डायबिटीज रोगी रोजाना इस तरह से करें हल्दी का सेवन, कंट्रोल में रहेगा ब्लड शुगर लेवल – Diabetic patients should consume turmeric daily in this way, blood sugar level will remain under control

हल्दी को मसालों में “गोल्डन स्पाइस” माना जाता है। भारत में, हल्दी सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है। यह कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपयोग की जाती है उनमें से एक है डायबिटीज़। जी हाँ! डायबिटीज़ के मरीज रोज़ाना हल्दी के सेवन से अपने ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित कर सकते हैं। कैसे? इसका जवाब आगे इस ब्लॉग में जानेंगे।

सदियों से लोग हल्दी का उपयोग खाद्य और औषधीय दोनों उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं। हल्दी के कई चिकित्सकीय उपयोग है उनमें से एक है डायबिटीज़ का उपचार।

हल्दी का वैज्ञानिक नाम कुरकुमा लोंगा है जो अदरक परिवार से आता है। अपने चमकीले पीले रंग के कारण, हल्दी को ‘भारतीय केसर’ या ‘गोल्डन स्पाइस’ भी कहा जाता है। इसमें मौजूद 100 से अधिक रासायनिक यौगिक इसे एक चमत्कारी मसाला बनाते हैं।

शायद और कोई मसाला इतने तरह से मेडिसिन में उपयोग नहीं किया जाता है जितना हल्दी। इन 100 में से एक सबसे सक्रिय योगिक है “करक्यूमिन” जो कई बीमारियों से लड़ने में सबसे अधिक मदद करता है। हीलिंग के अलावा, हल्दी के कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं और जिनमें से एक डायबिटीज़ से लड़ना है!

आयुर्वेद में इसके औषधीय उपयोग कई स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए लोकप्रिय हैं। हल्दी या हल्दी की जड़ अपने रंग और सुगंधित गुणों के लिए भी लोकप्रिय है। यह खाने को पीला रंग देता है और इसमें काली मिर्च की तरह कड़वा स्वाद होता है। हल्दी पाउडर किचन का एक लोकप्रिय मसाला है जिसके बिना भारतीय खाना अधूरा है।

हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ़्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं जो इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद कारगर बनाते हैं। यह कई प्रकार की कोशिकाओं और अंगों जैसे अग्न्याशय और लिवर के मेटाबोलिज़्म में सुधार करता है और आपके शरीर से गैर-ज़रूरी शुगर को बाहर निकालता है।

यह टाइप 2 डायबिटीज़ से लड़ने में सबसे प्रभावी है, जो हाइपरग्लाइसिमिक स्थितियों का कारण बन सकता है।

आइए डायबिटीज़ में हल्दी के औषधीय उपयोगों के बारे में पढ़ें कि कैसे आप शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए अपनी डायबिटिक डाइट में हल्दी को शामिल कर सकते हैं।

Table of Contents

हल्दी की न्यूट्रीशनल वेल्यू या पोषण मूल्य – Nutritional Value of Turmeric

हल्दी अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसमें कई एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ़्लेमेट्री और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें कई माइक्रोन्यूट्रीएंट्स भी मौजूद होते है जो इसके फ़ायदों के लिए जिम्मेदार हैं। 100 ग्राम हल्दी में मौजूद कई पोषक तत्वों और उनकी मात्रा निम्नलिखित है:

हल्दी की न्यूट्रीशनल वेल्यू
पोषक तत्व (प्रति 100 ग्राम) मात्रा
प्रोटीन 9.68 ग्राम
फैट/वसा 3.25 ग्राम
कार्ब 67.14 ग्राम
कैलोरी 312 kcal
शुगर या शर्करा 3.21 ग्राम
फाइबर 22.7 ग्राम
केल्शीयम 168 mg
आइरन 55 mg
मेग्नेशियम 208 mg
फास्फोरस 299 mg
पोटेशियम 2080 mg
ज़िंक 4.5 mg
कॉपर 1.3 mg
विटामिन ई 4.43 mg

इसके अलावा, 1 tbsp हल्दी आपको देती है:

  • दैनिक मैंगनीज की जरूरत का 26 प्रतिशत
  • दैनिक लोहे का 16 प्रतिशत
  • दैनिक पोटेशियम का 5 प्रतिशत
  • दैनिक विटामिन सी का 3 प्रतिशत

साथ ही हल्दी में विटामिन सी, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी12, फोलेट, ट्रिप्टोफैन, ल्यूसीन, लाइसिन आदि जैसे कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

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हल्दी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स – Glycemic Index of Turmeric

हल्दी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स शून्य होता है जो इसे ब्लड शुगर लेवल के लिए सुरक्षित बनाता है और आसानी से डाइबीटिक डाइट में शामिल की जा सकती है।

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डायबिटीज़ में हल्दी कैसे पहुंचाती है फ़ायदा – How Turmeric benefits in Diabetes?

इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि हल्दी प्रभावी रूप से डायबिटीज़ के लक्षणों को कम करती है और प्रीडायबिटिक रोगियों के टाइप 2 डायबिटीज़ के विकास को भी रोक सकती है।

इनमें से कुछ लाभ मुख्य रूप से हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ़्लेमेट्री गुणों से मिलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार क्रोनिक इंफ़्लेमेशन हृदय रोग, कुछ प्रकार के कैंसर और क्रोहन रोग सहित कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को विकसित करने में भूमिका निभाती है।

साथ ही क्रोनिक इंफ़्लेमेशन इंसुलिन रेज़िस्टेंस और डायबिटीज़ को भी प्रभावित करती है। अत्यधिक चर्बी या वज़न इस इंफ़्लेमेशन का प्रमुख कारण है जो इंसुलिन रेज़िस्टेंस पैदा करता है और डायबिटीज़ की स्थिति बनाता है। लंबे समय तक मोटापा रहने से यह इंफ़्लेमेशन बनी रहती है जिससे कई तरह की परेशानियाँ और बीमारियाँ हो जाती है।

जैसे-जैसे इंसुलिन रेज़िस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है, ब्लड शुगर लेवल बढ़ते रहते हैं। ऐसे में यदि इसे सही समय पर ट्रीट नहीं किया जाए तो यह टाइप 2 डायबिटीज़ में बदल जाता है। इंफ़्लेमेशन टाइप 1 डायबिटीज़ को भी प्रभावित करती है।

इंफ़्लेमशन ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकती है जिससे शरीर टाइप 1 डायबिटीज़ वाले लोगों में इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है।

ऐसे में हल्दी का डायबिटीज़ पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। हल्दी में मौजूद मुख्य कम्पाउन्ड कर्क्यूमिन ब्लड शुगर लेवल को संतुलित कर सकता है और इंसुलिन प्रतिरोध या रेज़िस्टेंस को कम कर सकता है।

इसके अलावा यह टाइप 2 डायबिटीज़ के विकास को रोकने के लिए इंसुलिन संवेदनशीलता या इंसुलिन सेंसीटिविटी को बढ़ाता है।

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कर्क्यूमिन कई तरह से डायबिटीज़ में प्रभावी होता है जैसे:

  • टाइप 2 डायबिटीज़ के विकास में देरी करता है
  • बीटा कोशिकाओं के कार्य में सुधार करता है
  • बीटा कोशिकाओं को नष्ट होने से रोकता है
  • इंसुलिन संवेदनशीलता या इंसुलिन सेंसीटिविटी को बेहतर करता है

एक अध्ययन ने 240 प्रीडायबेटिक लोगों के बीच करक्यूमिन की खुराक लेने के प्रभाव को देखा। प्लेसीबो लेने वाले समूह में, उनमें से 16.4% ने नौ महीनों के भीतर टाइप 2 मधुमेह विकसित किया। कर्क्यूमिन की खुराक लेने वाले समूह में, उसी अवधि में किसी को भी टाइप 2 डायबिटीज़ विकसित नहीं हुआ।

करक्यूमिन सप्लीमेंट लेने वाले समूह के लोगों की बीटा कोशिकाओं के कार्य में भी सुधार देखा गया, जो इंसुलिन उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं। इन लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध या रेज़िस्टेंस भी कम हुआ जिसका अर्थ है कि उनके शरीर ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए अपने इंसुलिन का अधिक कुशलता से उपयोग कर सकते हैं।

हल्दी में सक्रिय पॉलीफेनोल्स, जिसे आमतौर पर करक्यूमिन के रूप में जाना जाता है, की उपस्थिति जादूई काम करती है। करक्यूमिन शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने के साथ लिवर द्वारा बनाई गई ग्लूकोज ड्रॉप्स ग्लाइकोजन के स्तर को कम करने में सक्षम है।

हल्दी डायबिटीज़ में:

  • ब्लड शुगर कम करती है
  • इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाती है
  • वज़न बढ़ने से रोकती है

ये प्रभाव ब्लड शुगर लेवल को स्वस्थ सीमा के भीतर रखने को आसान बना सकते हैं। यह डायबिटीज़ मेनेजमेंट और डायबिटीज़ से जुड़े अन्य हेल्थ रिस्क को कम करने के लिए बहुत ज़रूरी है।

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डायबिटीज रोगी कैसे करें हल्दी का सेवन? – How Diabetics should consume Turmeric?

डायबिटीज़ या मधुमेह के रोगी दैनिक आहार में हल्दी का उपयोग कई तरीकों से कर सकते हैं। यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने और शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। दैनिक लाभ के लिए 5 चम्मच हल्दी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इस दैनिक आवश्यकता को व्यक्ति कई प्रकार से पूरा कर सकता है:

मसाले के रूप में खाने में – In form of Spices in food

इसे कई व्यंजनों में स्वाद और रंग जोड़ने के लिए एक प्रमुख मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे रोज की सब्जियों में।

दूध और हल्दी – Milk & Turmeric

गोल्डन मिल्क या हल्दी दूध आपकी दैनिक हल्दी की जरूरतों को पूरा करने के बेहतरीन तरीकों में से एक है। डायबिटीज़ से लड़ने में मदद करने वाले सरल तरीकों में से एक हल्दी वाला दूध है। इसके लिए दूध को उबाल लें और फिर उसमें हल्दी डाल दें। इसे उबलने दें और सुबह के समय इसे गरम पियें।

कुछ अध्ययनों के अनुसार, यह दूध टाइप 2 डायबिटीज़ के खतरे को कम कर सकता है। लेकिन स्किम्ड दूध का ही इस्तेमाल करें और इसमें चीनी ना मिलाएं।

दालचीनी और हल्दी – Cinnamon & Turmeric

हल्दी वाले दूध में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाकर सुबह पिएं। विभिन्न शोधों के अनुसार, यह दोनों मसाले मिलकर एक हाई फैट खाना खाने के वजह से बढ़ने वाले इंसुलिन और ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर सकता है। यह ब्लड शुगर लेवल को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

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शहद और हल्दी – Honey & Turmeric

इस तरीके को अपनाने से पहले, आपको अपने चिकित्सक से ज़रूर परामर्श करना चाहिए। शहद मीठा होता है और इसे लंबे समय तक नहीं लेना चाहिए वरना यह शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है। यदि आप इसे ले सकते हैं तो बेहतर लाभ के लिए आप हल्दी वाले दूध में थोड़ी मात्रा में शहद मिलाकर गर्म करके पी सकते हैं।

यह कोलेस्ट्रॉल को कम करते हुए डायबिटीज़ के घावों को ठीक करने में बहुत अच्छा काम करता है। लेकिन हाँ यह ध्यान रखें कि इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले अपने शुगर लेवल्स के बारे में डॉक्टर से ज़रूर परामर्श करें।

काली मिर्च और हल्दी – Black Pepper & Turmeric

इसे बनाने के लिए एक गिलास दूध को उबालें और फिर उसमें हल्दी मिलाएं। हल्दी वाला दूध तैयार हो जाने पर इसे ठंडा होने दीजिए और फिर इसमें काली मिर्च डाल दीजिए. इस तरह, काली मिर्च (पाइपरीन) और हल्दी (करक्यूमिन) में मौजूद फाइटोकेमिकल रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाएंगे, जो डायबिटीज़ का एक सामान्य प्रभाव है।

अदरक और हल्दी – Ginger & Turmeric

अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने के लिए आप हल्दी वाले दूध के साथ एक चुटकी अदरक पाउडर ले सकते हैं। यह आपके फास्टिंग शुगर लेवल में सुधार करने में मदद करेगा।

हल्दी की जड़ का सत्त या सप्लीमेंट – Turmeric Root Extract

यह सबसे आसान तरीकों में से एक है जिससे आप डायबिटीज़ को नियंत्रित कर सकते हैं। हल्दी की जड़ के अर्क या सप्लीमेंट केपसूल का सेवन इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम करने में मदद कर सकता है। यह बीटा कोशिकाओं के काम में भी सुधार करता है, जो डायबिटीज़ के लिए फायदेमंद होते हैं।

आंवला और हल्दी – Amla & Turmeric

इस उपाय के लिए दो बड़े चम्मच आंवले के रस में एक चुटकी हल्दी मिलाकर सुबह के समय सेवन करें। ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने का यह एक अच्छा उपाय है। आंवला एंटी-डायबिटिक गुणों के लिए जाना जाता है और डायबिटीज़ में कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करता है।

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हल्दी के हेल्थ बेनेफिट्स या स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits of Turmeric

हर भारतीय घर में लोग दर्द, त्वचा उपचार, चोट, फुंसियों, कीड़े के काटने और सूजन के लिए हल्दी का उपयोग करते हैं। हल्दी के ये औषधीय लाभ हमें हमारे बुजुर्गों से प्राप्त हुए थे जिन्हें हम दादी के नुस्खे भी ख सकते हैं। इन लाभों का उल्लेख आयुर्वेद और पारंपरिक उपचार तकनीकों में किया गया है। हल्दी के स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं:

एंटीइंफ़्लेमेट्री – Anti Inflammatory

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन इसके एंटीइंफ़्लेमेट्री गुणों के लिए जिम्मेदार होता है। यह लाइपोक्सिनेज़ (LOX), इंड्यूसिबल नाइट्रिक ऑक्साइड सिंथेज़ (iNOS), और साइक्लोऑक्सीजिनेज़-2 (COX-2) को रोकता या ब्लॉक करता है और एक इंफ़्लेमेशन अवरोधक के रूप में कार्य करता है।

हल्दी का उपयोग गठिया, मांसपेशियों में मोच, घाव, मांसपेशियों में दर्द ऐंठन के कारण होने वाली सूजन के इलाज या कम करने के लिए किया जाता है। इससे सूजन में आराम मिलता है।

दर्द से राहत में मदद करती है – Helps in Pain

इसे दर्दनिवारक या पैनकिलर भी माना जाता है क्योंकि इसे स्थानीय स्तर (locally) पर इस्तेमाल करने से दर्द कम होता है। इसका उपयोग कई तरीकों से किया जाता है जैसे दर्द निवारक के रूप में पैच, पट्टियां या ओषधि के रूप में इसे खाने से।

एंटीसेप्टिक – Antiseptic

यह एक सबसे बेहतरीन और कारगर एंटीसेप्टिक है जिसे रोजमर्रा में चोट, त्वचा में होने वाली परेशानियों या फुंसियों के इलाज के रूप में उपयोग किया जाता है। अपने एंटीसेप्टिक गुणों के कारण हल्दी का उपयोग कई एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी मलहमों में भी किया जाता है। यह घाव, फोड़े, कीड़े के काटने, चकत्ते और खरोंच पर लगाया जाता है।

एंटीऑक्सीडेंट – Antioxidant

हल्दी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो कैंसर और हृदय रोग सहित विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद करती है।

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डायबिटीज़ में फ़ायदेमंद – Beneficial in Diabetes

हल्दी में ज़ीरो जीआई और लो शुगर होता है जो डायबिटीज में लाभकारी होता है। इसमें पाया जाने वाला कर्क्यूमिन कम्पाउन्ड पदार्थ इंफ़्लेमेट्री साइटोकिन्स को रोकता है जो ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखता है।

यह टाइप 2 डायबिटीज़ में देरी करने में भी मदद करता है। इसके अलावा, यह ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता है।

दिल की सेहत के लिए अच्छी – Good for Heart’s Health

करक्यूमिन, हल्दी का एक एंटीऑक्सीडेंट है जो हृदय की कई समस्याओं को रोकता है। यह स्ट्रोक, और एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

त्वचा और एंटी एजिंग के लिए अच्छी – Good for skin & Anti-Aging

यह एक रक्त शोधक या ब्लड पयुरिफाइर है जो त्वचा के लिए अच्छी रहती है। यह मुंहासे, पिंपल्स, काले घेरे, खुजली, एलर्जी, एक्जिमा, निशान या अन्य त्वचा की स्थिति में भी मदद करती है।

इसके शुद्धिकरण प्रभाव या प्योरिफ़ाइंग इफेक्ट से त्वचा में चमक आती है। करक्यूमिन नई कोशिकाओं के विकास को बढ़ाने में मदद करता है और कोशिका क्षति के प्रभाव को कम करता है।

यह झुर्रियों और फाइन लाइन्स को रोकने में मदद करती है। यही वजह है कि हल्दी का उपयोग बहुत से कॉस्मेटिक प्रसाधन में किया जाता है। इसको कई घरेलू नुस्खों में भी मिलाया जाता है जो त्वचा को निखार देते हैं जैसे उबटन, फेसपेक आदि।

कैंसर का खतरा कम करती है – Reduce the risk of Cancer

करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं के विकास को कम करता है और उन्हें फैलने से रोकता है। यह कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है।

डिप्रेशन में मदद करती है – Helps in Depression 

हल्दी डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को भी फायदा पहुंचाती है। करक्यूमिन पदार्थ डोपामाइन और सेरोटोनिन को बढ़ाता है, जो अच्छे मूड और खुशी के लिए जिम्मेदार न्यूरोट्रांसमीटर है। यह बीडीएनएफ स्तरों (मस्तिष्क से व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारकों के स्तर) से होने वाले लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है।

पाचन के लिए बेहतर – Good for Digestion

यह पाचन के लिए भी अच्छी होती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाचन तंत्र की मदद करते हैं। यह ब्लोटिंग और आंत में इंफ़्लेमेशन को कम करने में मदद करती है। यह पाचन में भी सुधार करती है।

लीवर के लिए अच्छी है – Good for Liver

इसका एंटीऑक्सीडेंट गुण लिवर को कई तरह की बीमारियों में ली जाने वाली दवाओं के टॉक्सिन से बचाता है। यह लिवर में जमा फैट को भी कम करता है।

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इम्यूनिटी बढ़ाए – Increases Immunity

हल्दी अपने जीवाणुरोधी, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुणों के लिए जानी जाती है। यह संक्रमण की संभावना को कम करने में मदद करती है जिससे प्रतिरक्षा या इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है। इससे शरीर बेहतर ढंग से बीमारियों और संक्रमणों से लड़ पाता है।

बुखार और सामान्य सर्दी में उपयोगी – Useful in Fever & Normal Cold

एक चम्मच हल्दी पाउडर को दूध के साथ लेने से बुखार और सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है। यह बहती नाक, जमाव और सामान्य सर्दी को कम करता है। इसलिए इसे सर्दी और कफ होने पर घरेलू नुस्खों के रूप में काफ़ी उपयोग किया जाता है।

हड्डियों के लिए अच्छी है – Good for Bones

हल्दी के स्वास्थ्य लाभों में से एक है जोड़ों के दर्द में राहत देना। हल्दी को गठिया और जोड़ों के दर्द के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें उपस्थित यौगिक कर्क्यूमिन हड्डी के ऊतकों को बचाने और मज़बूत करने में मदद करता है।

मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ाता है और अल्जाइमर को रोकता है – Good for Brain’s Health & Prevents Alzheimer

हल्दी BDNF, एक मस्तिष्क हार्मोन के स्राव को प्रेरित करती है, जो मस्तिष्क में डीजेनेरेशन को कम करती है और न्यूरॉन के कामकाज में सुधार करती है। इसके अलावा, यह स्थिति के लिए जिम्मेदार एमाइलॉयड प्लाक को साफ करके अल्ज़ाइमर रोग को रोकने में भी मदद करती है।

मोतियाबिंद और ग्लूकोमा को रोकती है – Prevents Cataracts & Glaucoma

हल्दी दृष्टि हानि को रोकने में मदद करती है। एंटीऑक्सीडेंट आंखों के लिए अच्छे होते हैं और हल्दी इस गुण के कारण मोतियाबिंद और ग्लूकोमा को रोकने में मदद करती है।

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हल्दी के साइड इफ़ेक्ट्स – Side Effects of Turmeric

पर्याप्त मात्रा में हल्दी का सेवन करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं लेकिन इसकी अधिक मात्रा के कई साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं। यह साइड इफेक्ट हैं:

  • इसके अधिक सेवन से एसिड रिफ्लक्स और डायरिया जैसी कई गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती हैं। यह जीईआरडी पेट की समस्याओं को भी बढ़ा सकता है।
  • इससे सिरदर्द, मतली या चक्कर आ सकते हैं।
  • हल्दी डायबिटीज़ के लोगों में ब्लड शुगर को बहुत कम कर सकती है जिससे हाइपोग्लाइसिमिया हो सकता है।
  • हल्दी का अधिक सेवन रक्त के थक्के को धीमा कर सकता है और रक्तस्राव विकार वाले लोगों के लिए घातक हो सकता है।

निष्कर्ष – Conclusion

हल्दी का उपयोग सदियों से पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणाली में किया जाता रहा है। यह आयुर्वेद में प्रयोग ली जाने वाली प्रमुख ओषधियों में से एक है जो कई बीमारियों को ठीक करती है या रोकती है।

यह दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे अधिक उगाई जाती है और भारतीय व चीनी चिकित्सा पद्धतियों में इसका व्यापक रूप से उल्लेख किया गया है।

इसमें वाष्पशील तेल जैसे टर्मेरोन, एटलांटे, जिंजिबेरिन और डाइमेथॉक्सी करक्यूमिन, बिस्डेमेथॉक्सीकरक्यूमिन होते हैं जो इसे औषधीय गुण प्रदान करते हैं।

यह एंटीबेक्टेरियल, एंटीइंफ़्लेमेट्री, एंटिफंगल, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायता करती है। त्वचा की सेहत के लिए कई घरेलू नुस्खों में भी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है।

हल्दी भारतीय शादियों की रस्मों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो दूल्हा या दुल्हन को उबटन या हल्दी के पेस्ट के रूप में लगाया जाता है। गोल्डन मिल्क या हल्दी दूध त्वचा, दर्द, सर्दी और बुखार की कई स्थितियों के लिए हर घर में एक समाधान के रूप में उपयोग की जाती है। यह डायबिटीज़ के उपचार में भी मदद करती है। इसे जादुई मसाला कह सकते हैं।

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सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions

हल्दी का सेवन किन लोगों को नहीं करना चाहिए?

हालांकि हल्दी की पर्याप्त मात्रा किसी के लिए हानिकारक नहीं है, फिर भी इसके गुण कुछ स्वास्थ्य स्थितियों को ट्रिगर कर सकते हैं। जीईआरडी (गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज), रक्तस्राव विकार, गर्भावस्था, पित्ताशय या गॉल ब्लेडर की समस्या, लिवर की समस्याएं, प्रीसर्जरी अवस्था या बांझपन जैसी स्थितियों वाले लोगों को हल्दी के सेवन से बचना चाहिए।

एक डायबिटिक रोगी को कितनी हल्दी का सेवन फ़ायदा पहुंचाता है?

हल्दी डायबिटीज़ के लोगों के लिए अच्छी है क्योंकि इसमें एंटीइंफ़्लेमेट्री कम्पाउन्ड कर्क्यूमिन पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता या इंसुलिन सेंसीटिविटी में सुधार कर के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। आदर्श रूप से, व्यक्ति और जरूरतों के आधार पर 1000-2000 मिलीग्राम हल्दी किसी व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकती है। हालांकि इसकी अधिक मात्रा लेने के नुकसान हो सकते हैं इसलिए इसे सही मात्रा में ही लें।

क्या हल्दी डायबिटीज़ के लिए अच्छी है?

लो जीआई, लो शुगर कंटेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी कंपाउंड करक्यूमिन की मौजूदगी इसे डायबिटिक लोगों के लिए सुरक्षित बनाती है। करक्यूमिन की उपस्थिति इंसुलिन रेज़िस्टेंस, ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को कम करती है। हल्दी बीटा कोशिकाओं पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है जिससे डायबिटीज़ पेशेंट को मदद मिलती है। हालांकि इसे डॉक्टर से परामर्श के बाद लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह एंटीडायबिटिक दवाओं के साथ लेने पर ब्लड शुगर को बहुत कम कर सकती है और हाइपोग्लासिमिया की स्थिति पैदा कर सकती है।

क्या में रोज हल्दी का सेवन कर सकता हूँ?

हल्दी का अधिक सेवन आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और एसिड रिफ्लक्स, सिरदर्द, चक्कर आना, लो ब्लड शुगर, पेट की समस्या, दस्त आदि जैसे दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, आप अपने वज़न के अनुसार प्रति किलोग्राम 0-3mg हल्दी का सेवन कर सकते हैं। सुझाई गई मात्रा से अधिक हल्दी का सेवन हानिकारक हो सकता है।

संदर्भ – References

16 Health Benefits of Turmeric or Haldi 


https://healthmatch.io/diabetes/how-to-take-turmeric-for-diabetes#can-turmeric-treat-and-prevent-diabetes
https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/food-news/7-ways-turmeric-can-help-you-fight-against-diabetes/photostory/68257378.cms?picid=68257439
https://www.beatoapp.com/blog/how-to-use-turmeric-haldi-to-manage-your-blood-sugar-levels/Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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