“शकरकंद” का नाम आते ही मधुमेह रोगी या डाइबीटिक लोग ये तय नहीं कर पाते कि क्या वास्तव में शकरकंद उनके लिए अच्छा है या नहीं? क्या यह मेरे ब्लड शुगर लेवल के लिए सुरक्षित है? इस ब्लॉग में हम इसी सवाल का जवाब जानेंगें। “क्या मधुमेह रोगी शकरकंद खा सकते हैं?” इसका जवाब है, हां, कुछ हद तक। आइए इसके बारे में और जानें।
दुनिया भर में शकरकंद की 400 से अधिक वेराइटी मौजूद हैं। उनमें से कुछ डाइबीटिक लोगों के लिए अन्य की तुलना में अच्छे होते हैं। इसके अलावा उन्हें पकाने और उसकी मात्रा भी दो महत्वपूर्ण कारक हैं जो यह तय करते हैं कि शकरकंद डाइबीटिक लोगों के लिए अच्छे हैं या नहीं।
साथ ही, आप कौनसा शकरकंद खा रहें हैं उसकी जीआई और जीएल मूल्यों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है। जीआई वेल्यू यह निर्धारित करता है की कोई कार्ब्स युक्त खाना आपके ब्लड ग्लुकोज़ लेवल को कितना प्रभावित करता है। इसके अलावा, ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) एक रैंकिंग है जो भोजन के जीआई और उसके हिस्से के आकार, या प्रति सरविंग ग्राम के आधार पर उस खाने का आपके bgl पर प्रभाव दिखाता है। यदि आप जानते हैं कि शकरकंद की कितनी मात्रा और कौनसा शकरकंद आपके लिए अच्छा है तो यह आपके डाईबिटीज़ के लिए सही साबित हो सकता है। इससे आप अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं।
क्या मधुमेह रोगी शकरकंद खा सकते हैं?
शकरकंद का वैज्ञानिक नाम इपोमिया बटाटा है। सफेद आलू के विकल्प के रूप में शकरकंद एक अच्छी चॉइस है। इसमें भरपूर फाइबर और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा, उनमें कम ग्लाइसेमिक लोड होता है। सफेद आलू की तरह, शकरकंद कार्ब्स से भरपूर होता है। फिर भी, मधुमेह के रोगी इनका सेवन मध्यम मात्रा में कर सकते हैं।
शकरकंद की अलग-अलग वेराइटी लोगों के मोटापे व ग्लुकोज़ लेवल के अनुसार फायदा पहुंचाते हैं। शकरकंद की न्यूट्रीशनल वेल्यू टाइप 2 डाईबिटीज़ के रिस्क को कम कर सकती हैं।
शकरकंद में मौजूद कुछ पोषक तत्वों में शामिल हैं:
- बीटा कैरोटीन के रूप में विटामिन ए
- फाइबर
- प्रोटीन
- विटामिन बी6, के, सी
- कैल्शियम
- ज़िंक
- लोहा
- फास्फोरस
- फोलेट
- पोटैशियम
- मैग्नीशियम
शकरकंद में टाइप 2 मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी गुण पाए जाते हैं। ऐसा उनमें फाइबर और मैग्नीशियम के उच्च स्तर के कारण होता है। और, यह इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम करने और रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने में मदद करता है।
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रक्त शर्करा के स्तर पर शकरकंद का प्रभाव
शकरकंद कार्ब्स से भरपूर होता है, इसलिए वे रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं। लेकिन, उनमें मौजूद फाइबर इस प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करते है।
नारंगी शकरकंद का ग्लाइसेमिक इंडेक्स वैल्यू अधिक होता है। यह शकरकंद की अन्य किस्मों की तुलना में रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। शकरकंद किसी भी किस्म का लें लेकिन उसकी मात्रा को सीमित रखना महत्वपूर्ण है। साथ ही इसे बेक करने के बजाय उबाल कर या स्टीम कर के खाना ज़्यादा स्वस्थ व बेहतर रहता है।
शकरकंद के प्रकार और मधुमेह पर उनके प्रभाव
बैंगनी शकरकंद
ये कई स्वास्थ्य लाभ से भरपूर रहते हैं। इसका बेंगनी रंग एंथोसायनिन, एक पानी में घुलनशील घटक की उपस्थिति के कारण होता है। कई अन्य फलों और सब्जियों का रंग ( जैसे नीला, बैंगनी, या लाल रंग) भी इसी के कारण होता है।
एंथोसायनिन में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जिनके कई हेल्थ बेनेफिट्स होता हैं जैसे:
- बीमारियों के जोखिम को कम करना।
- दृष्टि में सुधार।
- मधुमेह का उपचार और मेनेजमेंट।
एक अध्ययन में शकरकंद के पीले और बैंगनी वेराइटी की तुलना की गई। उसमें यह देखा गया कि पॉलीफेनोल से भरपूर बैंगनी शकरकंद सूजन या इंफलेमेशन, रक्त शर्करा और इंसुलिन को कम करते हैं। बैंगनी शकरकंद का GI लगभग 77 होता है।
जापानी शकरकंद
ये बाहरी रूप से विशेष रूप से बैंगनी और आंतरिक रूप से सफेद या पीले रंग के होते हैं। इनका स्वाद मीठा होता है। Caiapo जापानी शकरकंद का रूप है और, इसका अर्क मधुमेह रोगियों के लिए काफी मददगार माना जाता है।
यह पाया गया कि कैआपो एक ऐसा घटक है जो टाइप 2 डाईबिटीज़ के उपचार में सहायता कर सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि शकरकंद की यह किस्म टाइप 2 डाइबीटिक लोगों में कोलेस्ट्रॉल और प्लाज्मा ग्लूकोज के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
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नारंगी शकरकंद
शकरकंद की यह किस्म सबसे आम है और इसमें मौजूद पोषक तत्वों में शामिल हैं:
- फाइबर
- पोटैशियम
- विटामिन बी6
- विटामिन सी
इसके अलावा, उनमें उच्च जीआई और बीटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं। एक अन्य घटक एंथोसायनिन भी इनमें पाया जाता है, जो इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। आम तौर पर, उबले हुए शकरकंद का जीआई लगभग 44 होता है। इस तरह शकरकंद रक्त शर्करा या ब्लड ग्लुकोज़ की मात्रा को भी नियंत्रित करता है।
मधुमेह रोगियों के लिए शकरकंद (शकरकंद व डाईबिटीज़)
डाइबीटिक लोगों के लिए शकरकंद का सुरक्षित होने का प्रमुख कारण है इसकी कम जीआई वेल्यू। उच्च जीआई वाले खाद्य उत्पाद ग्लूकोज़ के स्तर को बढ़ाते हैं इसलिए टाइप 2 डाईबिटीज़ वाले लोगों को ऐसे खाने से सख्त बचना चाहिए। इसके अलावा, शकरकंद में बीटा-कैरोटीन नामक कैरोटीनॉयड होता है। यह विटामिन ए का एक समृद्ध स्रोत है और इसके नारंगी रंग के लिए जिम्मेदार होता है।
साथ ही शकरकंद में उच्च मात्रा में विटामिन सी होता है जो इम्युनिटी को मजबूत करने का काम करता है। इसके अलावा, शकरकंद में उच्च मात्रा में आयरन होता है। यह आरबीसी को ऑक्सीजन का उत्पादन करने और पूरे शरीर में पोषक तत्वों को पहुंचाने में सहायता करता है।
साथ ही यह सुपरफूड प्लांट बेस्ड प्रोटीन डिलीवर करता है। इसकी वजह से व्यक्ति की भूख लंबे समय तक शांत रहती है जो वज़न घटाने में सहायता करती है। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा है जो अपनी इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाना चाहते हैं। इसके अलावा शकरकंद में फाइबर होता है, जो पाचन में मदद करने के साथ ही ग्लुकोज़ के अवशोषण व टूटने को धीमा करता है जिससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।
ये सभी गुण शकरकंद को सुपरफूड बनाते हैं। इनमें उच्च मात्रा में विटामिन ए और सी होते हैं जो इंफलेमेशन से लड़ने में सहायता करते हैं। हालांकि, इसकी मात्रा पर नियंत्रण रखना ज़रूरी है जिससे अनावश्यक ब्लड शुगर न बढ़ें।
सारांश
शकरकंद महत्वपूर्ण विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट और खनिज से भरपूर होता है। साथ ही इसमें धीमी गति से रिलीज होने वाले कार्ब्स और फाइबर मौजूद होते हैं, जो उचित ग्लूकोज नियंत्रण बनाए रखते हैं। शकरकंद की मधुमेह विरोधी गतिविधि या एंटी-डाइबीटिक ऐक्टिविटी फाइटोकेमिकल एडिपोनेक्टिन से आती है। यह टाइप 2 डाईबिटीज़ वाले लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायता करता है
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मधुमेह रोगियों के लिए शकरकंद की कितनी मात्रा खाना सही रहता है?
भले ही, मधुमेह रोगियों के लिए शकरकंद एक अच्छा विकल्प है, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि उनमें कार्ब्स होते हैं। इसलिए उसकी मात्रा पर नियंत्रण रखना बहुत ज़रूरी होता है। शकरकंद के अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए इसकी आधा कप मात्रा अच्छी मानी जाती है। यह 15 ग्राम कार्ब्स के बराबर होता है। इसकी मात्रा के लिए अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श करें क्योंकि हर व्यक्ति में उनके लिए कार्ब की ज़रूरत के हिसाब से यह मात्रा भिन्न हो सकती है।
मधुमेह रोगियों के लिए शकरकंद के फायदे
कम मात्रा में शकरकंद (सभी प्रकार के) शरीर के लिए स्वस्थ होते हैं। इसके अलावा, वे विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट और खनिजों से भरपूर होते हैं। लोग सुरक्षित रूप से उन्हें डाइबीटिक डाइट में शामिल कर सकते हैं।
आइए जानें वो कौनसे व्यंजन या डिश है जो आप अपनी डाइबीटिक डाइट में शामिल कर सकते हैं:
- ब्रोकोली-भरवां शकरकंद
- शकरकंद पुलाव कप
- एवोकैडो और शकरकंद का सलाद
- खस्ता ओवन-भुना हुआ बैंगनी शकरकंद फ्राई
- बेक्ड शकरकंद फ्राइज
शकरकंद खाने के तरीके
मधुमेह रोगियों के लिए, शकरकंद एक सुरक्षित विकल्प है यदि इसे संयमित मात्रा में खाया जाए। इनमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है और इसका जीआई भी कम होता है। यह रक्त शर्करा के स्तर पर धीरे प्रभाव डालता है जिससे डाईबिटीज़ व्यक्ति अपनी ब्लड शुगर लेवल को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर पाते है।
किसी भी डाइबीटिक व्यक्ति को शकरकंद खाते समय उसकी मात्रा और उसके बनाने के तरीके पर ध्यान देने की ज़रूरत है। एक अध्ययन में जब 71000 व्यक्तियों को हर हफ्ते मैश, बेक्ड या उबले हुए शकरकंद की तीन सर्विंग्स रोज दी गई तो उनमें टाइप 2 डाईबिटीज़ का खतरा 4% बढ़ गया।
इसके अलावा यही अध्ययन जब फ्रेंच फ्राइज़ पर किया गया तो यह जोखिम बढ़कर 19% हो गया। तले हुए आलू के सेवन से वजन बढ़ने और अन्य चिकित्सीय समस्याएं हो सकती हैं। मधुमेह रोगियों के लिए, वजन नियंत्रण उनके शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सारांश
खाना पकाने का तरीका शकरकंद के जीआई पर भारी प्रभाव डालता है। जहां उबले हुए रूप में इसका जीआई 46 होता है वहीं बेक्ड का जीआई 94 और भुने हुए शकरकंद का जीआई 82 होता है।
मधुमेह रोगियों के लिए शकरकंद खाने का कोई जोखिम या रिस्क
सफेद आलू की तुलना में शकरकंद एक बेहतर पोषण विकल्प है। फिर भी, इसे कम मात्रा में लेना ही बेहतर होता है वरना यह ब्लड शुगर लेवल पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कुछ शकरकंद आकार में बहुत बड़े होते हैं, जिससे अनजाने में ही अधिक मात्रा में सेवन में आ जाते है इसलिए मध्यम आकार के शकरकंद चुनना हमेशा बेहतर होता है। साथ ही, लोगों को अपने आहार में अन्य स्वस्थ खाद्य उत्पादों को भी शामिल करना सुनिश्चित करना चाहिए।
सारांश
सही मात्रा में शकरकंद किसी भी मधुमेह व्यक्ति के लिए एक स्वस्थ डाइबीटिक डाइट का हिस्सा हो सकता है। कुछ प्रकार के शकरकंद और भी अच्छा प्रभाव देते हैं। इनमें शकरकंद के बैंगनी और जापानी रूप शामिल हैं। शकरकंद पूरी तरह से पोषक तत्वों से भरपूर होता है लेकिन इसमें कार्ब्स भी होते हैं। इसलिए इसके हिस्से को छोटा रखें और बेक करने के बजाय उबाल कर खाएं जिससे उसके जीएल को कम रखने में मदद मिलती है।
FAQs:
डाइबीटिक व्यक्ति प्रतिदिन शकरकंद की कितनी मात्रा का सेवन कर सकते है?
एक स्वस्थ सरविंग की मात्रा एक डाइबीटिक व्यक्ति के लिए आधा कप है। अध्ययन एक डाइबीटिक व्यक्ति को मध्यम आकार के शकरकंद का सेवन करने की सलाह देते हैं जिसमें 15 ग्राम कार्ब्स की मात्रा होती है।
क्या मधुमेह के रोगी प्रतिदिन शकरकंद का सेवन कर सकते हैं?
यदि किसी व्यक्ति को मधुमेह है, तो वह प्रतिदिन शकरकंद का सेवन कर सकता है। लेकिन उसे रोज़ की ज़रूरत के कार्ब को काउन्ट करके उन्हें अपनी डाइबीटिक डाइट में शामिल करना चाहिए। ध्यान रखें शकरकंद कार्ब्स का अच्छा स्रोत है, जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है।
क्या शकरकंद का कोई साइड इफेक्ट है?
शकरकंद में अच्छी मात्रा में ऑक्सालेट होते हैं। ये कैल्शियम-ऑक्सालेट किड्नी की पथरी के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, इनमें बीटा-कैरोटीन होता है, और उनके अनावश्यक सेवन से विटामिन ए की विषाक्तता हो सकती है। इस स्थिति में, लीवर में बहुत अधिक विटामिन ए बनता है।
शकरकंद कब नहीं खाना चाहिए?
अधिकतर, शकरकंद जल्दी सड़ते या खराब नहीं होते लेकिन समय के साथ इनका स्वाद बदल जाता है। ध्यान रहें किसी को भी झुर्रीदार या गली हुई सब्जियां नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा जब यह भूरी या काली हो जाए तब भी इन्हें नहीं खाना चाहिए।
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