठीक से काम न करना, आनुवंशिक कारक और लिवर द्वारा ग्लूकोज का बढ़ा हुआ उत्पादन।
टाइप 2 मधुमेह के लिए जोखिम कारक या रिस्क फेक्टर क्या हैं?
यदि आप निम्न में से किसी भी कारक के अंतर्गत आते हैं तो आपको टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक खतरा है:
- मधुमेह का पारिवारिक इतिहास (एक बहन, भाई या माता-पिता जिन्हें टाइप 2 मधुमेह है)
- यदि व्यक्ति की आयु 45 वर्ष या उससे अधिक है।
- Ethnicity (अफ्रीकी अमेरिकी, अलास्का मूल निवासी, मूल अमेरिकी, एशियाई अमेरिकी, हिस्पैनिक या लातीनी, या प्रशांत द्वीप वासी अमेरिकी)।
- महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) नामक स्थिति का होना।
- यदि व्यक्ति को पहले से मधुमेह है।
- यदि ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर है।
हालांकि, कुछ ऐसे भी वजहें हैं जो व्यक्ति के नियंत्रण में हैं। ऐसी वजहें हैं – :
- अधिक वजन या मोटापा जिसके कारण कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं।
- तनाव और चिंता
- जंक फूड या Processed खाने का अधिक सेवन करना।
- गतिहीन या निष्क्रिय जीवन शैली
- शराब और धूम्रपान
निदान और परीक्षण (Diagnosis & Test)
टाइप -2 मधुमेह का निदान विभिन्न रक्त परीक्षणों या ब्लड टेस्ट के माध्यम से किया जाता है। इन परीक्षणों का उद्देश्य रक्त शर्करा के स्तर को मापना है। ऐसे कुछ टेस्ट हैं:
- ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (A1C) परीक्षण – यह पिछले दो से तीन महीनों में एक मरीज के औसत रक्त शर्करा के स्तर को निर्धारित करता है। A1C परीक्षण हीमोग्लोबिन से जुड़ी चीनी की मात्रा को मापता है। भारत में टाइप 2 मधुमेह तब माना जाता है जब A1C 6.5 प्रतिशत से अधिक हो।
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट – यह खाली पेट रक्त शर्करा के स्तर को निर्धारित करता है। यदि उपवास रक्त शर्करा या फास्टिंग शुगर 126 मिलीग्राम/डीएल या इससे अधिक है, तो व्यक्ति को मधुमेह कहा जाता है।
- रैंडम प्लाज़्मा ग्लूकोज़ परीक्षण – यह परीक्षण मधुमेह के लक्षण होने पर किया जाता है। यह किसी भी समय किया जा सकता है। 200 mg/dL या इससे अधिक रेंडम रक्त शर्करा स्तर बताता है कि आपको मधुमेह है।
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) – इस टेस्ट में आपको एक स्वीट ड्रिंक पिलाने के के पहले और 2 घंटे बाद रक्त शर्करा की जांच की जाती है। अगर 2 घंटे के बाद ब्लड शुगर लेवल 200 mg/dL या इससे ज्यादा है, तो आपको डायबिटीज़ है।
सारांश
रक्त परीक्षण या ब्लड टेस्ट से आपके ब्लड में शुगर लेवल की जाँच की जाती है। 130 मिलीग्राम / डीएल से ऊपर रक्त शर्करा का स्तर असामान्य है।
दवाइयाँ
रक्त परीक्षण और निदान के परिणाम के आधार पर डॉक्टर निम्नलिखित में से कोई भी दवा आपको सुझा सकते हैं।
मेटफोर्मिन – यह लीवर में ग्लूकोज के उत्पादन को कम करता है और इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता या इंसुलिन सेन्सिटिविटी में सुधार करता है। यह सबसे लोकप्रिय व पसंदीदा दवा है।
सल्फोनीलुरेस – मौखिक दवाएं या ओरल टेबलेट्स जो आपके शरीर को अधिक इंसुलिन स्रावित करने में मदद करती हैं।
मेग्लिटिनाइड्स – यह पैन्क्रीआस को अधिक इंसुलिन जारी करने के लिए उत्तेजित करता है। यह दवा तेजी से काम करती है लेकिन इसका प्रभाव कम समय के लिए ही रहता है।
थियाज़ोलिडाइनायड्स – यह शरीर के ऊतकों को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। इसके साइड-इफ़ेक्ट्स काफ़ी ज्यादा हैं और यह एक प्राथमिक उपचार नहीं है।
डीपीपी -4 अवरोधक – रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए एक साधारण दवा।
GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट – यह पाचन को धीमा करता है और रक्त शर्करा के स्तर को सही करता है।
SGLT2 अवरोधक – यह दवाएं किड्नी में ग्लूकोज के पुन: अवशोषण को रोकती हैं और इस तरह शरीर में ब्लड शुगर को कम करती हैं।
अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ इनहिबिटर – यह आपके शरीर को स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों और टेबल शुगर को तोड़ने में मदद करता है जो रक्त शर्करा को कम करता है।
नोट: ध्यान रखें की आपके डॉक्टर ही आपको एक सही दवा का परामर्श दे सकते हैं। इसलिए, यदि आपको किसी भी दवा से एलर्जी है या यदि आपने खुराक छोड़ दी है तो तुरंत डॉक्टरों से परामर्श लें।
इंसुलिन थेरेपी
इंसुलिन थेरेपी: इस थेरेपी में इंसुलिन हार्मोन बाहरी रूप से दिया जाता है। यह रोगी को सुई, इंसुलिन पंप या इनहेलर के माध्यम से दिया जाता है। इंसुलिन उपचार या उसकी मात्रा हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। निम्न रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) इंसुलिन का एक संभावित साइड-इफेक्ट है।
इंसुलिन थेरेपी के लिए पांच अलग-अलग प्रकार के इंसुलिन का उपयोग किया जाता है। इंसुलिन का चुनाव रोगी की चिकित्सा स्थिति पर निर्भर करता है। डॉक्टर प्रत्येक रोगी के लिए इंसुलिन की मात्रा और फ्रीक्वन्सी (कितनी बार लेना है) अलग से निर्धारित करता है।
जीवनशैली में बदलाव और सही डाइट
शोधों ने साबित किया है कि एक उचित जीवन शैली सही वज़न को बनाए रखने में मदद करती है, रक्त परिसंचरण को बढ़ाती है और दवाओं के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को बढ़ाती है। इस प्रकार यह रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने और टाइप -2 मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह कई रोगियों में टाइप -2 मधुमेह को रीवर्स या डाईबिटीज़ रिवर्स करने में मदद करता है।
जीवनशैली में निम्नलिखित परिवर्तन ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य करने में मदद करते हैं:
- रोजाना व्यायाम और एरोबिक्स – यह कोशिकाओं को इंसुलिन का उपयोग करने में मदद करता है।
- अपने वजन पर नियंत्रण रखें – यह आपके A1C के स्तर और हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है।
- स्वस्थ आहार या सही डाइट – फाइबर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन का सेवन करें।
- उचित नींद – रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए, आपको अच्छी नींद लेनी चाहिए
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डाइट प्लान के लिए मुख्य बिंदु
- हमेशा अपने द्वारा खाए जाने वाले कार्ब्स पर नज़र रखें।
- हर भोजन के लिए कार्ब्स की मात्रा निर्धारित करना सबसे अच्छा तरीका है।
- कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल जैसे स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी और सेब का सेवन करें।
- फाइबर युक्त आहार का अधिक सेवन करें। फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को मेनेज करने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। यह वजन नियंत्रण में भी मदद करता है।
- खूब पानी पियें
- प्रसंस्कृत या processed फल और खाद्य पदार्थों से बचें।
सारांश
एक उचित जीवन शैली और उचित डाइट टाइप -2 मधुमेह को कुशलतापूर्वक नियंत्रित करने में मदद करता है।
निवारण या बचाव
टाइप 2 मधुमेह की जटिलताएं
टाइप 2 मधुमेह के लिए उचित देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है। इसे अनुपचारित छोड़ने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी ही संभावित जटिलताओं में से कुछ हैं जो निम्न अंगों की स्वस्थ क्रियाओं को प्रभावित करती है :
हृदय और रक्त वाहिकाएं – टाइप -2 मधुमेह आपके हृदय रोग या स्ट्रोक से पीड़ित होने के जोखिम को पांच गुना बढ़ा देता है। इससे ब्लड वेसेल में सिकुड़न और सीने में दर्द की शिकायत हो सकती है।
किडनी – डायबिटीज़ आपकी किडनी को भी नुकसान पहुंचाती है जिससे किडनी फेल भी हो सकती है। इसलिए, आपको डायलिसिस या किडनी बदलने की आवश्यकता हो सकती है।
आंखें – हाई ब्लड शुगर आपकी आंखों की छोटी रक्त वाहिकाओं को भी खराब कर सकता है। इस स्थिति को रेटिनोपैथी कहते हैं। इस समस्या का अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह अंधेपन का कारण बन सकती है।
नसों – यह आपके पाचन, आपके पैरों की सेन्सेशन और आपकी यौन शक्ति को प्रभावित कर सकता है।
त्वचा – चूंकि यह रोग आपके शरीर में रक्त परिसंचरण में बाधा डालता है, घाव भरना धीमा हो जाता है और संक्रमण भी हो सकता है।
गर्भावस्था – मधुमेह से गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। यह मृत जन्म या जन्म दोष वाले बच्चे की संभावना को भी बढ़ाता है।
नींद – टाइप -2 मधुमेह स्लीप एपनिया का कारण बन सकता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें सोते समय सांस रुक जाती है।
श्रवण या सुनने की क्षमता- उच्च रक्त शर्करा का स्तर कुछ रोगियों में सुनने की समस्या का भी कारण बनता है। हालाँकि, यह अभी तक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है, लेकिन कई विशेषज्ञों ने रोगियों में इस समस्या को देखा है।
मस्तिष्क (Brain)- टाइप-2 डायबिटीज आपके दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ा देता है।
डिप्रेशन (Depression) – डायबिटीज़ से डिप्रेशन होने का ख़तरा भी दोगुना हो जाता है।
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टाइप 2 मधुमेह की रोकथाम
टाइप 2 डाईबिटीज़ में कुछ लक्षण उभरने के साथ ही ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। लेकिन शुरुआती दौर में रक्त शर्करा का स्तर इतना अधिक नहीं होता की टाइप 2 डाईबिटीज़ का निदान ना किया जा सके। यह एक प्रीडायबिटिक स्थिति है। इस स्थिति में उचित देखभाल आपको मधुमेह और इसकी जटिलता से बचने में मदद कर सकती है। यह एक प्रकार से प्रीडायबिटीज को मधुमेह या डाईबिटीज़ में बदलने से रोकने का एक मौका है।
टाइप 2 मधुमेह की शुरुआत को रोकने के लिए:
- गतिहीन जीवन शैली से बचें और फिज़िकल ऐक्टिव रहें
- यदि आप मोटे हैं तो नियमित रूप से व्यायाम करें और वजन कम करें।
- धूम्रपान छोड़ें
- केटोजेनिक या बहुत कम कार्ब वाला खान खाएं
- अधिक पानी पिएं और ऐसे पेय पदार्थों से परहेज करें जिनमें चीनी की मात्रा अधिक हो।
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निष्कर्ष
रोकथाम इलाज से बेहतर है। इसलिए, स्वस्थ आदतों को अपनाएं और गतिहीन जीवन शैली से बचें। मधुमेह को लापरवाही से न लें क्योंकि यह धीरे-धीरे विकसित होता है।
यदि आप मधुमेह के 1% भी लक्षण देखते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें और जिससे इसके बुरे परिणामों से बचा जा सके।
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FAQs:
क्या बिना दवाई के टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है?
जीवनशैली में बदलाव और उचित आहार के साथ आप बिना दवा के भी रक्त शर्करा के स्तर को मेनेज कर सकते हैं। लेकिन दवाएं लेना या न लेना डॉक्टर द्वारा आपकी स्थिति के आधार पर तय किया जाता है।
क्या कम उम्र (बच्चों) में टाइप-2 डायबिटीज होना संभव है?
टाइप-2 मधुमेह वयस्कों में अधिक आम है। लेकिन बच्चों में बढ़ती मोटापे की दर और कम शारीरिक गतिविधियों के साथ, बच्चों में टाइप -2 मधुमेह की दर भी बढ़ रही है। इस प्रकार, हाँ बच्चों को भी टाइप-2 मधुमेह हो सकता है। लेकिन इसके लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आते हैं।
मधुमेह के निदान के लिए रक्त परीक्षण का सबसे अच्छा समय क्या है?
भोजन से पहले और भोजन के 1 से 2 घंटे बाद रक्त शर्करा का परीक्षण करें।
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