पेशाब में शुगर के लक्षण – Urine me Sugar ke Lakshan Hone Par Kya Karein

डायबिटीज तेजी से फैल रही एक लाइलाज बीमारी है। हालांकि इसे कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि डायबिटीज का सही समय से पता लगाया जा सके। वैसे तो डायबिटीज के कई लक्षण हैं, लेकिन सभी डायबिटीज मरीजों में कुछ लक्षण सबसे पहले समझ आते हैं। जैसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब का रंग बदलना, पेशाब से बदबू आना, भूख बढ़ना, थकान महसूस होना और ज्यादा प्यास लगना। अब पेशाब में शुगर के लक्षण क्या होते हैं, यूरिन में शुगर आना शुरू हो जाए तो क्या करें, आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताएं।

पेशाब में शुगर के लक्षण – Urine me Sugar ke Lakshan

पेशाब में शुगर के लक्षण - Urine me Sugar ke Lakshan

 

पेशाब में शुगर आने की हालत को ग्लूकोसुरिया या ग्लाइकोसुरिया कहा जाता है। इससे कई बीमारियों का लक्षण माना जाता है, लेकिन सबसे विशेष रूप ये डायबिटीज का संकेत हो सकती है। जब शरीर में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है, तो किडनी इसे पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने का प्रयास करती है। इससे पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है और इसका रंग हल्का पीला या भूरा हो जाता है। पेशाब से मीठी या फलों जैसी बदबू भी आने लगती है। इसके साथ ही यूरिन में शुगर आने से शरीर में शुगर का लेवल बढ़ा है ये पता करने के और भी कई लक्षण होते हैं-

  • बार-बार पेशाब आना (पॉलीयूरिया)
  • ज्यादा प्यास लगना (पॉलीडिप्सिया) 
  • ज्यादा भूख लगना (पॉलीफेगिया) 
  • वजन कम होना
  • थकान रहना
  • ब्लर्ड विज़न
  • पेशाब में बार-बार संक्रमण

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पहले इन लक्षणों के बारे में विस्तार से समझते हैं। अगर यूरिन में शुगर का लेवल बढ़ा है, साथ ही ये लक्षण दिख रहे हैं, तो कैसे पता चले कि मरीज के शरीर में शुगर का लेवल बढ़ा हुआ है? इसके लिए जरूरी है कि इन लक्षणों के बारे में विस्तार से समझा जाए।

  1. बार-बार पेशाब आना (पॉलीयूरिया): शरीर में शुगर का लेवल बढ़ने से पेशाब ज्यादा आती है, क्योंकि शरीर में ज्यादा शुगर पेशाब को ज्यादा बनाती है। इसके चलते मरीज को बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता होती है।
  2. ज्यादा प्यास लगना (पॉलीडिप्सिया): शुगर का लेवल बढ़ने से ज्यादा पेशाब आती है। इससे शरीर में पानी का लेवल बार-बार कम होने लगता है। इसके चलते मरीज को बार-बार प्यास लगती है।
  3. ज्यादा भूख लगना (पॉलीफेगिया): सही समय पर सही खुराक लेने के बाद भी अगर मरीज को बार-बार भूख लगती है तो मरीज के शरीर में शुगर का लेवल ज्यादा होने की आशंका होती है। होता ये है कि डायबिटीज के मरीज का शरीर ग्लूकोज का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है, इसलिए बार-बार भूख लगती है।
  4. वजन कम होना: डायबिटीज के मरीज के साथ होता ये है कि शुगर लेवल बढ़ने पर जब शरीर ग्लूकोज का ठीक से उपयोग नहीं करता है तो वह एनर्जी के लिए मांसपेशियों और फैट का इस्तेमाल करने लगता है। इससे अचानक से मरीज का वजन कम होने लगता है।
  5. थकान रहना: डायबिटीज मरीज का शरीर जब ग्लूकोज को एनर्जी में सही तरह से नहीं बदल पाता को मरीज को थकान और कमजोरी हो सकती है। ऐसे में मरीज लगातार आलस में रहता है।
  6. ब्लर्ड विज़न: शरीर में शुगर का लेवल बढ़ने से खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ता है। इससे आंखों में तरल पदार्थ का संतुलन प्रभावित होता है, तो मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है।
  7. पेशाब में बार-बार संक्रमण: ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ने से शरीर की रोग प्रतिरोध प्रणाली या इंम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे मरीजों को संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर मूत्र और जननांग में ये खतरा होता है।

यूरिन में शुगर लेवल की जांच करने के लिए, डॉक्टर एक यूरिन टेस्ट करते हैं। यह जांच पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा को मापता है। यदि यूरिन टेस्ट में शुगर पाई जाती है, तो डॉक्टर टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज का इलाज शुरू करते हैं।

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पेशाब में शुगर की जांच कैसे करें? –

सेंटर फॉर डाइबिटीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक यूरिन में शुगर का सामान्य लेवल 0 से 0.8 mmol/l (0 से 15 mg/dL) तक होता है। इसकी जांच दो तरीकों से की जाती है। पहला तरीका तो एक किट की सहायता से घर में जांच का है। दूसरा आप डॉक्टर या किसी एक्सपर्ट के पास जाकर भी इसकी जांच करा सकते हैं

घर पर ही जांच किट का उपयोग करना

यूरिन में शुगर की जांच करने का होम टेस्ट किट एक आसान और सुविधाजनक तरीका है। इन किटों में एक स्ट्रिप होती है जिसे पेशाब में डुबोया जाता है। स्ट्रिप में रंग का बदलना शुगर के लेवल को बताता है। होम टेस्ट किट का इस्तेमाल करते हुए कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए-

  • टेस्ट किट के पैकेट से एक बार में एक ही स्ट्रिप निकालें।
  • एक साफ और सूखे कंटेनर में पेशाब करें।
  • स्ट्रिप को पेशाब में 3 सेकंड के लिए डुबोएं।
  • स्ट्रिप को तुरंत कंटेनर से बाहर निकालें।।
  • स्ट्रिप को एक सपाट सतह पर रखें।
  • स्ट्रिप पर रंग बदलने की इंतजार करें।
  • किट के साथ दिए गए रंग बदलने के लेवल के हिसाब से शुगर का स्तर पता करें।

घरेलू परीक्षण किट का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी जरूरी हैं। जैसे-

  • परीक्षण किट को एक्सापायर डेट के बाद इस्तेमाल न करें।
  • परीक्षण किट को सूखे और ठंडे स्थान पर स्टोर करें।
  • परीक्षण किट का उपयोग करने से पहले निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
  • यदि यूरिन में शुगर लेवल बढ़ा हुआ आता है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।

डॉक्टर के पास जाकर

डॉक्टर के पास जाकर भी यूरिन में शुगर की जांच की जा सकती है। डॉक्टर एक खास उपकरण का इस्तेमाल करके पेशाब में शुगर के लेवल की जांच करते हैं। डॉक्टर के पास जाकर यूरिन में शुगर आना पता लगाने के लिए इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए-

  • अपने डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लें।
  • अपॉइंटमेंट के लिए जाने से पहले, कम से कम 4 घंटे तक कुछ न खाएं-पीएं।
  • एक साफ बोतल में डॉक्टर पेशाब का सेंपल मांगेंगे फिर उसकी जांच करेंगे।

यूरिन में शुगर की टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर आपको मधुमेह या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी दे सकते हैं।

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यूरिन में शुगर आना कितना खतरनाक? – Urine me Sugar Aane ke Nuksan

यूरिन में शुगर आना कितना खतरनाक? - Urine me Sugar Ane ke Nuksan

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पेशाब में शुगर आने को ग्लूकोसुरिया या ग्लाइकोसुरिया कहते हैं। यह किसी छिपे हुए बीमारी का संकेत हो सकता है, खासकर डायबिटीज का। पेशाब में शुगर आना सीधे तौर पर तुरंत तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन इससे भविष्य में और परेशानियां हो सकती हैं, इसलिए इसे विस्तार से समझना ज़रूरी है कि इससे क्या खतरा हो सकता है-

डायबिटीज का संकेत

पेशाब में शुगर का सबसे आम कारण अनियंत्रित डायबिटीज है। खून में शुगर बढ़ने से वह पेशाब में निकलने लगता है। अनियंत्रित डायबिटीज को नज़रअंदाज़ किया जाए तो बड़ी बीमारियां हो सकती हैं। डायबिटीज का सही से ध्यान न रखने से हृदय की बीमारियां, किडनी की समस्याएं, नर्व सिस्टम को नुकसान, आंखों से जुड़ी समस्याएं आदि हो सकती हैं।

संक्रमण का खतरा

पेशाब में ज़्यादा शुगर बैक्टीरिया को पनपने का मौका देता है। इससे पेशाब के रास्ते  और गुप्तांगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

डायबिटिक कीटोअसिडोसिस का खतरा (टाइप 1 डायबिटीज में)

पेशाब में शुगर बढ़ने से अनियंत्रित टाइप 1 डायबिटीज का खतरा बनता है। इसमें जब शरीर एनर्जी के लिए शुगर का इस्तेमाल नहीं कर पाता, तो वह एनर्जी के लिए चर्बी का इस्तेमाल करने लगता है, जिससे कीटोन बनते हैं। इससे डायबिटिक कीटोअसिडोसिस नाम की खतरनाक हालत हो सकती है।

किडनी की समस्या

पेशाब में लगातार शुगर की मात्रा बढ़ने से किडनी की हेल्थ पर भी असर पड़ता है। इसका सही समय से इलाज न  होने से किडनी से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।

पानी की कमी से न्यूट्रीशन बिगड़ना

पेशाब में ज्यादा शुगर के चलते बार-बार पेशाब आती है, जिससे डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) हो सकता है। ज़्यादा पेशाब आने से शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स कम हो जाते हैं।

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पेशाब में शुगर का लेवल बढ़ा हो तो क्या करें? – Peshab me Sugar Aane Par Kya Kare

पेशाब में शुगर का लेवल बढ़ा हो तो क्या करें? - Peshab me Sugar Ane Par Kya Kare

पेशाब में शुगर कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये किसी दूसरी बीमारी का लक्षण है। अगर आपको यह लक्षण दिखे तो डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है। जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां और अन्य तरीकों से डायबिटीज को कंट्रोल करने से बिमारियों को रोकने और सेहत सुधारने में मदद मिलती है। हालांकि कई बार गर्भावस्था या कुछ विशेष दवाओं के चलते भी यूरिन में शुगर का लेवल बढ़ जाता है, लेकिन इसका ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए आप ये सावधानियां बरत सकते हैं-

डायबिटीज की जांच करें:

अगर आपको शक है कि आपके पेशाब में शुगर है या इसकी पुष्टि हुई है, तो तुरंत ध्यान देना ज़रूरी है। पेशाब में ज़्यादा शुगर डायबिटीज का संकेत हो सकती है। इसीलिए तुरंत डायबिटीज की जांच करना जरूरी है। खाली पेट का ब्लड शुगर, शुगर टेस्ट या HbA1c टेस्ट यह जानने में मदद कर सकते हैं कि आपके शरीर में शुगर किस तरह इस्तेमाल हो रहा है।

डॉक्टर की सलाह लें

यूरिन में शुगर का लेवल बढ़ा होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।  उन्हें अपने लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री और परिवार में डायबिटीज या इससे जुड़ी बीमारियों का इतिहास बताएं। इससे डॉक्टर को समय पर बेहतर इलाज करने में मदद मिलेगी।

खाना-पीना और रूटीन सुधारें

अगर यूरिन में शुगर बढ़ी निकली है, तो ये खान-पान की दिक्कत से भी हो सकती है। चाहे डायबिटीज हो या नहीं , हमें  सेहतमंद और संतुलित खान-पान रखना चाहिए। मीठे और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं। साबुत अनाज, फल, सब्ज़ियां, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट खाएं। ज़रूरत पड़े तो डायटीशियन से सलाह लें।

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कसरत करें

डॉक्टर के बताए अनुसार नियमित रूप से कसरत करें। कसरत इंसुलिन को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करती है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद है।

पानी ज्यादा पिएं

पेशाब में शुगर तभी बढ़ी निकलती है जब शरीर शुगर को पेशाब से बाहर निकालता है। ऐसे में पेशाब भी बार-बार आती है। तो ज़्यादा पानी पिएं ताकि ज़्यादा शुगर पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर निकल सके।

पेशाब में शुगर से जुड़ी किसी भी बीमारी को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टरों से मिलकर काम करना बहुत ज़रूरी है। अगर डॉक्टर सलाह दें तो दवाइयों के सेवन से भी नहीं बचना चाहिए।

निष्कर्ष

जैसा हमने आपको बताया कि यूरिन में शुगर आना खतरनाक हो सकता है। पेशाब में शुगर के कई कारण हो सकते हैं, साथ ही इससे कई खतरे भी होते हैं। ऐसे में पेशाब में शुगर के पीछे के कारण को नज़रअंदाज़ न करें, खासकर अगर यह डायबिटीज की वजह से है। इससे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जल्दी पता लगाना और सही इलाज डायबिटीज से जुड़ी परेशानियों को रोकने में बहुत ज़रूरी है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

अगर पेशाब में शुगर आ रही है तो डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

यदि आपको बार-बार पेशाब आना, ज़्यादा प्यास लगना या बिना वजह वजन कम होना जैसे लक्षण हैं, या यदि आपको डायबिटीज का खतरा है, तो ऐसी स्थिति में पेशाब में शुगर आते ही डॉक्टर की सलाह जरूरी है। डायबिटीज के साथ पेशाब में शुगर और भी बीमारियों का संकेत हो सकता है, जिसका समय पर इलाज जरूरी है, तो एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूरी हो जाती है।

पेशाब में शुगर कैसे कम कर सकते हैं?

यूरिन में शुगर का सामान्य लेवल 0 से 0.8 mmol/l (0 से 15 mg/dL) तक होता है।  लेकिन रूटीन खराब होने या खान-पान सही नहीं होने पर पेशाब में शुगर का लेवल बढ़ सकता है, क्योंकि पेशाब में शुगर आना डायबिटीज का लक्षण है।  ऐसे में स्वस्थ और संतुलित आहार अपनाने से ब्लड शुगर कंट्रोल बेहतर करने में मदद मिल सकती है। अतिरिक्त शुगर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही एक्सरसाइज और योग करने से भी इसके कंट्रोल में मदद मिलती है।

क्या गर्भावस्था के दौरान पेशाब में शुगर होना सामान्य है?

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में थोड़ी मात्रा में शुगर होना सामान्य हो सकता है। हालांकि, लगातार या बढ़े हुए स्तर जेस्टेशनल डायबिटीज का संकेत हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में अगर बार-बार जांच करने पर पेशाब में शुगर आ रही है तो डॉक्टर की सलाह लें। डायबिटीज का समय से इलाज प्रेग्नेंसी में मां और बच्चे के लिए जरूरी होता है।

क्या स्ट्रेस से पेशाब में शुगर आ सकती है?

स्ट्रेस सीधे तौर पर पेशाब में शुगर आने का कारण नहीं होता। लेकिन स्ट्रेस लेने से डायबिटीज का खतरा होता है। लंबे समय तक ज्यादा स्ट्रेस लेने से ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में दिक्कत आती है। डायबिटीज वाले लोगों में ग्लूकोसुरिया हो सकता है। जब ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ता है तो शरीर पेशाब में शुगर को निकालने की कोशिश करता है। इस तरह स्ट्रेस सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन पेशाब में शुगर के लिए जिम्मेदार जरूर हो सकता है।

अगर मेरे पेशाब में शुगर है तो इसका क्या मतलब है?

पेशाब में शुगर आने की स्थिति को ग्लूकोसुरिया या ग्लाइकोसुरिया कहते हैं। यह किसी छिपी हुई बीमारी का संकेत हो सकता है, सबसे आम तौर पर डायबिटीज का संकेत है। ब्लड शुगर बढ़ने पर शुगर पेशाब में निकलने लगती है। इसके चलते बार-बार पेशाब आना, ज़्यादा भूख-प्यास लगना, बिना वजह वजन कम होना, थकान और धुंधला दिखने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसी स्थिति में तुरंत डायबिटीज की जांच करें और डॉक्टर से सलाह लें।

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