एक कप कॉफी आपको तरोताज़ा कर देती है। क्या आप भी उनमें से एक हैं जो कॉफी के बिना अपने दिन के बारे में नहीं सोच सकते। लेकिन क्या कॉफी आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी है।
पहले कॉफी कॉ काफी हानिकारक माना जाता था लेकिन कई शोध बताते हैं कि कॉफी आपको कई प्रकार के कैंसर, लीवर की समस्याओं और यहां तक कि अवसाद या डिप्रेशन से बचाने में मदद करती है। लेकिन क्या कॉफी टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए भी उतनी ही सुरक्षित है? क्या डायबिटीज़ में आप कॉफी पी सकते हैं, जानते हैं इस ब्लॉग में।
हालांकि कॉफी टाइप 2 डायबिटीज़ के रिस्क को कम करती हैं लेकिन अगर आपको पहले से ही टाइप 2 डायबिटीज़ है तो यह आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
कैफीन किसी व्यक्ति की इंसुलिन संवेदनशीलता या इंसुलिन सेंसिटीवीटि को कम कर सकता है। इसका मतलब है कि शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन हार्मोन के प्रति अच्छे से रिएक्ट नहीं कर पाती जितना उन्हें करना चाहिए। ऐसे में कैफीन आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। इसकी वजह से कई तरह की डायबिटीज़ संबंधित जटिलताऐं बढ़ सकती है।
डायबिटीज़ क्या है? – What is Diabetes?
डायबिटीज़ एक ऐसी मेडिकल कन्डिशन हैं जहां शरीर ब्लड शुगर को अच्छे से प्रोसेस नहीं कर पाता। शरीर में ब्लड शुगर बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके दिमाग के लिए ईंधन की तरह काम करता है और इसके मसल्स और ऊतकों को ऊर्जा प्रदान करता है। यदि कोई व्यक्ति डायबिटिक है तो इसका मतलब है कि उसके रक्त में ग्लूकोज़ की अधिकता है।
ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति का शरीर इंसुलिन प्रतिरोधी या इंसुलिन रेजिस्टेंट हो जाता है और सेल्स इस ग्लुकोज़ को एनर्जी के रूप में उपयोग नहीं कर पाती। रक्त में बहुत अधिक चीनी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का कारण बन सकती है। डायबिटीज़ के अलग-अलग कारण हो सकते हैं।
डायबिटीज़ कई प्रकार की होती है जैसे टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़। इसके अलावा एक और प्रकार गर्भकालीन मधुमेह या जेस्टेशनल डायबिटीज़ है जो गर्भावस्था के दौरान होता है, हालांकि, शिशु के जन्म के बाद माताओं में यह दूर हो जाता है। प्रीडायबिटीज, जिसे कई बार बॉर्डरलाइन डायबिटीज़ के रूप में जाना जाता है, का तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति की ब्लड शुगर लेवल सामान्य से अधिक है लेकिन इतना अधिक नहीं है कि किसी व्यक्ति को डायबिटिक बोला जाए।
डायबिटीज़ या मधुमेह के कुछ लक्षणों में कमजोरी, अधिक प्यास लगना, चिड़चिड़ापन और अचानक से वजन घटना हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि वह इनमें से कुछ संकेतों का अनुभव कर रहा है, तो डॉक्टर के साथ ज़रूर परामर्श करें।
डायबिटीज़ और कॉफी – Diabetes & Coffee
डायबिटीज़ रोगियों में ब्लैक कॉफी के स्वास्थ्य लाभ अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न हो सकते हैं। कुछ अध्ययन के अनुसार सामान्य स्थिति में जो व्यक्ति एक से ज़्यादा कप कॉफी अपने डेली उपभोग में बढ़ाता है उनमें टाइप 2 डायबिटीज़ होने का जोखिम या रिस्क 11% कम हो जाता है।
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति अपने कॉफी को एक कप कम करता है तो उनमें टाइप 2 डायबिटीज़ होने का खतरा 17% बढ़ जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ब्लैक कॉफ़ी का मधुमेह की प्रगति पर इतना प्रभाव क्यों है।
हालांकि डायबिटीज़ में कैफीन के कोई खास हेल्थ बेनेफिट्स नहीं होते। बल्कि कैफीन थोड़े समय के लिए इंसुलिन और शुगर दोनों के स्तर में वृद्धि करता है। पुरुषों से जुड़े एक शोध अध्ययन में पाया गया कि डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पीने से उनके ब्लड शुगर लेवल में थोड़े से समय के लिए वृद्धि हुई।
डायबिटीज़ और कैफीन के प्रभावों पर और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है। जहां कॉफी डायबिटीज़ के खतरे को कम करती है, वहीं पहले से डायबिटिक लोगों के लिए इसको पीने से पहले कई चीजों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
सादा कॉफी ब्लड शुगर या ब्लड शुगर लेवल को सीधे नहीं बढ़ाती है। ब्लैक कॉफी पसंद करने वाले डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए यह अच्छी खबर है।
हालांकि, कुछ शोध बताते हैं कि कॉफी में मौजूद कैफीन इंसुलिन संवेदनशीलता को कम कर सकता है, जो मधुमेह वाले लोगों के लिए सही नहीं है।
इसके अलावा कॉफी में अन्य यौगिक – विशेष रूप से मैग्नीशियम, क्रोमियम और पॉलीफेनोल्स – इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में भूमिका निभा सकते हैं, जो कैफीन के प्रभाव को दूर कर सकते हैं।
इस वजह से, कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि डायबिटिक लोग इंसुलिन सेन्सिटिविटी को प्रभावित किये बिना एंटीऑक्सिडेंट और खनिजों जैसे घटकों का लाभ प्राप्त करने के लिए डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पी सकते हैं।
एक छोटे अध्ययन में यह पाया गया कि टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों में व्यायाम करने से पहले कैफीन पीने से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है
कैफीन का डायबिटीज़ पर असर – Caffeine effects on Diabetes
अध्ययनों से पता चलता है कि कैफीन किसी व्यक्ति के इंसुलिन और ब्लड शुगर लेवल्स को निम्न तरीकों से प्रभावित करता है:
- कैफीन विभिन्न तनाव हार्मोन (स्ट्रेस हॉर्मोन) के स्तर को बढ़ाता है, जैसे एपिनेफ्रीन या एड्रेनालाईन। एपिनेफ्रीन शरीर की कोशिकाओं को अधिक ग्लूकोज़ प्रोसेस करने से रोकने में मदद करता है। साथ ही, यह किसी व्यक्ति के शरीर को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करने से रोक सकता है।
- यह एडेनोसिन नामक प्रोटीन को रोकता है। यह प्रोटीन एक व्यक्ति के शरीर में कितना इंसुलिन पैदा करता है, इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। इसके अलावा, यह शरीर की कोशिकाओं का इंसुलिन के प्रति रिएक्शन को नियंत्रित करता है। कैफीन में एडेनोसिन होता है जो किसी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है।
- यह स्लीप पैटर्न पर काफी प्रभाव डालता है। कैफीन की अधिकता व्यक्ति को जगाए रखती है। नींद की कमी से उसकी इंसुलिन संवेदनशीलता कम हो सकती है।
इंसुलिन और ग्लूकोज पर ब्लैक कॉफी का प्रभाव – Black coffee effects on Insulin & Glucose
वैसे तो कॉफी सामान्य लोगों में डायबिटीज़ के रिस्क को कम करती है लेकिन यह टाइप 2 डायबिटीज़ रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प है क्योंकि यह कैफीन के संभावित जोखिमों के बिना अन्य कॉफ़ी घटकों जैसे मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स के लाभ प्रदान करती है।
कैफीन, ब्लड शुगर और इंसुलिन (भोजन से पहले और बाद में) – Caffeine, Blood Sugar & Insulin (Before & After Food)
एक शोध अध्ययन से पता चला है कि भोजन करने से पहले कैफीन कैप्सूल के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज़ रोगियों में भोजन के बाद शुगर लेवल अधिक हो जाता है। इसके अलावा यह इंसुलिन रेज़िस्टेंस को भी बढ़ाता है। इसके अलावा आपके जींस भी कैफीन के मेटाबोलिज़्म को प्रभावित करते हैं जो आपके ग्लुकोज़ लेवल पर असर डालते हैं।
जिन लोगों में कैफीन का मेटाबोलिज़्म धीरे होता हैं उनमें शुगर लेवल ज़्यादा देखे गए उन लोगों की तुलना में जिनमें कैफीन का मेटाबोलिज़्म तेज गति से होता है।
कैफीन के अलावा भी कॉफी में कई अन्य तत्व होते हैं। लंबे समय तक कॉफी पीने पर यह इंसुलिन और ग्लुकोज़ सेन्सिटिविटी पर अलग असर डालती है। यह प्रीडायबिटीज़ और डायबिटीज़ के रिस्क को कम करती है।
डायबिटिक और बिना डायबिटीज़ वाले लोग कॉफी और कैफीन पर अलग-अलग तरह से रिएक्ट करते हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में टाइप 2 डायबिटीज़ वाले विशिष्ट कॉफी पीने वालों ने हर दिन की गतिविधियों को करते हुए लगातार अपने शुगर लेवल को मोनिटर किया। पूरे दिन में, यह पाया गया कि ब्लैक कॉफी पीने के ठीक बाद, उनके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ गया। साथ ही उनके ब्लड शुगर लेवल बिना कॉफी वाले दिनों की तुलना में कॉफी पीने वाले दिनों में बढ़े हुए देखे गए।
कॉफी के अन्य स्वास्थ्य लाभ – Other health benefits of Coffee
ब्लैक कॉफी के सेवन के कई अन्य लाभ जो डायबिटीज़ प्रीवेंशन से जुड़े नहीं है। लेकिन यह कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ प्रदान करती हैं जैसे:
- अल्जाइमर रोग
- पार्किंसंस रोग
- लिवर डीज़ीज़ जैसे लिवर कैंसर
- पित्ताशय की पथरी
- गाउट
- इसी के साथ ब्लैक कॉफी डिप्रेशन के रिस्क को कम करने के साथ ध्यान केंद्रित करने और स्पष्ट रूप से सोचने की क्षमता को बढ़ाती है।
कॉफी के साथ अन्य विकल्प – Other options with Coffee
अगर कोई व्यक्ति नॉन-डायबिटिक है, लेकिन इसके विकसित होने को लेकर चिंतित है, तो ब्लैक कॉफी का सेवन को बढ़ाने से पहले सावधान हो जाएं। ब्लैक कॉफी को प्योर ब्लैक कॉफी की तरह ही पियें।
इसमें अतिरिक्त मिठास या डेयरी उत्पादों को मिलाने पर इसके लाभ मिलने के बजाय नुकसान हो सकते हैं।
इसे भी पढ़े: शुगर में कौन सा आटा खाएं?
डेली डायबिटीज़ टिप – Daily Diabetes Tips
कॉफी चाहे कितनी भी लोकप्रिय हो लेकिन रोज़ाना इसका सेवन डायबिटीज़ मेनेजमेंट का सही तरीका नहीं है। कैफे में मिलने वाली क्रीमी, मीठी कॉफी में कार्बोहाइड्रेट होते हैं। इसके अलावा, वे कैलोरी से भरपूर होते हैं।
ग्लूकोज से किया हुआ मीठा और कृत्रिम रूप से सिरप वाली कॉफी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसी कॉफी में एक बार स्वीटनर शामिल करने के बाद, यह टाइप 2 डायबिटीज़ के विकास के रिस्क को बढ़ाता है। बहुत अधिक चीनी का सेवन सीधे तौर पर मोटापे और डायबिटीज़ से जुड़ा होता है।
संतृप्त वसा या चीनी से भरपूर ब्लैक कॉफी पेय का सेवन अक्सर इंसुलिन रेज़िस्टेंस को बढ़ा सकता है। यह टाइप 2 डायबिटीज़ का कारण भी बन सकता है। हमारे आस पास कई बड़ी कॉफी चेनस और कैफै लो कार्बोहाइड्रेट और वसा वाले पेय का विकल्प देती हैं। इन्हें “स्कीनी” कॉफी कहा जाता है। यह कॉफी आपको सुबह जगाने के साथ ही आपको शुगर रश से बचाती है।
ब्लैक कॉफी को फ्लेवर देने के लिए कुछ हेल्दी टिप्स – Some healthy tips for giving flavor to Black Coffee
- एक स्वस्थ, ज़ीरो कार्ब विकल्प के रूप में इसमें दालचीनी और वेनिला शामिल करें
- फ्लेक्स, नारियल, या बादाम के दूध सहित एक बिना शक्कर का वेनिला दूध को विकल्प के रूप में चुनें
- कॉफी की दुकानों से ऑर्डर करते समय अपनी कॉफी में फ्लेवर्ड सीरप की आधी मात्रा या बिल्कुल भी ना मिलवाएं।
रिस्क और वार्निंग – Risks & Warnings
स्वस्थ लोगों के लिए भी, ब्लैक कॉफी में कैफीन की मात्रा के कुछ दुष्प्रभाव या साइड-इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं। कैफीन के आम साइड इफ़ेक्ट्स सिरदर्द, घबराहट और बैचेनी हैं। अधिकांश चीजों की तरह, ब्लैक कॉफी के सेवन में आत्म-नियंत्रण या सेल्फ-कंट्रोल बहुत महत्वपूर्ण है।
कहीं आपको इसकी लत या आदत ना लग जाए। इसके अलावा इसे सीमित या सही मात्रा में लेने पर भी इसे कुछ रिस्क हो सकते हैं इसलिए अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करे।
इन रिस्क में शामिल हैं:
- अनफ़िल्टर्ड या एस्प्रेसो कॉफी से कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना
- हार्टबर्न या एसिडिटी
- भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल बढ़ना
और पढ़े: क्या शुगर में अंगूर खा सकते हैं?
महत्वपूर्ण टिप्स – Important Tips
- किशोरों को रोजाना 100 मिलीग्राम से कम कैफीन का सेवन करना चाहिए। इसमें सिर्फ कॉफी ही नहीं, सभी कैफीनयुक्त पेय शामिल हैं।
- छोटे बच्चों को कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अतिरिक्त स्वीटनर या क्रीम मिलाने से मधुमेह और मोटापे का खतरा भी बढ़ सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion
कोई भी भोजन या सप्लीमेंट टाइप 2 डायबिटीज के खिलाफ पूरी सुरक्षा प्रदान नहीं करता है। यदि कोई व्यक्ति प्रीडायबिटिक है या उसे मधुमेह होने का खतरा है, तो व्यायाम करना, वजन कम करना, साथ ही संतुलित, पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना उसके रिस्क को कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका है।
डायबिटीज़ को दूर रखने के लिए सिर्फ कॉफी पीने से कोई प्रभावी परिणाम नहीं मिलेगा। लेकिन अगर आप पहले से ही ब्लैक कॉफी पी रहें है, तो उनमें यह खतरा कम हो सकता है। लेकिन अपनी कॉफी लो फैट और बिना चीनी के लें। साथ ही अपनी डाइट, एक्सर्साइज़ के साथ कॉफी के सेवन से होने वाले प्रभावों के बारे में किसी एक्सपर्ट से ज़रूर चर्चा करें।
जो लोग डायबिटिक हैं, उनके लिए डॉक्टर का परामर्श ज़रूरी है। कॉफी पर हुए कुछ अध्ययनों का कहना है कि कैफीन इंसुलिन संवेदनशीलता को कम कर सकता है, जबकि कॉफी में अन्य स्वास्थ्यवर्धक रसायन भी मौजूद होते हैं जो इन प्रभावों को कम कर सकते हैं।
इस कारण से, कुछ डॉक्टरों का मानना है कि डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी पीना एक सुरक्षित विकल्प है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चीनी या क्रीम वाली कॉफी ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है। इसलिए डायबिटीज़ वाले व्यक्ति के लिए, कॉफी पीने का सबसे स्वास्थ्यप्रद तरीका ब्लैक कॉफी है जिसमें आप चाहे तो कोई प्राकृतिक स्वीटनर मिला सकते है।
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions
क्या कॉफी फास्टिंग स्टेट में ब्लड शुगर को बढ़ाती है?
सुबह खाली पेट कॉफी पीने से यह ब्लड शुगर की प्रतिक्रिया को 50% तक कम कर सकती है।
क्या ब्लैक कॉफी ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ाती है?
कई युवा, स्वस्थ वयस्कों के लिए, कैफीन ब्लड शुगर लेवल को स्पष्ट रूप से प्रभावित नहीं करता है, और प्रत्येक दिन कैफीन का 400 मिलीग्राम तक का सेवन सुरक्षित माना जाता है।
क्या ब्लैक कॉफी का ब्लड टेस्ट रिज़ल्ट पर प्रभाव पड़ता है?
चाहे आप इसे ब्लैक कॉफी के रूप में लें, कॉफी आपके ब्लड टेस्ट के रिज़ल्ट को प्रभावित करती है। इसकी वजह हैं कॉफी में मौजूद कैफीन के साथ-साथ घुलनशील प्लांट कम्पाउन्ड जो परीक्षण के परिणामों को बिगाड़ सकते हैं। इसके अलावा, कॉफी एक मूत्रवर्धक है, जिसका अर्थ है कि यह मूत्र की मात्रा को बढ़ाती है और डीहाइड्रेशन बढ़ा सकती है।
क्या ग्लूकोज टेस्ट से एक घंटे पहले ब्लैक कॉफी लेना अच्छा है?
टेस्ट से कम से कम 8 घंटे पहले पानी के अलावा कुछ भी खाने या पीने से बचें। सादा पानी पीने की ही सलाह डी जाती है। चाय, कॉफी, सोडा (नियमित या आहार) या कोई अन्य पेय लेने से बचें।
संदर्भ – References
https://www.medicalnewstoday.com/articles/311180
https://www.healthline.com/health/coffee-s-effect-diabetes
https://www.livestrong.com/article/525403-does-black-coffee-affect-blood-sugars/
http://blogtest.breathewellbeing.in/blog/diabetes-and-coffee-does-black-coffee-affect-blood-sugar/Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal
Disclaimer
This site provides educational content; however, it is not a substitute for professional medical guidance. Readers should consult their healthcare professional for personalised guidance. We work hard to provide accurate and helpful information. Your well-being is important to us, and we value your feedback. To learn more, visit our editorial policy page for details on our content guidelines and the content creation process.