संतुलित भोजन और नाश्ते के रूप में फल एक स्वस्थ विकल्प माने जाते हैं जो कई न्यूट्रीशन से भरपूर होते हैं। इसमें फाइबर, विटामिन, मिनरल, प्लांट कम्पाउन्ड जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व शामिल होते हैं। इनमें नेचुरल शुगर भी पाई जाती है जो इन्हे मिठास देती है।
लेकिन कुछ फलों में चीनी की मात्रा अधिक होती है, जिसकी वजह से यह शुगर लेवल को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में डायबिटिक लोगों को इसका विशेष ध्यान रखना पड़ता है कि कौनसा फल उनके लिए सुरक्षित है और कौनसा नहीं। ऐसे ही फायदेमंद फलों में से एक है पपीता। लेकिन क्या शुगर के मरीज़ों को पपीता खाना चाहिए या नहीं, इसका जवाब हम इस ब्लॉग में जानेंगे।
पपीता क्या है – What is Papaya Fruit?
पपीता एक एग्ज़ोटिक फल है जिसके अनगिनत स्वास्थ्य लाभ हैं। यह उष्णकटिबंधीय पौधा मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा उगाया जाता है। पपीते की खेती कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, टेक्सास, भारत, श्रीलंका आदि देशों में की जाती है। पपीता दो प्रकार का होता है, लाल और पीला पपीता। इसके हरे-नारंगी फल होते हैं।
पपीता सॉफ्ट, मीठा और रसीला फल होता है। मीठा होने के बावजूद इसमें चीनी कम होती है। लोग इस फल को कच्चा या साबूत ही खाते हैं। लोग पपीते को स्मूदी, और सलाद में भी शामिल करते हैं, या कबाब, हलवा या करी के रूप में इसे अपनी डाइट में शामिल करते हैं।
पपीते को दुनिया भर में कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे ऑस्ट्रेलिया में “पावपाव”, दक्षिणी एशिया में “केपया”, “लापया”, या “तपाया” कहा जाता है। इसे फ्रांस में ‘फिगुएर डेस इल्स’, या ‘द्वीपों की अंजीर’ के रूप में जाना जाता है।
इस चमकीले पीले, गूदेदार उष्णकटिबंधीय फल में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जैसे विटामिन ए, विटामिन सी, और विटामिन ई। इसके अलावा इसमें फाइबर और हेल्दी प्लांट कम्पाउन्ड भी पाए जाते हैं।
पपीते की न्यूट्रीशनल वेल्यू या पोषण मूल्य – Nutritional value of Papaya
USDA के अनुसार, 1 छोटे ताज़े पपीते में लगभग 67 कैलोरी होती है। साथ ही, इसमें निम्नलिखित पोषक तत्व शामिल हैं:
- आहार फाइबर: 3.0 ग्राम
- विटामिन सी: 96 मिलीग्राम
- कैल्शियम: 30 मिलीग्राम
- पोटेशियम: 290 मिलीग्राम
- मैग्नीशियम: 35 मिलीग्राम
100 ग्राम पपीते में मौजूद कई पोषक तत्वों और उनकी मात्रा नीचे टेबल में दी गई है:
100 ग्राम पपीता | ||||
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पोषक तत्व (प्रति 100 ग्राम) | मात्रा | |||
कैलोरी | 43 | |||
फैट/वसा | 0.3 ग्राम | |||
सोडियम | 8 मिलीग्राम | |||
पोटेशियम | 182 मिलीग्राम | |||
कुल कार्बोहाईड्रेट | 11 ग्राम | |||
प्रोटीन | 0.5 ग्राम | |||
विटामिन ए | 19 % (दैनिक मात्रा का) | |||
केल्शीयम | 0.02 | |||
विटामिन सी | 101 % | |||
आयरन | 19 % (दैनिक मात्रा का) | |||
मेग्नेशियम | 5% |
पपीता फोलेट, विटामिन, अल्फा और बीटा-कैरोटीन, ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन, विटामिन ई, कॉपर, फाइबर, विटामिन के और लाइकोपीन का भी एक अच्छा स्रोत है।
पपीते में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि लोगों को पपीता कम मात्रा में ही खाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक सेवन से शुगर लेवल और पेट की समस्याओं में वृद्धि हो सकती है।
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पपीते का ग्लाइसेमिक इंडेक्स – Glycemic Index of Papaya
पपीते मध्यम या मीडियम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला फल है जिसका जीआई 60 होता है, जिसका अर्थ है कि यह ब्लड शुगर लेवल को तेजी से नहीं बढ़ाता है। किसी भी भोजन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) यह निर्धारित करता है कि वह भोजन रक्त में ग्लुकोज़ लेवल को कितनी मात्रा और कितने समय में बढ़ाता है।
जीआई स्केल खाने को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: निम्न, मध्यम और उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स। निम्न-जीआई (लो जीआई) भोजन स्कोरिंग 20 से 49, मध्यम-जीआई खाद्य पदार्थ स्कोरिंग 50 से 69, और उच्च-जीआई खाद्य पदार्थ स्कोरिंग 70 से 100 होती है।
इसके अलावा, ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) की गणना भोजन के जीआई द्वारा ग्राम में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को गुणा करके और 100 से विभाजित करके की जाती है। 10 जीएल को कम माना जाता है, जबकि 20 से अधिक जीएल को उच्च माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक हेल्दी डाइट में आप अपने रोज के जीएल को 100 से कम ही रखें।
पपीते का ग्लाइसेमिक लोड 5.5 के बराबर होता है, जिससे यह कम ग्लाइसेमिक लोड वाला फल बन जाता है। इस प्रकार मीडियम जीआई और लो जीएल के साथ यह शुगर मरीज़ों के लिए सुरक्षित माना जा सकता है लेकिन तब जब इसकी मात्रा को सीमित रखा जाए।
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पपीता और डायबिटीज़ – Papaya & Diabetes
पपीता प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। चूंकि इसमें चीनी होती है जो ग्लुकोज़ लेवल को प्रभावित करती है इसलिए लोगों का मानना है कि इसे खाना सही नहीं है। लेकिन यदि पपीता संयम से लिया जाए तो यह एक स्वस्थ डायबिटिक डाइट का हिस्सा बन सकता है।
डायबिटीज़ एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त (या कोई) इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इसका ठीक से उपयोग नहीं करता है। विशेष रूप से, इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा स्रावित एक हार्मोन है जो कोशिकाओं में ग्लूकोज (चीनी) के अवशोषण में सहायता करता है।
अपर्याप्त इंसुलिन होने पर आपकी कोशिकाओं द्वारा चीनी का उपयोग नहीं किया जा सकता है; इसके बजाय, यह आपके रक्त में जमा हो जाता है और टाइप 1 डायबिटीज़ का कारण हो सकता है।
मधुमेह या डायबिटीज़ का इलाज करने के लिए लोग आमतौर पर दवा लेते हैं और व्यायाम और अच्छे आहार से अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करते हैं। हालाँकि फल एक संतुलित आहार का एक स्वस्थ हिस्सा हैं
लेकिन कुछ फलों में दूसरों की तुलना में अधिक प्राकृतिक शर्करा होती है, इस प्रकार बहुत अधिक सेवन करने से शुगर लेवल बढ़ सकता है। इसी वजह से शुगर मरीज़ यह निर्धारित नहीं कर पाते कि उन्हें पपीता खाना चाहिए या नहीं।
फल प्राकृतिक रूप से मीठे होते हैं। नेचुरल शुगर से भरे फल खाने से ब्लड शुगर लेवल प्रभावित हो सकता है, जिससे लोग फलों को लेकर आशंकित हो जाते हैं। हालाँकि, पपीता कई सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है इसलिए इसे कम मात्रा में सेवन करना ठीक और स्वस्थ है।
इसके अलावा, 60 के ग्लाइसेमिक इंडेक्स के साथ, पपीता ब्लड शुगर लेवल को तेजी से नहीं बढ़ाता है।
एक कप ताजे पपीते में लगभग 11 ग्राम चीनी होती है, जिसका अर्थ है कि ज्यादातर महिलाओं के लिए यह प्रति दिन 100 कैलोरी या लगभग 6 चम्मच चीनी से अधिक नहीं है। और उन लोगों के लिए जो प्रति दिन लगभग 150 कैलोरी या लगभग 9 चम्मच चीनी लेते हैं।
इसलिए शुगर मरीज़ों को अपनी शुगर मेनेज करने के लिए उसे सही सीमा में ही खाना चाहिए और अपनी कैलोरी के अनुसार उसे अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
USDA के अनुसार, 1 कप ताजे पपीते में 11 ग्राम चीनी होती है। पपीता डायबिटीज़ रोगियों के लिए एक्स्ट्रा शुगर के सेवन को रोकने में मदद करता है। साथ ही यह वैट मेनेजमेंट और ग्लुकोज़ लेवल कंट्रोल में भी सहायता करता है।
पपीता टाइप 2 डायबिटीज़ रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इसका कारण हैं इसका मीडियम जीआई। इस मीठे फल में अच्छी मात्रा में फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये दोनों ग्लूकोज़ के स्तर को स्वाभाविक रूप से नियंत्रण में रखने में सहायता करते हैं। इस प्रकार पपीते के हेल्थ बेनेफिट्स पाने के लिए शुगर के मरीज़ सीमित और मध्यम मात्रा में पपीता खा सकते हैं।
डायबिटीज़ के मरीज़ को प्रतिदिन कितनी मात्रा में पपीता खाना चाहिए – How much Papaya a Diabetic should eat in a Day?
पोषण विशेषज्ञ पपीते की थोड़ी मात्रा लेने की सलाह देते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल के स्पाइक को नियंत्रित करने में सहायता करता है। एक्स्पर्ट्स के अनुसार एक शुगर मरीज़ को रोज़ एक कप पपीते की मात्रा का सेवन करना सुरक्षित होता है।
फल में कम कैलोरी और मध्यम मात्रा में जैविक शर्करा होती है। इसलिए लोगों को अधिक मात्रा में पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए।
पपीते में भरपूर आहार फाइबर होता है। यह सिस्टम में ग्लूकोज़ को जल्दी से बढ़ने में देरी करता है जिससे शुगर लेवल अचानक नहीं बढ़ते। लोगों को दोपहर या शाम के नाश्ते के रूप में पपीता जरूर खाना चाहिए। साथ ही, डॉक्टर डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को रात में इस फल से परहेज करने की सलाह देते हैं।
पपीते के पत्ते शुगर लेवल को कम करने में मदद करते हैं। पपीते के पत्ते के जूस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स पैंक्रियाटिक बीटा सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं। नतीजतन, यह ब्लड शुगर को एक स्वस्थ सीमा के भीतर बनाए रखता है।
पपीते के स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits of Papaya
सदियों से, पपीते का उपयोग इसके विभिन्न औषधीय गुणों के लिए पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। पपीता आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसके कई हेल्थ बेनेफिट्स या स्वास्थ्य लाभ हैं।
वे हृदय रोग, डायबिटीज़ और कैंसर के रिस्क को कम करता है, पाचन में सहायता, डायबिटीज़ में ब्लड शुगर लेवल में नियंत्रण में सुधार, ब्लड प्रेशर को कम करने और घाव भरने में सुधार जैसी कई स्वास्थ्य स्थितियों में फायदा देते हैं।
अपने दैनिक आहार में इस मीठे-फ्लेशी फल को शामिल करना आपके स्वास्थ्य को अनेक फ़ायदे पहुंचा सकता है।
पाचन में सहायक और इनफ्लेमेशन को कम करता है – Helps in Digestion & Reduce Inflammation
मुख्य रूप से पपीते में पाए जाने वाले पपैन और काइमोपैन- दो प्रकार के एंजाइम होते हैं जो एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट होते हैं और पाचन में सहायता करते हैं। यह प्रोटीन को पचाकर सूजन या इनफ्लेमेशन को कम करते हैं।
वे तीव्र दर्द में भी सहायता कर सकते हैं, जैसे कि जलने या चोट लगने के कारण, साथ ही साथ गठिया और अस्थमा जैसे पुराने सूजन संबंधी परेशानियों में भी आराम पहुंचाते हैं। कुछ ओवर-द-काउंटर डाइजेस्टिव पिल्स में मध्यम पेट दर्द में मदद करने के लिए पपैन होता है।
इम्यूनिटी बढ़ाता है – Increases Immunity
विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करते हैं। चूंकि पपीते में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है, इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करने से शरीर बैक्टीरिया और वायरल बीमारियों से लड़ सकता है।
पपीता एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन ए का भी एक अच्छा स्रोत है, जो इसे एक प्रतिरक्षा-स्वस्थ आहार या हेल्दी इम्यूनिटी डाइट का हिस्सा बनाता है।
कैंसर से बचाता है – Prevents from Cancer
पपीते का चमकीला नारंगी रंग लाइकोपीन नामक प्राकृतिक वर्णक से मिलता है, जो प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क को कम करने से जुड़ा है।
उच्च लाइकोपीन आहार अपनाने से प्रोस्टेट कैंसर की घटनाओं में काफी कमी आ सकती है।
पपीते में मौजूद बीटा-कैरोटीन एंटीऑक्सीडेंट कैंसर के खतरे को कम करते हैं।
अस्थमा में मदद करता है – Helps in Asthma
जो लोग बीटा-कैरोटीन और विटामिन ए जैसे कुछ पोषक तत्वों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं उनमें अस्थमा के विकसित होने का रिस्क कम होता है। यह तत्व फेफड़ों में सूजन को रोकने और कम करने में मदद करते हैं। पपीते में प्रचुर मात्रा में यह पोषक तत्व पाए जाते हैं जो अस्थमा रोगियों की मदद करते हैं।
पपीते के सेवन से धूम्रपान करने वालों को भी लाभ होता है क्योंकि यह फेफड़ों की सूजन को कम करने में मदद करता है।
हड्डियों को मज़बूत बनाता है – Make Bones Stronger
पपीते में विटामिन-के होता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। पपीते में मौजूद एंजाइम काइमोपैन का हड्डियों के घनत्व (बोन डेंसीटी) और मजबूती में सुधार पर काफी प्रभाव पड़ता है।
हड्डियों की बेहतर संरचना के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन K महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कैल्शियम के अवशोषण में सुधार करता है और कैल्शियम के मूत्र उत्सर्जन को कम करता है। इस प्रकार हड्डियों को मज़बूत और पुनर्निर्माण के लिए शरीर में अधिक कैल्शियम बनाए रखता है।
पपीता डायबिटीज़ में फायदेमंद – Good in Diabetes
प्रीडायबिटीक लोग जो हाई फाइबर खाना खाते हैं उनमें ब्लड शुगर लेवल कम होते हैं और टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों में बेहतर ब्लड शुगर, लिपिड और इंसुलिन का स्तर होता है। इसलिए पपीते में मौजूद फाइबर शुगर लेवल कंट्रोल में मदद करता है। साथ ही, पपीते में एक मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और कम ग्लाइसेमिक लोड होता है, जिसमें छोटे पपीते में 3 ग्राम फाइबर और लगभग 17 ग्राम कार्ब्स होते हैं, इसलिए शुगर मरीज़ों के लिए सीमित मात्रा में पपीता खाना सुरक्षित होता है। इससे इसके कई पोषक तत्वों का लाभ भी मिलता है और शुगर लेवल भी नहीं बढ़ते।
पाचन में सुधार करता है – Improves Digestion
पपीते का उपयोग विभिन्न प्रकार के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इश्यू जैसे कि अपच, हार्टबर्न, एसिड रिफ्लक्स और पेट के अल्सर को पारंपरिक चिकित्सा में ठीक करने के लिए किया जाता है।
फाइबर से भरपूर पपीता हमारे पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है। इस अद्भुत फल में पपैन भी शामिल है जो एक प्रोटीन-घुलने वाला पाचक एंजाइम है जो पेट की परेशानी से राहत देता है और पाचन को आसान बनाता है।
पपीता प्रोटीन को तोड़कर, पाचन तंत्र को साफ करके और शरीर में वसा में प्रोटीन के रूपांतरण को कम करके पाचन में मदद करता है।
आपके दिल का ख्याल रखता है – Cares of your Heart
पपीते में फाइबर, पोटेशियम, विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट जैसे लाइकोपीन हाई अमाउन्ट में होता हैं जो हृदय रोग के रिस्क को कम करते है। फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट में उच्च आहार कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं, क्योंकि एंटीऑक्सिडेंट कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीकरण से रोकते हैं।
जब कोलेस्ट्रॉल ऑक्सीडाइज होता है, तो यह ब्लॉकेज बनने के जोखिम को बढ़ा देता है, इसलिए अपने आहार में पपीते को शामिल करने से हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
घाव भरने में मदद करता है – Helps in Healing Wounds
चोट पर मसला हुआ पपीता लगाने से घाव भरने में मदद करता है और जले हुए हिस्सों में संक्रमण को रोकता है। पपीते के यह हीलिंग गुण प्रोटियोलिटिक एंजाइम काइमोपैन और पपैन के कारण होते हैं। पपैन एंजाइम के साथ मलहम का उपयोग डीक्यूबिटस अल्सर और बेडोरस के इलाज के लिए भी किया जाता है।
डायबिटीज़ में पपीता किस समय खाएं? – At what time a Diabetic should eat Papaya?
पपीते में मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। इस प्रकार, इसे दिन या मिड-आफ्टरनून में लेना सबसे अच्छा है। इससे इसके ग्लुकोज़ को दिनभर उपयोग में लिया जा सकता है। डायबिटीज़ के मरीज़ों को रात में पपीता नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस समय इससे मिलने वाले ग्लुकोज़ और शुगर का उपयोग नहीं हो पाता और यह शुगर लेवल बढ़ा सकता है।
हालांकि जिन लोगों को डायबिटीज़ नहीं है वो लोग इसे रात में खाएं। इसमें लेक्सेटिव गुण होते हैं जो इसे दस्तावर बनाते है। रात में इसे खाने पर सुबह पेट अच्छे से साफ होता है और कब्ज़ की परेशानी खत्म हो जाती है।
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पपीते को अपनी डाइट में शामिल करने के तरीके – Ways to include Papaya in your Diet
इस नरम और रसीले फल को अपनी डाइट में शामिल करने के कई आसान तरीके हैं। पपीता सीधे खाने में स्वादिष्ट होता है लेकिन आप इसे दिलचस्प ट्विस्ट देकर और भी स्वादिष्ट बना सकते हैं। पपीते से निम्नलिखित स्वादिष्ट और सेहतमंद व्यंजन तैयार किये जा सकते हैं:
पपीता सलाद या सोम तुम – Papaya Salad or Som Tum
पपीता सलाद या थाई में सोम तुम के नाम से प्रसिद्ध, यह कच्चा पपीता सलाद सबसे अच्छा एपेटाइज़र है। आइए जानते हैं इसे बनाने का तरीका:
सामग्री
- कटा हुआ हरा पपीता: 3 कप
- हरी मिर्च : 2
- फिश सॉस: 2 बड़े चम्मच
- नीबू का रस: बड़ा चम्मच
- चेरी टमाटर: 10
- झींगा: 1 कप धोया और सुखाया हुआ
- हरी बीन्स: 10
- कच्ची मूंगफली: 3 बड़े चम्मच, भुनी हुई
विधि
स्टेप 1: चेरी टमाटर को एक मिक्सिंग बाउल में डालकर बनाना शुरू करें। इसमें सूखे झींगे और मूंगफली, साथ ही मछली की चटनी या फिश सॉस डालें।
स्टेप 2: कटी हुई हरी बीन्स के साथ मिश्रण में नींबू का रस मिलाएं।
स्टेप 3: सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाएं। अब इसे एक चुटकी नमक के साथ सीज़न करें।
स्टेप 4: अब स्टार इंग्रीडिएंट आता है, इसमें कटा हुआ पपीता और हरी मिर्च डालें। सामग्री को धीरे से मिलाएं। अब आप कच्चे पपीते का सलाद परोस सकते हैं। यह सी फूड की एक हेल्दी रेसीपी है।
पपीता पंच रेसिपी – Papaya Panch
पपीता पंच संतरे के रस, खुबानी और दालचीनी से तैयार एक मॉकटेल है। यह नॉन-एल्कोहॉलिक ड्रिंक गर्मी के दिनों के लिए एकदम सही है और बनाने में भी आसान है।
सामग्री
- संतरे का रस: 1/2 कप
- दालचीनी : 1 पीस
- पपीता: 1/2 कप
- खुबानी: 1 मुट्ठी
- आइस क्यूब्स: आवश्यकता के अनुसार
विधि
स्टेप 1: खुबानी के टुकड़ों को उबाल लें और उन्हें छान लें। अब इसे ठंडा होने के लिए अलग रख दें।
स्टेप 2: एक शेकर में, पपीते की प्यूरी और बची हुई सामग्री डालें।
चरण 3: शेकर में छाने हुए एप्रीकॉट लिक्विड को भरें। इस मॉकटेल को आइस क्यूब्स के साथ सर्व करें।
पपीते का हलवा रेसिपी – Papaya’s Halva
यह पोषण से भरपूर, मीठा-पल्पी उष्णकटिबंधीय फल आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। आप इस गूदेदार फल का कई तरह से आनंद ले सकते हैं जैसे पपीते का हलवा जो एक स्वादिष्ट मिठाई है। आप इसे आसानी से रसोई की बुनियादी सामग्री जैसे दूध पाउडर, चीनी, हरी इलायची, घी और पपीते के साथ बना सकते हैं।
सामग्री
- पपीता: 5 कप कद्दूकस किया हुआ
- चीनी: 6 बड़े चम्मच
- मिल्क पाउडर: 2 1/2 टेबल स्पून
- घी: 4 बड़े चम्मच
- हरी इलायची: 4 पीसी हुई
- काजू: 15 ग्राम आधा किया हुआ
विधि
स्टेप 1: पपीते का हलवा बनाने के लिए मध्यम आंच पर एक गहरे तले की कड़ाही में घी पिघलाएं। पिघले हुए घी में कद्दूकस किया हुआ पपीता डालें और लगभग 10 मिनट तक उबालें। तब तक हिलाते रहें जब तक कि फल अपना सारा रस न छोड़ दे और उसका रंग बदल न जाए।
स्टेप 2: अब इसमें चीनी डालकर तब तक गर्म करें जब तक पके या भुने हुए पपीते में घी अलग न होने लगे।
स्टेप 3: अब हलवे में मिल्क पाउडर और हरी इलायची पाउडर डालें और इसे लगातार चलाते हुए मध्यम आंच पर 10 मिनट तक उबलने दें।
स्टेप 4: हलवे को काजू से गार्निश करें और तुरंत परोसें।
पपीते के साइड इफेक्ट – Side Effects of Papaya
हालाँकि पपीता आम तौर पर खाने के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते है। गर्भवती महिलाओं को पपीते (कच्चे और आधे पके पपीते) से बचना चाहिए क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में लेटेक्स होता है जो गर्भाशय के संकुचन को प्रेरित करने के लिए जिम्मेदार होता है और गर्भपात या मिसकेरेज का कारण बन सकता है। पपीते में प्राकृतिक शर्करा या नेचुरल शुगर होती है, इसलिए यदि आप किसी भी कारण से चीनी से बचने की कोशिश कर रहे हैं, तो जितना आवश्यक हो उतना ही सेवन करें।
आइए जाने कुछ संभावित स्वास्थ्य समस्याएँ जो एक व्यक्ति को हो सकती हैं यदि वह अधिक मात्रा में पपीता खाता है या उसका कोई चिकित्सीय इतिहास रहा हो:
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है – Affects Central Nervous System
पपीता और इसके काले बीजों में एक संभावित जहरीले एंजाइम कार्पिन या कारपेरिन की मात्रा होती है, जो तंत्रिका केंद्रों को सुन्न कर सकती है और ब्लड वेसेल के संकुचन को प्रेरित कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों में पक्षाघात (पेरालिसिस) या हार्ट डिप्रेशन हो सकता है।
लेटेक्स एलर्जी को बढ़ावा देता है – Promotes Latex Allergy
हालांकि पपीते के कई फायदे हैं लेकिन यह उन लोगों में इसोफेजियल डिस्कॉमफ़र्ट पैदा कर सकता है जो पपैन के प्रति संवेदनशील हैं। यह एक एंजाइम है जो कच्चे पपीते के फल में पाया जाता है जो लेटेक्स एलर्जी को ट्रिगर करने से जुड़ा हुआ है। लेटेक्स से एलर्जी वाले लोगों को पपीते के साथ सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह दस्त का कारण बन सकता है।
ब्लड शुगर लेवल को कम करता है – Reduces Blood Sugar Level
डायबिटीज़ वाले लोगों को पपीते का सेवन मध्यम या सीमित मात्रा में करना चाहिए क्योंकि इसमें मौजूद हाई फाइबर ब्लड शुगर लेवल को कम करता है। पपीता कई डाईबिटीज़ दवाओं के साथ इंटरेक्ट कर सकता है और आपके शुगर लेवल को और कम कर सकता है। इसलिए इसे अपने खाने में शामिल करने से डॉक्टर से परामर्श करें खासकर यदि आप डायबिटीज़ की दवा लेते हैं।
कई अन्य प्रकार की एलर्जीज़ को ट्रिगर करता है – Triggers many other type of Allergies
पपीते में मौजूद पपैन या फूलों के पराग कुछ एलर्जी को ट्रिगर कर सकते हैं। इन साइड इफ़ेक्ट्स में शामिल है सूजन, भटकाव, सिरदर्द, चकत्ते और खुजली।
साँस-संबंधित समस्याओं को बढ़ावा देता है – Promotes Breathing Related Problems
पपीते में पपैन एंजाइम एक एलर्जेन है जो सांस की समस्याओं जैसे अस्थमा, कंजेशन और घरघराहट को बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion
पपीते के कई फायदे हैं जैसे यह पोषक तत्वों से भरपूर और खाने में स्वादिष्ट होता है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट, जैसे लाइकोपीन आदि होते हैं जो कई बीमारियों के रिस्क को कम कर सकते हैं, विशेष रूप से जो हृदय रोग और कैंसर से जुड़े हैं।
मध्यम मात्रा में पपीता खाने से न केवल कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपकी दैनिक आवश्यकता पूरी हो सकती है, बल्कि यह आपके पाचन तंत्र को भी मदद करेगा। यह मासिक धर्म की ऐंठन को शांत करता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है।
इसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए और इसके साइड इफ़ेक्ट्स से बचने के लिए कम मात्रा में पपीता खाएं।
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions
पपीता खाने का सही समय क्या है?
डायबिटिक रोगियों को दिन में पपीता खाना चाहिए क्योंकि यह दिन में खाने पर शुगर लेवल को नहीं बढ़ाता। दिन में इसमें मौजूद ग्लुकोज़ का उपयोग शरीर आसानी से कर लेता है जिससे शुगर लेवल नहीं बढ़ते। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स मीडियम और जीएल कम होता है और यह हाई फाइबर फ्रूट है इसलिए दिन में इसे सीमित मात्रा में लेने पर इसके स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
जिन लोगों को डायबिटीज़ नहीं है उन लोगों को पपीते का सेवन रात में करना अच्छा होता है क्योंकि यह एक रेचक या लेक्सेटिव है जो कोलन को साफ करता है और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
दूसरी ओर, खाने के बाद कम से कम 4-5 घंटे तक फलों से परहेज करना चाहिए। इसलिए, यदि आप रात में पपीता खाना चाहते हैं, तो सोने से कुछ घंटे पहले पपीता खाना सुनिश्चित करें।
क्या पपीता खाने से डायरिया हो सकता है?
जबकि पपीता फाइबर में उच्च है और पाचन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, इसके बहुत अधिक सेवन से रेचक प्रभाव या लेक्सेटिव इफेक्ट हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पेट में ऐंठन, दस्त और पेट खराब हो सकता है।
क्या पपीता खाने से गर्भवती महिला का गर्भपात हो सकता है?
अक्सर गर्भवती महिलाओं को पपीता नहीं खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है। हालांकि, डॉक्टर पूरी तरह से पके पपीते को खाने की सलाह देते हैं क्योंकि कच्चे या थोड़े से पके पपीते में लेटेक्स होता है, जिसमें पपैन नामक एंजाइम होता है। बड़ी मात्रा में पपैन लेने से गर्भाशय में संकुचन प्रेरित होता है और इससे गर्भपात हो सकता है।
चूंकि पपीते के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं, इसलिए इसे गर्भावस्था के दौरान खाना एक अच्छा विकल्प है लेकिन यह पका हुआ होना चाहिए।
क्या शुगर के मरीज पपीता खा सकते हैं?
पपीते की न्यूट्रीशनल वेल्यू यह बताती है कि इसके मीठे स्वाद के बावजूद भी इसमें हाई फाइबर और कम चीनी होती है। इसलिए यह शुगर मरीज़ों के लिए एक अच्छा स्नैकिंग विकल्प है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि नियमित रूप से पपीता खाने से टाइप-2 डायबिटीज़ की प्रगति धीमी हो जाती है।
क्या में रोज़ पपीता खा सकता हूँ?
पपीते को चाट, सलाद या जूस के रूप में ले सकते हैं। इसके हेल्थ बेनेफिट्स को प्राप्त करने के लिए आप इस सुपरफ्रूट को अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जो इसे एक बेहतर फ्रूट चॉइस बनाता है। नॉन-डायबिटिक लोगों के लिए भी इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। रोज़ एक कटोरी पपीता खाने से आप इसके लाभ बिना शुगर बढ़ने की चिंता के साथ ले सकते हैं। यह आपको एक्टिव रखता है और इम्यूनिटी भी बढ़ाता है। इसका जीआई मीडियम होता है और जीएल कम होता है जिसकी वजह से यह डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए सीमित मात्रा में खाने पर सुरक्षित और हेल्दी माना जाता है।
संदर्भ – References
http://blogtest.breathewellbeing.in/blog/is-papaya-good-for-diabetes/
http://blogtest.breathewellbeing.in/blog/add-papaya-to-your-diet-for-these-10-amazing-health-benefits/Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal
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