Last updated on मार्च 13th, 2023
प्राचीन काल से बेल फल को आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य समस्याओं, खास कर पाचन से जुड़ी समस्याओं के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेल डाईबिटीज़ के लोगों के लिए बहुत लाभकारी है और उनके शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है।
बेल क्या होता है? – What is Bael Fruit in Hindi?
बेल या एप्पल वुड को संस्कृत में बिल्वा के रूप में भी जाना जाता है। यह मुख्यतया भारत, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में उगाया जाता हैं।
बेल में टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और कुमारिन नामक रसायन या केमिकल्स होते हैं। ये रसायन इनफ्लेमेशन (सूजन) को कम करने में मदद करते हैं। यह अस्थमा, दस्त जैसी परेशानियों के इलाज करने में मदद करते है। साथ ही, इसमें पाए जाने वाले कुछ केमिकल्स या कंपाउंड शुगर लेवल को कम करने में मदद करते हैं।
बेल का वानस्पतिक नाम एगल मार्मेलोस है। यह एक मध्यम आकार का पेड़ होता है, जिसमें पतली शाखाएं, हल्के भूरे रंग की छाल होती है जो अक्सर एक खाने वाली गोंद छोड़ती है।
बेल के फल गोल व बाहर से कठोर होते हैं और पकने पर भी नहीं फटते। कच्चे फल हरे-भूरे रंग के दिखते हैं, जबकि लकड़ी के बाहरी भाग पकने पर पीले हो जाते हैं। पके फल में लगभग 10 से 15 बीजों के साथ खुशबूदार गूदा होता है..
प्राचीन भारतीय इस फल को मौसमी संक्रमणों से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खाते थे। हालाँकि, इसके अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इस ब्लॉग में जानते हैं बेल के स्वास्थ्य लाभ और डाईबिटीज़ में बेल फल के फायदों के बारे में।
यदि आपको टाइप 2 डाइबीटीज़ है, तो यह फल आपके ब्लड ग्लुकोज़ लेवल को कंट्रोल करने में बहुत सहायक हो सकता है।
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बेल के पोषक तत्व – Bael’s Nutritional Value in Hindi
एगल मार्मेलोस या भारतीय बेल को स्टोन एप्पल या वुड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में, बेल के फल, बीज, पत्ते, फूल, जड़ और यहां तक कि बेल के पेड़ की छाल का भी कई ओषधियों में उपयोग किया जाता रहा है।
हालांकि बेल के सभी हिस्से किसी न किसी ओषधि में उपयोग किये जाते हैं लेकिन इसका फल सबसे ज़्यादा खाया जाता है। यह पॉलीफेनोल्स और फ्लेवोनोइड्स से भरपूर होता है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। फल में विटामिन ए, बी कॉम्प्लेक्स विटामिन और विटामिन सी भी होता है। फल फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और पोटेशियम का एक बड़ा स्रोत है।
100 ग्राम बेल फल की न्यूट्रीशनल वेल्यू या पोषण मूल्य है:
- ऊर्जा: 129 से 142 किलो कैलोरी
- पानी: 61 से 64 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट: 30 से 34 ग्राम
- फैट: 0.2 से 0.4 ग्राम
- प्रोटीन: 1.6 से 1.87 ग्राम
- रेशा: 2.2 से 3 ग्राम
- पोटैशियम: 585 से 610 मिलीग्राम
- कैल्शियम: 85 मिलीग्राम
- फ़ास्फ़रोस: 50 से 52 मिलीग्राम
- विटामिन सी: 8 से 10 मिलीग्राम
- विटामिन ए: 55 माइक्रोग्राम
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बेल का ग्लाइसिमिक इंडेक्स – Bael Glycemic Index in Hindi
बेल एक लो जीआई फूड है। बेल के रस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर 0 से 55 के बीच है, जो इसे डाइबीटिक लोगों के लिए सुरक्षित रस बनाता है। साथ ही बेल कोशिकाओं और ऊतकों में ग्लूकोज के अवशोषण में सुधार करने के साथ अग्नाशयी बीटा कोशिकाओं के कार्य में भी सुधार कर सकता है। इन्हीं गुणों के कारण यह डाईबिटीज़ पेशेंट के लिए एक सुरक्षित और बेस्ट चॉइस है।
बेल का फल और मधुमेह – Bael Fruit & Diabetes in Hindi
बेल का फल डाईबिटीज़ को नियंत्रित करने में कारगर साबित हुआ है। हालांकि कई लोगों को इसे ले कर संदेह है लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ की अलग राय है। हर सुबह एक गिलास बेल के रस का सेवन करने से इसमें मौजूद लेक्सेटिव या रेचक ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
कई अध्ययनों से पता चला है कि बेल के फल, पत्तियों और बीजों का अर्क अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। यह बेल फल में मौजूद फ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट के कारण हो सकता है।
बेल के फल, बीज और पत्ते अग्न्याशय की सुरक्षा करते हैं और टाइप 2 डाईबिटीज़ में इंसुलिन उत्पादन में सहायता करते हैं।
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि बेल के फल और पत्तियों का अर्क आपकी कोशिकाओं और ऊतकों में इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम कर सकता है। यह आपकी कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज के अवशोषण में सुधार करके आपके ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद कर सकता है।
बेल के फल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) स्कोर कम होता है और यह फाइबर से भरपूर होता है। कम जीआई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने पर आपके रक्त शर्करा के स्तर में ज़्यादा वृद्धि नहीं होती है।
इसके अलावा, डाइटरी फाइबर आपके आंत से कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज़ के अवशोषण को धीमा कर देता है, जो आपके रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने में मदद करता है। इसलिए बेल का फल डाइबीटिक पेशेंट्स के लिए आदर्श है।
माना जाता है कि बेल के पेड़ की छाल और शाखाओं में मौजूद सक्रिय घटक “फेरोनिया गम” डाईबिटीज़ को नियंत्रित करने में सहायक होता हैं। यह रक्त प्रवाह में कोशिकाओं से इंसुलिन के उत्पादन को नियंत्रित करता है और बेल का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखता है।
आयुर्वेद में, मधुमेह या डाईबिटीज़ के लिए बेल एक जानी मानी ओषधि है।
हर सुबह एक गिलास बेल का रस (खाली पेट नहीं) मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है।
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बेल के स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits of Bael in Hindi
डायरिया और हैजा को रोकता है – Prevents Diarrhea & Cholera
बेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पैरासिटिक गुण और टैनिन की उपस्थिति शिगेलोसिस नामक संक्रमण से लड़ने में मदद करती है जो दस्त का कारण बनता है और हैजा का इलाज करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि पके बेल का रस या सिर्फ गूदा बनाकर सेवन करने से हैजा और दस्त ठीक हो जाते हैं।
पाचन और कब्ज में सहायक – Helps in Digestion & Constipation
बेल अपने एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुणों के कारण कई पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए एक उपयुक्त फल है। पेट के अल्सर से पीड़ित लोगों को इसे खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसकी पत्तियों में टैनिन की उच्च मात्रा सूजन या इनफ्लेमेशन को कम करती है। बेल के रेचक गुण (लेक्सेटिव प्रॉपर्टीज़) आंतों को साफ करने और कब्ज को रोकने में मदद करते हैं।
एक चुटकी नमक और काली मिर्च के साथ बेल के रस का नियमित सेवन कब्ज का एक चमत्कारी इलाज माना जाता है।
कान के दर्द को सही करता है – Helps in treating Ear’s Pain
बहुत कम लोग बेल के इस गुण को जानते हैं लेकिन यह कान के दर्द को ठीक करने में बहुत प्रभावी होता है। बेल के एंटी-बैक्टीरियल गुण संक्रमण का इलाज करने और कान से जमी हुई मोम (वेक्स) को हटाने में मदद करते हैं, जिससे सुनने से संबंधित समस्याओं को रोका जा सकता है।
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कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है – Helps in controlling Cholesterol
बेल शरीर से एएमए विषाक्त पदार्थों को निकालकर शरीर को डीटाक्स करता है। यह ट्राइग्लिसराइड्स, सीरम और टिश्यू लिपिड प्रोफाइल को नियंत्रित करता है और शरीर के भीतर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (यानी कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या खराब कोलेस्ट्रॉल) को भी कम करता है। इसके परिणामस्वरूप मेटाबोलिज़्म में सुधार होता है जो वज़न कम करने में मदद करता है।
स्कर्वी के लिए बेल – Helps in treating Scurvy
स्कर्वी एक ऐसा रोग है जो शरीर में विटामिन सी की कमी के कारण होता है जिसके कारण हाथ पैरों में दर्द और कमजोरी हो जाती है। विटामिन सी से भरपूर बेल विटामिन सी की कमी से पीड़ित लोगों के लिए वरदान के रूप में काम करता है और कुछ ही समय में बीमारी को ठीक कर देता है।
रक्त शोधक या ब्लड पयुरिफाइर के रूप में – Works as Blood Purifier
यह एक रक्त शोधक है क्योंकि यह खनिजों या मिनरल से भरपूर है जो शरीर से सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफाइंग एजेंट है। इस प्रकार यह, किडनी और लिवर की शिथिलता को रोकता है।
त्वचा की समस्याओं को सही करता है – Helps in Treating Skin Problems
बेल में एंटी-बैक्टीरियल गुणों की मौजूदगी के कारण, यह त्वचा के संक्रमण के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है। यह त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
त्वचा के चकत्तों को ठीक करता है – Helps in treating Skin Rashes
बेल के पौधे में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की मौजूदगी इसे त्वचा की कई समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। बेल की पत्ती का अर्क और बेल का तेल हानिकारक प्रकार के फंगस को मारता है जो गंभीर त्वचा संक्रमण का कारण बन सकता है। यह त्वचा पर होने वाले रैशेज और खुजली को ठीक करने में भी फायदेमंद हो सकता है।
सूजन वाली त्वचा को आराम देता है – Helps in Swelling Skin
बेल की जड़, छाल, पत्तियों और फलों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण एक प्राकृतिक और हल्के कसैले हैं। इन सभी प्रभावी गुणों से भरपूर यह अद्भुत फल असंतुलित पित्त दोष पर काम करता है और सूजी हुई त्वचा को आराम देता है।
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कोलेजन उत्पादन बढ़ाता है – Increase Collagen Production
बेल का रस विटामिन सी के साथ-साथ शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध स्रोत है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करता है। यह शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के लक्षणों को रोकता है और इस प्रकार कोलेजन उत्पादन को बढ़ाता है और एजिंग को रोकता है।
हृदय स्वास्थ्य में सहायक – Good for Heart Health
एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और कार्डियो-सुरक्षात्मक फल होने की वजह से बेल हृदय स्वास्थ्य पर एक अच्छा प्रभाव डालता है। यह हृदय से संबंधित कई बीमारियों के इलाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह न केवल हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है, रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है बल्कि लिपिड संचय को भी रोकता है जिसकी वजह से एथेरोस्क्लेरोसिस, हृदय ब्लॉक, दिल के दौरे, रक्त के थक्के आदि के जोखिम कम हो जाते है।
डाईबिटीज़ मेनेजमेंट में मदद करता है – Helps in Diabetes Management
बेल की छाल और शाखाएं एक यौगिक- फेरोनिया गोंद से भरपूर होती हैं जो बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को कम करती हैं। आयुर्वेद में, मधुमेह के लिए बेल एक आवश्यक ओषधि है। बेल अग्न्याशय को उत्तेजित या स्टिमुलेट करता है और उन्हें इंसुलिन का उत्पादन करने में मदद करता है जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
इम्युनिटी बूस्टर – Immunity Booster
बेल का रस विटामिन सी कोऔर एंटीऑक्सीडेंट का एक पावरहाउस है जो इम्यूनिटी बढ़ाता है। मानसून के दौरान बेल का रस पीने से बैक्टीरिया और वायरस के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।
मां में दूध उत्पादन को बढ़ाता है – Increase mother’s milk Production
बेल का दैनिक सेवन प्रोलैक्टिन और कॉर्टिकोइड्स के उत्पादन को उत्तेजित कर सकता है। यह गैलेक्टागॉग क्रिया को बढ़ाता है और इस प्रकार दुद्ध निकालने और स्तन के दूध की गुणवत्ता या क्वालिटी में सुधार करने में मदद करता है। अच्छे परिणाम के लिए माताओं को बेल के रस में सोंठ का चूरा और गुड़ मिलाकर पीना चाहिए।
श्वसन संबंधी समस्याओं में सहायक – Good for breathing related Problems
एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बायोटिक और एंटी-दमा गुणों से भरपूर, बेल आम सर्दी, खांसी और फ्लू के लक्षणों के इलाज में बहुत महत्वपूर्ण है। यह छाती और नाक के भीतर जमा हुए म्यूकस को पतला और ढीला करता है जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह शरीर को बलगम से छुटकारा पाने में मदद करता है। यह ब्रोंकाइटिस और दमा की स्थिति के इलाज में भी फायदेमंद है।
बालों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा – Good For Hair Health
होलिस्टिक हेल्थ को बढ़ाने के साथ ही बेल बालों के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। पौधे के एंटी-माइक्रोबियल गुण सर और बालों के संक्रमण जैसे फॉलिकुलिटिस, खुजली और रूसी का इलाज करते है। यह आवश्यक पोषक तत्वों के साथ बालों की जड़ों को पोषण देता है, रक्त परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) में सुधार करता है और बालों की जड़ों को मजबूत करता है। स्ट्रेस हार्मोन के स्राव को सामान्य करके यह तनाव और चिंता के कारण बालों का गिरना और टूटना भी रोकता है।
कैंसर के खतरे को कम कर सकता है – Decrease the risk of Cancer
बेल के फल के अर्क में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं। यह कैंसर के खतरे को कम करने के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि नियमित रूप से इस रस का सेवन स्तन कैंसर को रोकता या ठीक करता है।
बेल को अपनी डाइट में शामिल करने के तरीके – How to Include Bael in you Diet in Hindi?
बेल के फल का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है जिससे इस अद्भुत फल के गुणों को पाया जा सकता है। आइए जाने बेल को अपनी डाइट में कैसे शामिल किया जा सकता है:
- बेल के फल के पक जाने पर उसका सेवन कर सकते हैं।
- बेल के फलों का गूदा निकालकर, मसल कर 2 से 3 घंटे के लिये पानी में भिगो कर रस बना सकते हैं। इसे छानकर इसका जूस पिएं। बेल का फल या बेल का रस डाईबिटीज़ पेशेंट को लाभ पहुंचाता है।
- बेल के गूदे को स्मूदी या लस्सी में मिला सकते हैं।
- बेल की चटनी बना सकते हैं, जिसे स्प्रेड या डिप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
बेल का जूस कैसे बनाएं? – How to make Bael Juice in Hindi?
बेल का रस गर्मियों के मौसम में उत्तर पूर्वी भारत के घरों में बनाई जाने वाली एक ट्रेडिशनल रेसीपी है। इसे बनाना आसान है।
विधि:
सबसे पहले बेल का फल लीजिए, इसे धो लीजिए और इसके सख्त छिलके को चारों तरफ से तोड़ लीजिए। जब यह टूट जाए तो इसके गूदे को एक कटोरे में निकाल लें। गूदे को नरम होने तक मैश करें और किसी भी ठोस कण या अशुद्धियों को हटाने के लिए मिश्रण को छान लें। आप चाहें तो बेल के गूदे में ठंडा दूध, इलायची पाउडर, गुड़ और काला नमक मिला सकते हैं।
बेल से बनी कुछ अन्य रेसिपी – Some other Recipes of Bael in Hindi
अब आप बेल के फायदों के बारे में जान चुके हैं तो आइए कुछ आसान बेल रेसिपी आइडियाज़ देखें जिन्हें आप आसानी से घर में आज़मा सकते हैं:
बेल स्मूदी – Bael Samudi
3 बेल के फल के गूदे को गुड़ (देशी चीनी), इलायची और थोड़े से पानी (पसंद के अनुसार) के साथ मिलाएं। नियमित सेवन स्वादिष्ट और ताज़ा होने के साथ मल त्याग में मदद कर सकता है।
बेल मोजिटो – Bael Mojito
यह गर्मी के दिनों में बहुत अच्छा होता है। इसे बनाने के लिए 1 बेल के रस में स्वाद के लिए चीनी, काली मिर्च, काला नमक, नींबू का रस और बर्फ के टुकड़े मिलाएं और इसका आनंद लें।
बेल चटनी – Bael Chatni
स्नैक्स या परांठे जैसे फ्लैटब्रेड के लिए यह एक बेस्ट चटनी है। इसे बनाने के लिए ब्राउन शुगर, काला नमक, जीरा, काली मिर्च पाउडर, सौंफ, नियमित नमक और लाल मिर्च पाउडर के साथ 12 बेलों को मिलाकर इसकी चटनी बनाएं। इसे मीडीअम लो हीट पर पेस्ट की कॉनसिस्टेंसि में आने तक पकाएं।
बेल जैम – Bael Jam
यह चटनी का रूप है लेकिन ज़्यादा मीठा। इसमें तीन सामग्रियों का उपयोग करें – बेल, चीनी और नींबू का रस। इसे लो-मीडीअम हीट पर पकाएं जब तक यह जेम की कॉनसिसटेनसी में ना आ जाए।
बेल की लस्सी – Bael Lassi
दही के लाभ के साथ, यह रस आपके पाचन के लिए वरदान होने के साथ-साथ आपको तरोताजा महसूस कराएगा। 1 बेल फल को पानी (3 कप), दही (आधा कप), स्वाद के लिए चीनी या शहद, आधा चम्मच चाट मसाला पाउडर के साथ ब्लेंड करें और बेल लस्सी का आनंद लें। अगर चाहे तो इसमें गिलास के ऊपर बर्फ का क्यूब भी डाल सकते हैं।
बेल के साइड इफ़ेक्ट्स – Side Effects of Bael in Hindi
बेल वैसे तो गुणों से भरपूर है और स्वास्थ्य लाभ देता है लेकिन इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट्स भी होते है:
- ज़्यादा मात्रा में बेल खाने से पेट खराब और कब्ज हो सकता है।
- अधिक मात्रा में लेने पर कच्चा फल हाइपरएसिडिटी का कारण बन सकता है।
- गले/आवाज से संबंधित समस्याओं में इसे कच्चा नहीं खाना चाहिए।
- डाईबिटीज़ में बेल रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है। यदि आपको डाईबिटीज़ है और आप अपने शुगर लेवल को कम करने के लिए दवाएँ लेते हैं, तो बेल के सेवन से शुगर लेवल और कम हो सकते हैं जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति बन सकती है।
निष्कर्ष
बेल का फल व रस दोनों अपार गुणों से भरपूर होते हैं। इसमे एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल भरपूर मात्र में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें अच्छी मात्रा में डाइटरी फाइबेर भी पाया जाता है।
यह आपके शरीर के सभी अंगों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदड करता है। इसमें एंटी-बेक्टेरियल, एंटी-फंगल, एंटी-वायरल गुण होते हैं जिससे संक्रमण, फ्लू, सामान्य सर्दी, बालों और त्वचा की समस्याओं आदि को कम करने में मदद मिलती है।
बेल या बिल्व के इन्हीं व्यापक लाभों के कारण आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। प्राचीन आयुर्वेदिक शास्त्रों में भी बेल का उल्लेख “दशमूल” में से एक के रूप में किया गया है, यानी इसकी जड़ों में सूजन-रोधी (एंटीइनफ्लेमेट्री) और दर्द निवारक गुण होते हैं। बेल के पेड़ के प्रत्येक भाग का चिकित्सकीय लाभ होता है।
फल में कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा) और कषाय (कसैला) गुण होते हैं। इसमें उष्ण वीर्य (गर्म शक्ति) और कटु विपाक (यानी तीखे चयापचय गुण) हैं। यह पित्त दोष (पाचन) को बढ़ाता है और वात (वायु) और कफ (पृथ्वी और जल) दोषों को शांत करता है।
इसे कच्चा खाने पर पाचन में सुधार और कब्ज को रोकने में बहुत प्रभावी होता है।
पके फल का मीठा स्वाद होता है, लेकिन यह तीनों दोषों को बढ़ाता है। हालांकि, यह डायरिया और हैजा के इलाज और ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पौधे की जड़ें उल्टी और मतली को रोकती हैं।
पौधे की पत्तियों का चूर्ण तीनों दोषों को संतुलित करता है और पेट के दर्द, अपच और जठरशोथ को रोकने में प्रभावी है।
पौधे के तने या छाल का काढ़ा दिल से संबंधित बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, पाचन में सुधार करता है और संधिशोथ का इलाज करता है।
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या हम खाली पेट बेल का जूस पी सकते हैं?
खाली पेट बेल का जूस पीने से बचे। इसमे पित दोष होता है जो खाली पेट लेने से कई तरह के पाचन से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है। यह प्राकृतिक रूप से मीठा होता है और एनर्जी देता है इसलिए कसरत के बाद इसे लेने के कई फ़ायदे हैं। ना ये आपको एक्स्ट्रा एनर्जी देता है बल्कि मीठे के शौकीन लोगों को कम दुष्प्रभाव के साथ मीठा खाने का ऑप्शन देता है। हर रोज एक गिलास बेल का रस पीना उपयुक्त है।
क्या बेल के रस से गैस होती है?
बेल का सेवन पाचन और पेट के लिए उपयुक्त माना जाता है। लेकिन बेल के शर्बत या फल का अधिक सेवन करने से पेट से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इससे अपच, कब्ज और पेचिश जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा कई बार पेट में दर्द और सूजन भी हो सकती है
क्या बेल लीवर के लिए अच्छा है?
जी हां, बेल लिवर के लिए अच्छी होती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। बेल के पत्ते शराब के सेवन से होने वाले नुकसान से लीवर की रक्षा करते हैं
डाईबिटीज़ में बेल के अधिक सेवन के क्या साइड इफेक्ट हैं?
वैसे तो बेल के अनेक स्वास्थ्य लाभ है लेकिन डाईबिटीज़ के लोगों को इसकी मात्रा पर ध्यान रखना चाहिए। बेल में एंटी-डाइबीटिक गुण होते है जो शुगर लेवल को कम करते है। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से वबलूद शुगर लेवल में और गिरावट आ सकती है जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति बन सकती है। साथ ही अगर आप डाईबिटीज़ की दवा ले रहें हैं तो इसके सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।
डाईबिटीज़ में आपको कितनी मात्रा और कितनी बार बेल का सेवन करना चाहिए?
बेल के फल के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन आपको फल का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। एक गिलास (250 मिली) बेल का रस या एक मध्यम आकार का बेल का फल (100 से 150 ग्राम) सुबह के समय सेवन के लिए पर्याप्त होता है। पर ध्यान रहें इसे खाली पेट न लें।
संदर्भ:
https://www.netmeds.com/health-library/post/bael-medicinal-uses-therapeutic-benefits-for-skin-diabetes-and-supplementsLast Updated on by Dr. Damanjit Duggal
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