डाईबिटीज़ में अपनी डाइट पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। आपका हर खाना आपके शुगर लेवल्स पर असर डालता है। विटामिन-सी डाईबिटीज़ में शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए अच्छा माना जाता है। सिट्रस फ्रूट जैसे मौसम्बी को भी इसी अच्छे फ्रूट की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन क्या शुगर में आप मौसम्बी का जूस पी सकते हैं? आइए पढ़ते हैं डाईबिटीज़ में मौसम्बी के फ़ायदे।
वैसे तो डाईबिटीज़ में साबुत फल को खाना बेहतर माना जाता है क्योंकि इससे उसमें फाइबर बना रहता है। वहीं फलों के जूस में यह फाइबर कम हो जाता है जो ग्लुकोज़ के अवशोषण को बढ़ा देता है जिससे ब्लड शुगर बढ़ जाती है। लेकिन कई ऐसे फल हैं जिसके जूस को पीने से आपके शुगर लेवल बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं होते है उन्हीं में से एक है मौसम्बी का जूस। लेकिन इसमें भी बहुत सी बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है जिससे मौसम्बी का जूस आपको नुकसान न पहुंचा पाएं।
मौसंबी का जूस मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा होता है। इसमें मौजूद हाई विटामिन सी रक्त में से अतिरिक्त शर्करा के लेवल को कम करता है और उन्हें संतुलित करता है। मौसम्बी के जूस को और डाइबीटिक-फ़्रेंडली बनाने के लिए आप उसे आंवला और नींबू के रस के साथ मिला कर भी सुबह खाली पेट पी सकते हैं। इससे डाईबिटीज़ वाले व्यक्ति एक स्वस्थ दिनचर्या अपना सकते हैं। लेकिन उसकी मात्रा और बनाने के तरीके पर ध्यान दें। बाजार में मिलने वाले मौसम्बी जूस को न पियें क्योंकि उनमें added sugar होती है जो आपके शुगर लेवल्स को बढ़ा देता है।
फलों के रस की तुलना में साबुत फल लेना हमेशा बेहतर होता है, क्योंकि फलों में घुलनशील फाइबर पाचन में सुधार करने में मदद करता है और ब्लड शुगर के बढ़ने को धीमा करता है। इस प्रकार यह हाई शुगर लेवल्स के रिस्क को कम करता है।
डाइबीटिक लोग सही मात्रा में फलों के सेवन का आनंद उठा सकते हैं।
मधुमेह रोगी अमरूद, पपीता, खट्टे फल जैसे संतरा, मौसंबी और जामुन जैसे फल खा सकते हैं।
मौसंबी या स्वीट लाइम क्या है
मौसम्बी या स्वीट लाईम, साइट्रस (citrus) फल की एक प्रजाति है जिसे साइट्रस लिमेटा के नाम से जाना जाता है। यह आकार में आम नींबू की तरह छोटा और गोल होता है। इसका फल अंडाकार और हरे रंग का होता है जो पकने से पीले रंग का हो जाता है। यह एक पल्पी फ्रूट है। इसका गूदा सफेद और लगभग 5 मिमी (0.20 इंच) मोटा होता है।
जैसा कि स्वीट लाइम के नाम से पता चलता है यह स्वाद में मीठा और हल्का होता है, लेकिन इसमें नींबू का स्वाद बरकरार रहता है। हवा के संपर्क में आने पर नींबू का स्वाद तेजी से बदलता है और कुछ ही मिनटों में कड़वा हो जाता है। इसलिए इसके जूस व फ्रूट को बनाने क तुरंत बाद पियें।
मौसंबी की न्यूट्रीशनल वेल्यू या पोषण मूल्य
मोसम्बी साइट्रिक एसिड से भरपूर होता है, जो आपके जंक फूड खाने की क्रेविंग को कम करता है। मोसम्बी का रस कैलोरी में भी कम होता है जो वैट लॉस और सही वज़न बनाए रखने में मदद करता है।
प्रति 100 ग्राम मौसंबी का रस निम्नलिखित पोषक तत्व प्रदान करता है।
- कैलोरी: 25 किलो कैलोरी
- कार्बोहाइड्रेट: 8.4 ग्राम
- आहार फाइबर: 0.4 ग्राम
- वसा: 0.1 ग्राम
- पोटेशियम: 117 मिलीग्राम
- कैल्शियम: 14 मिलीग्राम
- फास्फोरस: 14 मिलीग्राम
- लोहा: 0.9 मिलीग्राम
- विटामिन सी: 30 मिलीग्राम
- विटामिन ए: 50 आईयू
- बीटा कैरोटीन: 30 माइक्रोग्राम
- फोलेट: 10 माइक्रोग्राम
मौसम्बी का ग्लाइसेमीक इंडेक्स
मौसम्बी या स्वीट लाइम का ग्लाइसेमीक इंडेक्स 40-50 के बीच होता है जो इसे निम्न जीआई फ्रूट की श्रेणी में रखता है। इसका मतलब है की मौसम्बी के सेवन से आपका शुगर लेवल नहीं बढ़ता क्योंकि यह ब्लड में शुगर को धीरे-धीरे रीलीज़ करता है।
मौसम्बी का जूस और डाईबिटीज़
मौसम्बी एक citrus fruit है जो डाइबीटिक लोगों के लिए आदर्श माने जाते हैं।
- इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है जो इसे एक डाइबीटिक-फ़्रेंडली फ्रूट बनाता है। विटामिन सी एक शक्तिशाली ऐन्टीऑक्सीडेंट है जो ब्लड में शुगर लेवल्स को नहीं बढ़ने देता।
- मौसम्बी में मौजूद पॉलीफ़ीनोल्स इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम करने में बहुत प्रभावी होते हैं इसलिए इसका जूस डाइबीटिक पेशेंट में इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम करता है जो टाइप-2 डाइबीटिक्स में शुगर लेवल बढ़ने का प्रमुख कारण है।
- इसमें अधिक मात्रा में फाइबर होता है। यह फाइबर शरीर में पाचन व ग्लुकोज़ के अवशोषण को धीमा करता है जिससे रक्त में शुगर धीरे रीलीज़ होती है और शुगर स्पाइक नहीं करती।
- मोसम्बी के रस में बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, फोलेट, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो डाइबीटिक पेशेंट के लिए फायदेमंद होते हैं।
- मौसम्बी का जीआई कम होता है जिससे यह लो-जीआई फूड माना जाता है। लो जीआई फूड आपके शरीर में शुगर लेवल को जल्दी से नहीं बढ़ाता जिससे यह डाइबीटिक लोगों के लिए अच्छा रहता है।
- इसके अलावा डाईबिटीज़ से जुड़ी अन्य समस्याओं जैसे ब्लड प्रेशर और हार्ट प्रॉब्लमस में भी मौसम्बी का रस फायदेमंद होता है।
- इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है जिससे एक डाइबीटिक व्यक्ति अपनी शुगर क्रेविंग्स को पूरी कर सकता है।
- डाईबिटीज़ में डॉक्टर लो-कैलोरी डाइट की सलाह देते हैं। अगर मौसम्बी की बात करें तो इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। ऐसे में डायबिटीज़ या शुगर में मौसम्बी का जूस पिया जा सकता है। इससे आपकी सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ता है।
इस प्रकार एक डाइबीटिक व्यक्ति, मौसम्बी का जूस पी सकता हैं लेकिन उसमें कुछ बहुत ध्यान देने वाली बाते हैं वरना यह आपके शुगर लेवल को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
- मौसम्बी के जूस को घर मे ही बनाएं।
- बाज़ार में मिलने वाले स्वीट लाइम जूस या मौसम्बी के जूस को लेने से बचें। इन जूस में एक्स्ट्रा added sugar मिलाई जाती है जो आपके शुगर लेवल्स के लिए घातक हो सकती है।
- मौसम्बी के जूस को पीने से उसमें एक साबूत फल की तुलना में फाइबर की मात्रा कम हो जाती है जो आपके ब्लड शुगर के लिए कम अच्छा माना जाता है। इसलिए इसके लाभों को बढ़ाने के लिए इसमे आंवला या नींबू व काला नमक मिलाएं। इससे इसका स्वाद व गुण दोनों बढ़ जाते हैं।
- इसकी मात्रा पर ध्यान दें। सही मात्रा में जूस पीने से इसके अच्छे फ़ायदे मिलते हैं। आपके लिए कितनी मात्रा सही है इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
- अपने टोटल कार्ब के अनुसार पूरे दिन में लिए गए कार्ब को ध्यान में रख कर मौसम्बी जूस को अपनी डाइट में शामिल करें।
मौसम्बी के अन्य फ़ायदे या हेल्थ बेनेफिट्स
मौसम्बी अनेक पोषक तत्वों जैसे विटामिन, मिनरल, फाइबर व एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। यह मौसमी फल डाईबिटीज़, हार्ट प्रॉब्लमस, रक्तचाप जैसी कई समस्याओं को कम करने का काम करता है। आइए जाने मौसम्बी के अन्य स्वास्थ्य लाभ:
विटामिन सी की उपस्थिति के कारण यह इम्यूनिटी बढ़ाता है जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
इसमें मौजूद हाई विटामिन व फॉलिक ऐसिड हड्डियों को मजबूत बनाते है और अन्य कई हड्डियों की परेशानियों से छुटकारा दिलाते हैं। इसके अतिरिक्त यह मसल रीलैक्स करके क्रेम्प्स दूर करने में मदद करते हैं।
हाई फाइबर, लो-कैलोरी व जल्दी फैट जलाने के गुण की वजह से यह वज़न घटाने में मदद करता है।
यह एसिडिक होने के कारण पाचन क्रिया को ठीक रखने में बहुत मदद करती है। फ्लेवोनोइड्स पाचन तंत्र को उत्तेजित करते हैं और पित्त और एसिड की वृद्धि में सहायता करते हैं। ज्यादातर अपच (indigestion) और कब्ज से पीड़ित लोगों को अपने आहार में मौसंबी के रस को शामिल करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह मल त्याग और मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह शरीर से टॉक्सिन निकालने में भी मदद करती है।
चूंकि मौसंबी एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबेक्टेरियल गुणों से भरपूर होता है, इसलिए इस फल को आंखों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। फलों का सेवन आंखों को संक्रमण से बचाने में मदद करता है जो ज्यादातर प्रदूषण या किसी बाहरी कण से एलर्जी के कारण होता है। मौसंबी को मोतियाबिंद के रोगियों के लिए भी उपयोगी बताया जाता है।
मौसंबी में मौजूद विटामिन सी डैंड्रफ के इलाज में मदद करता है। यह बालों और जड़ों को आवश्यक हाइड्रेटिंग और पोषण प्रदान करता है जिससे बालों का झड़ना भी कम हो जाता है।
मौसम्बी को त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है। यह दाग-धब्बों, मुहांसे और पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है इसलिए कई कॉस्मेटिक प्रोडक्टस में इसका उपयोग किया जाता है। यह स्किन को मॉइस्चराइज़ भी करता है।
मौसंबी के जूस में एंटी-कंजेस्टिव गुण होते हैं जो श्वसन तंत्र को साफ और शुद्ध रखते हैं। कई शोध के अनुसार विटामिन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर मौसंबी के जूस का सेवन करके व्यक्ति अपनी सांस लेने की क्षमता को बढ़ा और सुधार सकता है।
मौसंबी का रस लिवर फ़ंक्शन को नियमित करता है जिससे पीलिया का खतरा कम होता है और पित्त स्राव नियंत्रित होता है।
मौसंबी का रस गर्भावस्था के दौरान कब्ज, मतली और भारीपन जैसी सामान्य बीमारी से राहत देकर शरीर को ठंडा रखता है। यह अपनी हल्के एसीडीक गुणों के वजह से मॉर्निंग सिकनेस को रोकने में भी मदद करता है।
मौसम्बी के जूस को घर पर कैसे बनाएं?
मौसम्बी को हर उम्र के लोग पसंद करते हैं। इसके जूस को आसानी से घर पर ताज़ा बनाया जा सकता है। यदि आपके पास जूसर है, तो इसे आसानी से बनाया जा सकता है। आइए जाने इसे ब्लेन्डर में कैसे बना सकते हैं:
- 3-4 मौसंबी लें और उन्हें छील लें
- इन्हें बड़े-बड़े टुकड़ों में काट कर बीज निकाल लें
- अब मौसंबी के टुकड़ों को ब्लेंडर में डालकर स्मूद लिक्विड बनने तक ब्लेंड करें
- अब रस को छलनी से छान लें ताकि उसमें कोई बीज, गूदा या गांठ न रहे
- एक बार जब पूरा गूदा छलनी में इकट्ठा हो जाए, तो गूदे को निचोड़ लें या अतिरिक्त रस निकालने के लिए छलनी में चम्मच के पीछे से दबाएं
- जूस को एक गिलास में निकाल लें और इसे ताज़ा पियें।
- इसमें कोई शुगर न डालें।
- इसके अतिरिक्त, रस के स्वाद को बढ़ाने के लिए आप इसमें एक चम्मच काला नमक मिला सकते हैं।
- इसे बनाने के तुरंत बाद जूस पीने की सलाह दी जाती हैं। ताजा मौसंबी के रस को बहुत देर तक फ्रिज में रखने से यह खट्टा हो सकता है और इसके स्वाद में कड़वाहट आ सकती है।
मौसम्बी के साइड इफ़ेक्ट्स
बहुत अधिक खाने या बहुत अधिक मौसंबी का रस पीने से मतली और उल्टी सहित पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि डाइबीटिक लोगों को इस सीज़नल फ्रूट को खाने की सलाह दी जाती है और एक सुपरफूड माना जाता है लेकिन इसकी मात्रा पर नज़र रखें। सही मात्रा में इसके सेवन से ग्लुकोज़ के सामान्य लेवल को बनाए रखा जा सकता है। जिन लोगों को एसिडिटी की शिकायत रहती है या GERD (गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिसऑर्डर) की समस्या हो उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए।
निष्कर्ष
इस प्रकार मौसम्बी का जूस डाइबीटिक लोगों के लिए उपयुक्त माना जा सकता है यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए। मौसम्बी में विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सीडेंट्स, पोलीफिनोल्स व फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है जो शुगर लेवल को मेनेज करने में सहायता करते है और डाईबिटीज़ से जुड़े अन्य जोखिमों या रिस्क को कम करने में मदद करते है। लेकिन इसकी मात्रा को अपने डॉक्टर से परामर्श ले कर ही अपनी डाइबीटिक-डाइट में शामिल करें।
FAQs:
मौसम्बी के जूस किसे नहीं पीना चाहिए?
मौसम्बी एक एसीडीक फल है जो एसिडिटी वाले लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके अलावा, जीईआरडी GERD (गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिसऑर्डर) वाले लोगों को मौसंबी से बचना चाहिए क्योंकि फल लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं या स्थिति को खराब कर सकते हैं।
क्या मौसम्बी में शुगर होती है?
इसमें प्राकृतिक शुगर पाई जाती है जो इसके स्वाद की वजह होती है। इसका जीआई भी कम होता है इसलिए यह शरीर में शुगर लेवल को ज़्यादा नहीं बढ़ाता और शुगर को ब्लडस्ट्रीम में धीरे-धीरे रीलीज़ करता है।
मौसम्बी के जूस के साइड-इफ़ेक्ट्स क्या है?
मौसम्बी एक एसीडीक फल है इसलिए इसका जूस पीने से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे की उल्टी, मतली आदि हो सकती है। इसके अलावा citrus fruit के बाद ब्रश ज़रूर करें वरना इसमें मौजूद ऐसिड आपके दांतों के इनेमल के हटने व केविटीज़ का कारण बन सकता है।
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