क्या शुगर के मरीज शहद का सेवन कर सकते हैं? – Can Diabetics eat Honey?

हम सभी जानते हैं की शहद एक प्राकृतिक स्वीटनर है। कई लोग इसे अपनी चाय या कॉफी में मिलाते हैं या बेक करते समय इसे स्वीटनर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, सवाल उठता है कि क्या डायबिटीज़ रोगियों के लिए शहद अच्छा है? इसका उत्तर हाँ हो सकता हैं पर सभी परिस्थितियों में नहीं।

डायबिटिक रोगी अपने कार्ब और शुगर की मात्रा को सीमित रखने की ज़रूरत होती है लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं की आप मीठा खा ही नहीं सकते। सीमित और मध्यम मात्रा में शहद को अपनी डाइट में शामिल करना सुरक्षित होता है और साथ ही आप शहद के एंटीइंफ़्लेमेट्री गुणों का फायदा भी उठाया सकते हैं।

यह आपकी डायबिटीज़ से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में मदद करता है। आइए इस ब्लॉग में जानें कि “क्या शुगर के मरीज शहद का सेवन कर सकते हैं?   

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शहद कैसे बनता है – How is Honey made?

शहद का उत्पादन मधुमक्खियों, ततैयों या भौंरों से होता है। यह तरल व रंग में गाढ़ा और सुनहरा होता है। यह फूलों में मौजूद रस या नेक्टर से बनता है। मधुमक्खियां छत्ते में पहुंचकर शहद को इकट्ठा करती हैं और इसे अपने पेट में जमा कर लेती हैं।

नेक्टर ​​​​पानी, सुक्रोज (चीनी) और अन्य सामग्रियों से प्राप्त होता है। इसमें 80% कार्ब्स और 20% पानी होता है। मधुमक्खियां नेक्टर या फूलों के रस को बार-बार खाकर निकालती है जिससे शहद बनता हैं। इस विधि में इसमें मौजूद पानी निकाल जाता है। फिर, मधुमक्खियां शहद को छत्ते में जमा करती हैं और सर्दियों के दौरान ऊर्जा स्रोत के रूप में इसका इस्तेमाल करती हैं। 

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शहद की न्यूट्रीशनल वेल्यू या पोषण संबंधी तथ्य – Nutritional Value of Honey

सफेद चीनी की तरह ही कच्चा शहद भी मीठा होता है। इसमें कार्ब्स और कैलोरी होती है। शहद चीनी का ही एक रूप है, इसलिए व्यक्तियों को इसकी मात्रा सीमित रखनी चाहिए। 

एक चम्मच शहद (वजन में 21 ग्राम) में 60 कैलोरी होती है। वहीं, 21 ग्राम सफेद चीनी में 80 कैलोरी होती है। शहद में और भी कई पोशाक तत्व मौजूद होते हैं जो इस प्रकार है:

  • पोटेशियम: 11 मिलीग्राम 
  • फास्फोरस: 1 मिलीग्राम 
  • पानी: 3.59 ग्राम 
  • कैल्शियम: 1 मिलीग्राम 
  • सोडियम: 1 मिलीग्राम 
  • चीनी: 17.25 ग्राम 
  • विटामिन सी: 1 मिलीग्राम 
  • जिंक: 0.05 मिलीग्राम 

साथ ही, शहद में कुछ विटामिन बी होते हैं। चीनी में लगभग कोई अन्य पोषक तत्व नहीं होता है।

शहद और सफेद चीनी के बीच एक बड़ा अंतर पाचन का है। शहद में मौजूद एंजाइम की मदद से शरीर शहद को आसानी से तोड़ देता है। साथ ही शुगर के पाचन के लिए शरीर से एंजाइम की जरूरत पड़ती है।

एक और अंतर जीआई या ग्लाइसेमिक इंडेक्स का है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स निर्धारित करता है कि कोई कार्ब या भोजन आपके शरीर में ग्लुकोज़ या शुगर लेवल को कितना और कितना जल्दी बढ़ाता है। उच्च जीआई (हाई जीआई) मान वाले खाद्य पदार्थ तेजी से शुगर लेवल बढ़ाते हैं और इनमें बहुत कम पोषण मूल्य होता है। शहद का जीआई मान 58 होता है और चीनी का जीआई 60 होता है।

शहद एक प्राकृतिक स्वीटनर है। और, इसमें टेबल शुगर की तुलना में प्रति चम्मच अधिक कैलोरी और कार्ब्स होते हैं। यूएसडीए के अनुसार, एक चम्मच कच्चे शहद में 17 ग्राम कार्ब्स और 60 कैलोरी होती है। शहद में महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज होते हैं। ये हैं विटामिन सी, आयरन, पोटैशियम, फोलेट, कैल्शियम और मैग्नीशियम। साथ ही यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है, यानी सेल डैमेज को रोकने और देरी करने में मदद करता है।

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डायबिटीज़ रोगियों में चीनी की बजाय शहद का उपयोग – Use of Honey Instead of Sugar by Diabetes Patients

परिष्कृत शर्करा या प्रोसेस शुगर के लिए शहद एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है। प्रोसेस चीनी में गन्ना चीनी, सफेद चीनी, टर्बिनाडो, साथ ही पाउडर चीनी शामिल हो सकती है। हालांकि शहद एक बेहतर विकल्प हो सकता है लेकिन फिर भी, व्यक्तियों को इसे संयम में सेवन करना चाहिए। यह ग्लूकोज़ के स्तर भी बढ़ा सकते है।

वह भी तब, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य प्रकार की चीनी के साथ शहद का प्रयोग करता है। डायबिटीज़ के रोगी कभी-कभी किसी भी प्रकार की मिठाई खा सकते हैं लेकिन उसके साथ अपने पूरे दिन के कार्ब काउन्ट का ध्यान रखें। बार-बार मिठाई खाने से शुगर लेवल बढ़ सकते हैं। 

शहद का सेवन सीमित मात्रा में करना अच्छा होता है। एक अतिरिक्त स्वीटनर के रूप में इसके उपयोग से पहले किसी न्यूट्रीशनिस्ट से जरूर परामर्श करें। यदि डायबिटीज़ नियंत्रित है और एक व्यक्ति अपने आहार में शहद शामिल करना चाहता है, तो शहद के शुद्ध, जैविक या कच्चे रूप का ही उपयोग करें। ये डायबिटीज़ रोगियों के लिए सुरक्षित हैं क्योंकि प्राकृतिक शहद किसी भी अतिरिक्त चीनी से मुक्त होता है।

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शहद के प्रकार: कच्चा या प्रोसेस्ड – Type of Honey (Raw or Processed)

कच्चा शहद: कच्चा शहद शहद का एक अनफ़िल्टर्ड रूप है। इस रूप को मधुमक्खी के छत्ते से निकाला जाता है और इसमें मौजूद अशुद्धियों को छलनी से हटा दिया जाता है।

संसाधित शहद या प्रोसेस्ड शहद: यह फ़िल्टर किया जाता है। साथ ही यीस्ट को हटाने के लिए इसका पाश्चुरीकरण भी किया जाता है। पाश्चुरीकरण में किसी उत्पाद को हाई टेम्परेचर पर प्रोसेस करते हैं।

इससे यह लंबे समय तक उपयोग की जा सकती हैं। यह इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाता है। प्रोसेस्ड शहद शहद का चिकना रूप है। हालांकि, छानने और पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया इसके कुछ एंटीऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों को समाप्त कर देती है।

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ब्लड शुगर लेवल पर शहद का प्रभाव – Honey effect on Blood Sugar Level

शहद एक प्राकृतिक चीनी और कार्ब युक्त खाद्य उत्पाद है। शहद का ब्लड शुगर पर एक निश्चित तरीके से प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। हालांकि टेबल चीनी की तुलना में, शहद ग्लूकोज के स्तर पर कम प्रभाव डालता है।

शोध – Research

कई अध्ययनों में देखा गया है कि शहद का सेवन करने से:

इंसुलिन के स्तर में वृद्धि होती है और,

ब्लड शुगर के स्तर में कमी होती है। 

संभावित हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव – Potential Hypoglycemia Effect

कुछ अध्ययनों में ब्लड शुगर पर शहद और चीनी के प्रभाव की जांच की गई। यह देखा गया कि 75 ग्राम शहद के घोल ने आधे घंटे के भीतर टाइप 2 डायबिटीज़ (T2DM) वाले और बिना T2DM वाले व्यक्तियों में ग्लूकोज़ और इंसुलिन का स्तर बढ़ गया। डेक्सट्रोज युक्त एक समान घोल ने ग्लूकोज़ के स्तर को काफी अधिक बढ़ा दिया।

जिन लोगों ने शहद वाला घोल लिया उनमें दो घंटे के भीतर, ग्लूकोज का स्तर नीचे गिर गया। वहीं डेक्सट्रोज समूह में यह स्तर बढ़ा रहा। इससे साबित होता है कि शहद इंसुलिन के स्तर को बढ़ाता है जिससे शुगर लेवल जल्दी मेनेज हो जाते हैं। 

बेहतर डायबिटीज़ आकलन – Better Diabetes Assessment

अध्ययन ने डायबिटीज़ के लोगों में शहद और ब्लड शुगर के बीच संबंध भी स्थापित किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि शहद ने शरीर पर निम्नलिखित प्रभाव डाले:

शहद ने फास्टिंग सीरम ग्लूकोज के स्तर को कम कर दिया। यह पैरामीटर डॉक्टर द्वारा किसी व्यक्ति को 8 घंटे तक उपवास रखने के बाद मापा जाता है।

शहद ने फास्टिंग सी-पेप्टाइड का स्तर बढ़ा दिया। यह अग्न्याशय को स्रावित करने के लिए इंसुलिन की मात्रा जानने में सहायता करता है। साथ ही, सी-पेप्टाइड ग्लूकोज के स्तर को स्वस्थ सीमा में रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसके अलावा, शहद ने खाने के बाद 2 घंटे के सी-पेप्टाइड स्तरों को बढ़ाया। यह किसी व्यक्ति के सेवन के बाद पेप्टाइड की मात्रा को दर्शाता है।

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क्रोनिक ब्लड शुगर लेवल पर प्रभाव – Effect on Chronic Blood Sugar Level

आठ सप्ताह के एक अध्ययन में पाया गया कि शहद के सेवन से फास्टिंग ग्लूकोज का स्तर नहीं बढ़ा। जिन लोगों ने शहद का सेवन किया उनका वज़न भी कम हुआ और उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम हुआ। स्टडी में लोगों का हीमोग्लोबिन भी चेक किया गया।

हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है। जब चीनी कोशिकाओं में पहुँचती है, तो यह हीमोग्लोबिन के साथ मिल जाती है। ग्लूकोज के साथ मिली हीमोग्लोबिन की मात्रा को नाप कर एक चिकित्सक पिछले महीनों में औसत शर्करा के स्तर का अनुमान लगा सकता है। 

अधिक HbA1C वाले व्यक्ति को डायबिटीज़ होने का अधिक खतरा होता है। इसके अलावा, उसे खराब ब्लड शुगर प्रबंधन होने की उम्मीद है। साथ ही, अध्ययनों में यह भी पाया गया कि शहद समूह ( जो लोग शहद का सेवन करते हैं) से संबंधित लोगों में HbA1c बढ़ा हुआ था। यानि यह ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि करता है। इसलिए शोधकर्ताओं का मानना है कि शुगर रोगियों को शहद का “सावधानीपूर्वक सेवन” करना चाहिए। 

शहद में एंटीइंफ़्लेमेट्री और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो जल्दी घाव भरने में मदद करता है। इसके घाव भरने में सहायक गुण के कारण टाइप 2 डायबिटीज़ रोगी शहद के निम्नलिखित अन्य लाभ पाने के लिए सेवन कर सकते हैं: 

  • डायबिटीज़ जटिलताओं के रिस्क को कम करने में 
  • उनके ग्लूकोज़ के स्तर को कम करने 
  • घाव भरने में 

एक अन्य अध्ययन के अनुसार इसके एंटीइंफ़्लेमेट्री गुण निम्नलिखित स्थतियों में मदद करते हैं: 

  • डायबिटीज़
  • atherosclerosis
  • हृदय की समस्याएं।

ये सभी किसी भी मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण हैं।

शहद और निम्न जीआई के बीच एक संबंध है। शहद किसी व्यक्ति पर कम ग्लाइसेमिक प्रभाव डालता है। साथ ही, यह सी-पेप्टाइड के स्तर को बढ़ाता है। सी पेप्टाइड शरीर में तब रिलीज़ होता है

जब किसी व्यक्ति का शरीर इंसुलिन का उत्पादन करता है। सी-पेप्टाइड के एक स्टैन्डर्ड लेवल का होना यह बताता है कि किसी व्यक्ति का शरीर पर्याप्त इंसुलिन बना रहा है।  

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डायबिटीज़ में शहद खाने के जोखिम – Side Effects of eating Honey in Diabetes

याद रखें कि शहद चीनी की तुलना में अधिक मीठा होता है। इसलिए यदि आप चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल कर रहें हैं तो आपको इसकी ज़रूरत कम पड़ेगी।

शहद का ब्लड शुगर पर असर पड़ता है इसलिए बेहतर होगा की आप शहद और अन्य स्वीटनेर के उपयोग से बचें। खासकर तब तक जब तक आप एक अच्छा ग्लुकोज़ नियंत्रण ना कर लें। 

साथ ही, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को कच्चा शहद नहीं खाना चाहिए। चूंकि इसे पाश्चराइजेशन प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है। लोग बाजार से प्रोसेस्ड शहद खरीदते हैं, लेकिन याद रखें कि इसमें चीनी या सिरप हो सकता है। अतिरिक्त स्वीटनर का ब्लड शुगर पर बुरा असर पड़ सकता है।

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डायबिटीज़ में शहद खाने के फायदे – Health Benefits of eating Honey in Diabetes

शहद खाने का एक फायदा यह है कि यह इंसुलिन के स्तर को बढ़ा सकता है और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित कर सकता है। शहद के साथ चीनी की अदला-बदली करना फायदेमंद हो सकता है। शहद एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत है और इसमें मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

एंटीऑक्सिडेंट युक्त आहार ग्लूकोज मेटाबोलिज़्म में मदद करता है। इसके अलावा, शहद के एंटीइंफ़्लेमेट्री गुण डायबिटीज़ से जुड़े कोंपलीकेशन को कम करने में मदद करते हैं।

इंफ़्लेमेशन से इंसुलिन रेजिज़टेन्स हो सकता है जसके कारण एक व्यक्ति का शरीर इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया करने में विफल रहता है।

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निष्कर्ष – Conclusion

शहद एक प्राकृतिक स्वीटनर है। यह किसी व्यक्ति के ग्लाइसेमिक इंडेक्स पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालाँकि, किसी भी प्रकार के स्वीटनर की तरह, संयम महत्वपूर्ण है। अपने आहार में शहद को शामिल करने से पहले डॉक्टर से चर्चा करें।

शहद हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता है। हालांकि, एक सीमा तक डायबिटीज़ रोगी शहद का सेवन कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति शहद का सेवन करता है, तो सुनिश्चित करें कि यह कार्बनिक, कच्चा या शुद्ध शहद हो और किसी भी अतिरिक्त शर्करा या added sugar से मुक्त हो।

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सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions

शुगर रोगी को कितना शहद खाना चाहिए?

टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए लगभग 5-25 ग्राम शहद खाना सुरक्षित हो सकता है। इससे आप बिना शुगर लेवल बढ़ने के डर के साथ इसके स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं। 

क्या शहद इंसुलिन रेज़िस्टेंस या प्रतिरोध बढ़ाता है?

डायबिटीज़ रोगियों में, सुक्रोज की तुलना में शहद से इंसुलिन की मात्रा में सुधार पाया गया। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जिन डायबिटीज़ रोगियों ने शहद का सेवन किया, उनमें इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेज़िस्टेंस कम था। इसलिए यह इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम कर सकता है। 

क्या एक चम्मच शहद मेरे लिए अच्छा है?

रोजाना 2 चम्मच शहद के सेवन से आपको कई हेल्थ बेनेफिट्स मिल सकते हैं। इनमें बेहतर घाव भरने, एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइनफ्लेमेट्री एक्टिविटीज़ शामिल हो सकती हैं। यह डायबिटीज़ से जुड़ी कई कोंपलीकेशन के रिस्क को कम करने में मदद करती है। एक चम्मच शहद (लगभग 21 ग्राम) में 64 किलो कैलोरी ऊर्जा और 8.6 ग्राम फ्रुक्टोज होता है।

क्या डायबिटीज़ वाले लोग शहदयुक्त नींबू पानी पी सकते हैं?

शहद के साथ नींबू पानी लेने पर यह एक हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव डालता है। यह डायबिटीज़ की स्थिति या हाई शुगर लेवल को कम करने के लिए उपयोगी है। इसलिए डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए शहद और नींबू का रस एक बेहतरीन उपाय है, जिसे आपको जरूर आज़माना चाहिए।

संदर्भ – References

  1. https://www.healthline.com/health/diabetes/honey-and-diabetes
  2. https://www.medicalnewstoday.com/articles/317662#what-is-honey
  3. https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/diabetes/expert-answers/diabetes/faq-20058487
  4. http://blogtest.breathewellbeing.in/blog/is-honey-good-for-diabetics/

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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